नई दिल्ली / उन्नाव दुष्कर्म, सुप्रीम कोर्ट-पीड़िता और उसके परिजनों को सुरक्षा मिले, उप्र सरकार 25 लाख मुआवजा दे

Dainik Bhaskar : Aug 01, 2019, 04:18 PM
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव की दुष्कर्म पीड़िता की 12 जुलाई को चीफ जस्टिस को लिखी चिट्ठी पर गुरुवार को सुनवाई की। इस दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिए कि पीड़ित और उसके परिजनों को सुरक्षा मुहैया कराई जाए। इसके अलावा अंतरिम राहत के तौर पर 25 लाख मुआवजा भी दिया जाए। कोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता से जुड़े सभी मामले दिल्ली ट्रांसफर करने के आदेश दिए। इसके अलावा सीबीआई को निर्देश दिया कि सड़क हादसे की जांच 7 दिन के भीतर और बाकी मामलों की सुनवाई 45 दिन के भीतर पूरी की जाए।

पीड़िता 28 जुलाई को परिवार के साथ कार से उन्नाव से रायबरेली जा रही थी, जब एक ट्रक ने सामने से टक्कर मार दी। हादसे में पीड़िता की मौसी और चाची की मौत हो गई। पीड़िता वेंटिलेटर पर है। सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है।

कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा- देश में आखिर चल क्या रहा है?

सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि इस हादसे की जांच के लिए आपको कितना वक्त चाहिए। जब सॉलिसिटर जनरल ने एक महीने का वक्त मांगा तो चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि एक महीना नहीं, 7 दिन में जांच कीजिए। सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म मामले से जुड़े घटनाक्रमों पर भी नाराजगी जताई और कहा, ‘‘इस देश में आखिर हो क्या रहा है? कुछ भी कानून के हिसाब से नहीं हो रहा।’’

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा- पीड़ित को अंतरिम राहत के तौर पर उत्तर प्रदेश सरकार 25 लाख रुपए मुआवजा दे। इसके अलावा पीड़ित, उसके वकील, पीड़ित की मां, उसके 4 भाई-बहनों, उसके चाचा और उन्नाव में बेहद करीबी रिश्तेदारों को सुरक्षा दी जाए।

वेंटिलेंटर पर है पीड़िता, हालत नाजुक

चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान पूछा कि पीड़िता की स्थिति अभी कैसी है। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि वह वेंटिलेंटर पर है। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि क्या उसे कहीं शिफ्ट किया जा सकता है? क्या उसे एयरलिफ्ट किया जा सकता है? हम एम्स से इस बारे में पूछ सकते हैं। डॉक्टरों ने बताया कि पीड़िता की हालत अभी नाजुक है।

दुष्कर्म पीड़िता ने धमकियां मिलने पर चीफ जस्टिस को 12 जुलाई को पत्र लिखा था

12 जुलाई को चीफ जस्टिस गोगोई को लिखे गए पत्र में पीड़िता और उसकी मां ने सुरक्षा की गुहार लगाई थी। इसमें लिखा था- उन लोगों पर एक्शन लिया जाए, जो उसे धमकाते हैं। लोग घर आकर केस वापस लेने की धमकी देते हैं। कहते हैं कि अगर ऐसा नहीं किया तो झूठे केस में फंसाकर जिंदगीभर जेल में बंद करवा देंगे। हालांकि, यह चिट्ठी चीफ जस्टिस की जानकारी में नहीं लाई गई। बुधवार को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के सेक्रेटरी जनरल से इस बारे में सवाल किए। सेक्रेटरी जनरल ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में हर महीने औसतन 5 हजार पत्र आते हैं। रजिस्ट्री को जुलाई में 6,900 लेटर मिले हैं। इनमें से 1,100 पत्र याचिकाएं थीं। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक इनकी स्क्रीनिंग की गई थी। इस मामले में रजिस्ट्री को पीड़िता के नाम तक की जानकारी नहीं मिली। 

2017 में दुष्कर्म हुआ था

लड़की से 2017 में सामूहिक दुष्कर्म हुआ था। आरोप है कि विधायक सेंगर और अन्य ने नौकरी दिलाने के बहाने लड़की से दुष्कर्म किया। पीड़िता उस वक्त नाबालिग थी। बाद में पीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में मौत हो गई। आरोप है कि उसके पिता से विधायक ने ही मारपीट की थी। पिता की मौत के बाद पीड़िता ने लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्मदाह की कोशिश की थी। इसके बाद एसआईटी को जांच सौंपी गई थी। अभी जांच सीबीआई के पास है। इस बीच, बुधवार को भाजपा ने विधायक सेंगर को पार्टी से निष्कासित कर दिया। सेंगर अभी जेल में है।

दुष्कर्म मामले में अब तक 5 एफआईआर

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म मामले की जानकारी ली। सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि दुष्कर्म से जुड़े मामले में 4 एफआईआर हुई थीं। ये आरोपियों और पीड़ित पक्ष ने एकदूसरे के खिलाफ दर्ज कराई हैं। पांचवीं एफआईआर रायबरेली में हुए कार एक्सीडेंट से जुड़ी है। पांच में से तीन मामलों में चार्जशीट दायर हो चुकी है।

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