- भारत,
- 16-Apr-2025 02:20 PM IST
Waqf Amendment Bill: भारत में वक्फ संशोधन कानून को लेकर इन दिनों गहमागहमी चरम पर है। संसद से पारित होकर राष्ट्रपति की मंजूरी पाने के बाद यह कानून कानूनी रूप से देशभर में लागू हो चुका है, लेकिन इसका सबसे तीखा विरोध पश्चिम बंगाल में देखने को मिल रहा है। राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस मुद्दे को लेकर न सिर्फ मुखर हैं, बल्कि इसके खिलाफ खुला मोर्चा भी खोल चुकी हैं।
नेताजी इंडोर स्टेडियम में ममता की हुंकार
कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में ममता बनर्जी ने मुस्लिम धर्मगुरुओं और इमामों से मुलाकात की और वक्फ कानून के खिलाफ आगामी रणनीति पर मंथन किया। इस बैठक में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रमुख सैफुल्लाह रहमानी, महासचिव फज़लुर्रहीम मुजद्दीदी, कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम समेत कई प्रभावशाली धार्मिक और सामाजिक नेता शामिल हुए।
ममता बनर्जी ने अपने संबोधन में केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “बंगाल को यूपी और बिहार के झूठे वीडियो दिखाकर बदनाम किया जा रहा है। यह सब एक साजिश है। बीजेपी फेक न्यूज और मीडिया के ज़रिए बंगाल की छवि धूमिल करना चाहती है।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अगर भारतीय जनता पार्टी सत्ता से बाहर होती है, तो वक्फ संशोधन कानून को रद्द किया जाएगा। ममता ने इमामों और पुरोहितों दोनों को सम्मान देने की बात कही और रवींद्रनाथ टैगोर की विचारधारा को अपनी प्रेरणा बताया।
सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला
ममता बनर्जी की पार्टी, तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने संसद में वक्फ संशोधन बिल का पुरजोर विरोध किया था। अब जब यह कानून पास होकर लागू हो चुका है, तो पार्टी की नेता महुआ मोइत्रा ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। कोर्ट में इस कानून को धार्मिक स्वतंत्रता और संविधान के खिलाफ करार देते हुए इसे निरस्त करने की मांग की गई है।
मुस्लिम समाज की चिंता और सड़कों पर प्रदर्शन
वक्फ कानून के खिलाफ सड़कों पर भी विरोध प्रदर्शन जारी हैं, खासकर बंगाल में। मुस्लिम समाज इसे शरीयत का हिस्सा मानता है और सरकार की किसी भी दखलंदाज़ी को अस्वीकार कर रहा है। समाज का कहना है कि वक्फ संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण न सिर्फ धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप है, बल्कि यह संवैधानिक अधिकारों का भी उल्लंघन है।
बंगाल में कानून लागू नहीं होने देंगे: ममता
ममता बनर्जी ने दो टूक कहा है कि यह कानून पश्चिम बंगाल में लागू नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने इसे "धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला" करार देते हुए दावा किया कि यह सिर्फ मुस्लिम समाज के नहीं, बल्कि भारतीय संविधान के खिलाफ भी है।