राजस्थान में भजनलाल सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता दिखाते हुए एक बड़ा कदम उठाया है। विधायक निधि में कथित कमीशनखोरी के आरोपों को लेकर सामने आई खबरों और स्टिंग ऑपरेशन के वीडियो के बाद, सरकार ने तत्काल प्रभाव से दो बड़े अधिकारियों पर गाज गिराई है। यह कार्रवाई नागौर और करौली जिलों में शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों के खिलाफ की गई है, जिससे। यह स्पष्ट संदेश गया है कि भ्रष्टाचार के मामलों में किसी भी स्तर पर कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी।
कमीशनखोरी के आरोपों पर कार्रवाई
यह पूरा मामला विधायक निधि से कराए गए कार्यों में अनियमितता और कमीशन की मांग से जुड़ा है। एक स्थानीय समाचार पत्र में इस संबंध में विस्तृत खबर प्रकाशित हुई थी, जिसमें विधायक निधि के दुरुपयोग और कमीशनखोरी के गंभीर आरोप लगाए गए थे। इस खबर के साथ ही एक स्टिंग ऑपरेशन का वीडियो भी सामने आया, जिसने पूरे मामले को और गरमा दिया। वीडियो में कथित तौर पर बीजेपी, कांग्रेस और एक निर्दलीय विधायक को कमीशन की बात करते हुए दिखाया गया था, जिसके बाद सरकार पर कार्रवाई का दबाव बढ़ गया था।

मूंडवा के एसीबीईओ पर गाज
कार्रवाई के तहत, नागौर जिले के मूंडवा में कार्यरत एसीबीईओ (सहायक मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी) एवं कार्यवाहक मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कैलाश राम को निलंबित कर दिया गया है। शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार, कैलाश राम पर विधायक निधि से स्वीकृत कार्यों के एवज में कमीशन और सामान की मांग करने का आरोप है। विभाग ने इस बात पर जोर दिया है कि उनके इस कृत्य से न केवल सरकारी सेवा की गरिमा को ठेस पहुंची है, बल्कि शिक्षा विभाग की छवि भी धूमिल हुई है। यह स्पष्ट रूप से लोकसेवक आचरण संहिता का उल्लंघन माना गया है। निलंबन के बाद कैलाश राम को जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) बांसवाड़ा से अटैच किया गया है, जहां उन्हें नियमानुसार निर्वाह भत्ता देय होगा।
करौली के डीईओ भी निलंबित
इसी कड़ी में, करौली जिले के जिला शिक्षा अधिकारी (प्राथमिक शिक्षा–मुख्यालय)। पुष्पेन्द्र कुमार शर्मा के खिलाफ भी बड़ा एक्शन लिया गया है। उन्हें भी तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है और उनके खिलाफ राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम, 1958 के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई है। पुष्पेन्द्र शर्मा के निलंबन अवधि के दौरान उनका मुख्यालय निदेशक, माध्यमिक शिक्षा, राजस्थान बीकानेर रहेगा। उन्हें भी नियमानुसार निर्वाह भत्ता प्रदान किया जाएगा। शिक्षा विभाग ने पुष्पेन्द्र शर्मा को “पदस्थापन आदेशों की प्रतीक्षा” में रखे जाने संबंधी पूर्व आदेश को। भी निरस्त कर दिया है, जो यह दर्शाता है कि यह कार्रवाई कितनी गंभीरता से ली गई है।
स्टिंग ऑपरेशन का खुलासा
इस पूरे मामले की जड़ में एक स्टिंग ऑपरेशन है, जिसमें। विधायक निधि से कमीशन खाने को लेकर बातचीत रिकॉर्ड की गई थी। इस स्टिंग ऑपरेशन के वीडियो में खींवसर विधानसभा क्षेत्र के विधायक रेवंत राम डांगा कथित तौर पर कमीशन की बात करते हुए नजर आए थे। यह वीडियो सामने आने के बाद राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाजें तेज हो गईं। समाचार पत्र में प्रकाशित खबर ने इस मामले को और अधिक सार्वजनिक किया, जिससे सरकार पर त्वरित कार्रवाई का दबाव बढ़ा।
खींवसर विधायक का खंडन
हालांकि, स्टिंग ऑपरेशन के वीडियो से मामला गरमाने के बाद खींवसर से बीजेपी विधायक रेवंत राम डांगा ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया में आरोपों को निराधार और गलत बताया। डांगा ने स्पष्ट किया कि वह व्यक्ति, जिसने स्टिंग ऑपरेशन किया था, उनके पास पहले भी चार बार आ चुका था और कुछ दिन पहले भी आया था। विधायक के अनुसार, वह व्यक्ति बार-बार उनसे स्वीकृति के बारे में बात कर रहा था, लेकिन उन्होंने उसे स्पष्ट रूप से मना कर दिया था। उन्होंने यह भी कहा कि स्वीकृतियां गांव वालों की मांग और धरातल स्तर पर जनप्रतिनिधियों तथा गांव के। लोगों से पूछ-समझकर, उनकी मांग के अनुरूप ही निकाली जाती हैं, न कि किसी व्यक्तिगत लाभ के लिए।
अन्य विधायकों पर भी आरोप
खींवसर विधायक रेवंत राम डांगा के अलावा, स्टिंग ऑपरेशन के वीडियो में हिंडौन से कांग्रेस विधायक अनीता जाटव और बयाना (भरतपुर) से निर्दलीय विधायक ऋतु बनावत भी कथित तौर पर विधायक निधि में भ्रष्टाचार को लेकर बातचीत करती हुई नजर आई थीं और इन तीनों विधायकों के नाम सामने आने से यह मामला और भी व्यापक हो गया, जिसमें विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों पर सवाल उठे। समाचार पत्र में प्रकाशित खबर ने इन सभी पहलुओं को उजागर किया,। जिससे जनता के बीच विधायक निधि के उपयोग को लेकर चिंताएं बढ़ गईं।
सरकारी सेवा की गरिमा पर सवाल
इस प्रकार के आरोप और उन पर हुई कार्रवाई सरकारी सेवा की गरिमा और विभाग की छवि पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं और लोकसेवक आचरण संहिता का उल्लंघन न केवल संबंधित अधिकारी के लिए व्यक्तिगत रूप से हानिकारक है, बल्कि यह पूरे प्रशासनिक ढांचे में जनता के विश्वास को भी कमजोर करता है। भजनलाल सरकार द्वारा की गई यह त्वरित कार्रवाई यह दर्शाती है कि वह पारदर्शिता और जवाबदेही के प्रति गंभीर है और किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करेगी और यह कदम अन्य अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के लिए भी एक चेतावनी है कि वे अपने कर्तव्यों का निर्वहन ईमानदारी और निष्ठा के साथ करें।