परिवहन विभाग ने एक महत्वपूर्ण और उपभोक्ता-हितैषी पहल करते हुए वाहनों। के रजिस्ट्रेशन नंबर को पोर्ट करने की सुविधा शुरू की है। यह सुविधा बिल्कुल मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (MNP) की तरह काम करेगी, जिससे वाहन मालिकों को अपने पसंदीदा या पुराने नंबर को नए वाहन पर बनाए रखने का अवसर मिलेगा। इस नई व्यवस्था से जहां वाहन मालिकों को सहूलियत होगी, वहीं सरकार की स्क्रैप पॉलिसी को भी बल मिलेगा।
कैसे काम करेगी यह सुविधा?
इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए वाहन मालिक को सबसे पहले अपने पुराने वाहन को एक अधिकृत स्क्रैप सेंटर में बेचना होगा। स्क्रैप सेंटर वाहन को डिस्मेंटल करने के बाद एक सर्टिफिकेट जारी करेगा और यदि वाहन मालिक चाहता है कि उसका पुराना रजिस्ट्रेशन नंबर उसके पास ही रहे, तो उसे इस स्क्रैप सर्टिफिकेट के साथ परिवहन विभाग में आवेदन करना होगा। आवेदन के आधार पर, विभाग पुराने वाहन के नंबर को नए वाहन के लिए आवंटित कर देगा। सबसे खास बात यह है कि इस प्रक्रिया के लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा, जो पहले मनचाहे नंबर के लिए देना पड़ता था।
पसंदीदा नंबर और VIP नंबर की पुरानी व्यवस्था
पहले, यदि कोई वाहन मालिक अपनी पसंद का नंबर चाहता था, तो उसे एमपी ऑनलाइन या वाहन डीलर के माध्यम से परिवहन विभाग की वेबसाइट पर नंबर का चयन करना होता था। इसके लिए उसे 2,500 से 5,000 रुपये तक का शुल्क चुकाना पड़ता था और वहीं, वीआईपी नंबरों के लिए वेबसाइट पर ऑक्शन (नीलामी) में भाग लेना होता था, जिसमें सबसे ऊंची बोली लगाने वाले को नंबर आवंटित किया जाता था। नई सुविधा इस अतिरिक्त शुल्क की आवश्यकता को समाप्त कर देगी, बशर्ते नंबर पुराने वाहन से पोर्ट किया जा रहा हो।
स्क्रैप पॉलिसी को मिलेगा बढ़ावा
यह नई सुविधा सरकार की स्क्रैप पॉलिसी (वाहन कबाड़ नीति) को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। 2021-22 के आम बजट में घोषित इस नीति का उद्देश्य 15 साल से अधिक पुराने सरकारी और निजी वाहनों तथा 20 साल से अधिक पुराने कमर्शियल वाहनों को सड़कों से हटाना है। पिछले एक दशक में लाखों नए वाहन सड़कों पर आए हैं, और पुराने वाहनों को हटाने की प्रक्रिया धीमी रही है। नंबर पोर्टेबिलिटी की यह सुविधा पुराने वाहनों को स्क्रैप कराने के लिए एक प्रोत्साहन के रूप में काम करेगी, जिससे पर्यावरण और सड़क सुरक्षा दोनों को लाभ होगा।