Donald Trump Tariff / अमेरिका पर ही ट्रंप का टैरिफ बम फटा, महंगाई की मार झेल रहे US के लोग!

अमेरिका में राष्ट्रपति ट्रंप के भारी आयात शुल्क का असर महंगाई में दिखने लगा है। जुलाई में कोर CPI 0.3% बढ़ा, जबकि हेडलाइन CPI 0.2% पर रहा। भारत पर 50% टैरिफ लागू होने से जेम्स- ज्वैलरी उद्योग को बड़ा झटका लग सकता है, जिससे निर्यात व रोजगार प्रभावित होंगे।

Donald Trump Tariff: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा विश्व भर के कई देशों पर लगाए गए भारी-भरकम आयात शुल्क का असर अब अमेरिकी उपभोक्ताओं की जेब पर स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है। ब्लूमबर्ग की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई 2025 में अमेरिका में महंगाई दर में हल्की लेकिन उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की गई। खुदरा विक्रेता धीरे-धीरे आयातित वस्तुओं पर बढ़े हुए टैरिफ को कीमतों में शामिल करने लगे हैं, जिससे आम उपभोक्ताओं पर खर्च का बोझ बढ़ रहा है। इसके साथ ही, भारत जैसे प्रमुख व्यापारिक साझेदारों पर लगाए गए 50% टैरिफ ने वैश्विक व्यापार और अर्थव्यवस्था पर गहरे प्रभाव डाले हैं।

अमेरिका में महंगाई का बढ़ता दबाव

ब्लूमबर्ग के सर्वे में अर्थशास्त्रियों ने अनुमान लगाया है कि जुलाई 2025 में कोर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में 0.3% की वृद्धि हुई, जो जून के 0.2% की तुलना में अधिक है। यह इस साल की शुरुआत के बाद सबसे तेज मासिक बढ़ोतरी मानी जा रही है। कोर CPI में खाद्य और ऊर्जा कीमतें शामिल नहीं होतीं, जो आमतौर पर अस्थिर होती हैं। सस्ते पेट्रोल कीमतों ने जुलाई में हेडलाइन CPI को 0.2% पर सीमित रखा, लेकिन घरेलू सजावट और मनोरंजन से जुड़ी वस्तुओं की कीमतों में टैरिफ का असर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। कोर सर्विस सेक्टर में महंगाई अभी स्थिर है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले महीनों में टैरिफ का प्रभाव और गहरा हो सकता है।

प्रभावित वस्तुएं

  • घरेलू सजावट: आयातित फर्नीचर, लाइटिंग और अन्य सजावटी सामान की कीमतों में वृद्धि।

  • मनोरंजन उत्पाद: इलेक्ट्रॉनिक्स, गेमिंग कंसोल और अन्य मनोरंजन उपकरणों की लागत में उछाल।

  • कपड़े और जूते: आयातित कपड़ों और फुटवेयर की कीमतों में टैरिफ के कारण बढ़ोतरी।

फेडरल रिजर्व की चुनौती

अमेरिकी केंद्रीय बैंक, फेडरल रिजर्व, के सामने अब एक नई दुविधा है। उसे यह आकलन करना है कि क्या बढ़े हुए टैरिफ लंबे समय तक महंगाई को ऊंचा रख सकते हैं, खासकर तब जब श्रम बाजार में सुस्ती के संकेत दिख रहे हैं। कई कंपनियां कीमतों को लेकर संवेदनशील उपभोक्ताओं पर टैरिफ का पूरा बोझ डालने से बचने की कोशिश कर रही हैं। जुलाई में खुदरा बिक्री के आंकड़ों में अच्छी बढ़त की उम्मीद है, जिसमें वाहन बिक्री पर दिए गए प्रोत्साहन और Amazon प्राइम डे जैसी ऑनलाइन सेल्स का योगदान रहा है। हालांकि, विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह मजबूती सतही हो सकती है, क्योंकि जून में वास्तविक आय वृद्धि में गिरावट दर्ज हुई थी।

भारत पर 50% टैरिफ का प्रभाव

अमेरिका और चीन के बीच अस्थायी व्यापार युद्धविराम जल्द ही समाप्त होने की संभावना है, लेकिन ट्रंप प्रशासन ने भारत पर पहले ही कड़ा रुख अपना लिया है। रूस से बड़े पैमाने पर तेल खरीदने के कारण नाराज होकर ट्रंप ने भारत पर पहले 25% और फिर अतिरिक्त 25% टैरिफ लागू किया। इस तरह, कुल 50% कस्टम ड्यूटी लागू हो गई है, जो अमेरिका द्वारा किसी प्रमुख व्यापारिक साझेदार पर लगाया गया अब तक का सबसे ऊंचा टैरिफ है।

भारत के निर्यात पर असर

इस कदम से भारत के निर्यातकों, विशेष रूप से जेम्स एंड ज्वैलरी उद्योग को भारी झटका लगने की आशंका है। अमेरिका भारतीय गहनों का एक प्रमुख बाजार है, और मुंबई के SEEPZ विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) से होने वाले 80-85% उत्पादन का निर्यात अमेरिका को जाता है। यह क्षेत्र करीब 50,000 लोगों को रोजगार देता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस टैरिफ से भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धा कमजोर होगी, जिसका असर न केवल रोजगार पर बल्कि भारत की जीडीपी वृद्धि पर भी पड़ सकता है।

प्रभावित क्षेत्र

  • जेम्स एंड ज्वैलरी: अमेरिका में निर्यात होने वाले हीरे, सोने और अन्य आभूषणों की लागत में भारी वृद्धि।

  • कपड़ा उद्योग: भारतीय कपड़ों और वस्त्रों की कीमतों में टैरिफ के कारण कमी आई प्रतिस्पर्धा।

  • इलेक्ट्रॉनिक्स और मशीनरी: भारत से आयातित इलेक्ट्रॉनिक्स और मशीनरी उत्पादों पर भी असर।

वैश्विक व्यापार पर प्रभाव

ट्रंप के टैरिफ नीति ने न केवल अमेरिकी उपभोक्ताओं को प्रभावित किया है, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को भी हिलाकर रख दिया है। भारत जैसे देशों के लिए, जो अमेरिका के साथ मजबूत व्यापारिक संबंध रखते हैं, यह टैरिफ एक बड़ा झटका है। इसके जवाब में, भारत सरकार भी जवाबी टैरिफ या व्यापारिक रणनीतियों पर विचार कर सकती है, जिससे वैश्विक व्यापार में और तनाव बढ़ सकता है।