- भारत,
- 06-Jul-2025 08:40 AM IST
India-US Trade Deal: भारत और अमेरिका के बीच चल रही ट्रेड डील की बातचीत अब अपने आखिरी दौर में है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 90 दिन के लिए टैरिफ रोकने का ऐलान किया था, जो 9 जुलाई 2025 को समाप्त हो रहा है। इस बीच, भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने स्पष्ट किया है कि भारत किसी दबाव में ट्रेड डील नहीं करेगा। यह डील तभी होगी, जब यह पूरी तरह से भारत के हित में हो। जब ट्रंप ने टैरिफ की घोषणा की थी, तब वैश्विक और भारतीय शेयर बाजारों में दबाव देखने को मिला था। आइए, समझते हैं कि यह डील भारत के लिए कितनी महत्वपूर्ण है और इसका शेयर बाजार पर क्या असर पड़ सकता है।
बातचीत का ताजा अपडेट
हाल ही में भारतीय टीम वाशिंगटन से बातचीत कर लौटी है। पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, दोनों देशों के बीच एक अंतरिम ट्रेड डील पर चर्चा हुई, लेकिन कृषि और ऑटो सेक्टर में कुछ मुद्दे अभी भी अनसुलझे हैं। यदि ये मुद्दे सुलझ जाते हैं, तो कई भारतीय सेक्टर्स को इसका फायदा मिल सकता है।
शेयर बाजार पर क्या होगा असर?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील फाइनल हो जाती है, तो शेयर बाजार में तेजी देखने को मिल सकती है। आनंद राठी ग्रुप के चीफ इकोनॉमिस्ट सुजन हाजरा के अनुसार, इस डील से विदेशी निवेशकों का भरोसा भारतीय बाजारों पर बढ़ेगा, जिससे शेयर बाजार में पूंजी का प्रवाह होगा और भारतीय रुपये की वैल्यू भी मजबूत हो सकती है। हालांकि, अगर डील उम्मीदों पर खरी नहीं उतरती, तो बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ सकता है। खासकर टेक्सटाइल और फार्मास्यूटिकल्स जैसे निर्यात आधारित सेक्टर्स को नुकसान हो सकता है।
किन सेक्टर्स पर रहेगी नजर?
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ट्रेड डील का सबसे ज्यादा फायदा निम्नलिखित सेक्टर्स को हो सकता है:
आईटी: तकनीकी निर्यात में वृद्धि की संभावना।
फार्मास्यूटिकल्स: 2023 में अमेरिका को 8 बिलियन डॉलर का फार्मा निर्यात हुआ था, जो टैरिफ कम होने पर और बढ़ सकता है।
ऑटो कंपोनेंट्स: ऑटो सेक्टर को नए बाजार और अवसर मिल सकते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक्स: 2023 में 6.6 बिलियन डॉलर का निर्यात हुआ, जिसमें और वृद्धि संभव है।
टेक्सटाइल: 2023 में 9.7 बिलियन डॉलर का निर्यात, जो डील के बाद और बढ़ सकता है।
INVasset PMS के बिजनेस हेड हर्षल दसानी का कहना है कि टेक्सटाइल, फार्मा और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर्स को बाजार में ज्यादा मौके मिलेंगे। हालांकि, कृषि और डेयरी सेक्टर में चुनौतियां बनी रह सकती हैं, क्योंकि टैरिफ स्ट्रक्चर अभी भी एक बड़ा मुद्दा है। इसके अलावा, डील से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में भी बढ़ोतरी हो सकती है। FY 2024-25 में FDI में 14% की बढ़ोतरी हुई थी, जिसमें सर्विस सेक्टर को बड़ा हिस्सा मिला था।
निवेशकों के लिए सुझाव
मिंट की एक रिपोर्ट में बोनांजा के सीनियर रिसर्च एनालिस्ट नितिन जैन सुझाव देते हैं कि निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए। बैंकिंग और FMCG जैसे डोमेस्टिक सेक्टर्स में निवेश सुरक्षित हो सकता है, क्योंकि ये वैश्विक उतार-चढ़ाव से कम प्रभावित होते हैं। मेटल्स और कैपिटल गुड्स जैसे ग्लोबल सप्लाई चेन से जुड़े सेक्टर्स में सावधानी बरतनी चाहिए। गोल्ड से जुड़े ETFs या डिफेंसिव इनवेस्टमेंट्स भी अस्थिरता को कम करने में मदद कर सकते हैं। अगर बाजार में हल्का करेक्शन आता है, तो लॉन्ग-टर्म के लिए अच्छे स्टॉक्स में निवेश का मौका बन सकता है।