देश / बेंगलुरु को क्यों शुरुआत में कोविड-19 रोकने में मिली कामयाबी, बाद में बदल गई नाकामी में

News18 : Aug 27, 2020, 06:26 AM
बेंगलुरू। 9 जून को, कर्नाटक के स्वास्थ्य शिक्षा मंत्री (Health Education Minister of Karnataka) ने ट्विटर (Twitter) पर एक इन्फोग्राफिक पोस्ट किया था, जिसमें कोविड-19 संक्रमण (Covid-19 Infection) के मामले और मौतें दिखाई गई थीं। इसमें देखा जा सकता था कि बेंगलुरु शहर (Bengaluru City) में मौतें न्यूजीलैंड में आधी दर से चल रही थीं। जबकि न्यूजीलैंड एक ऐसा देश है, जिसकी महामारी (Pandemic) से निपटने के लिए बहुत तारीफ हो चुकी है। जबकि बेंगलुरु एक ऐसा शहर है जिसकी न्यूजीलैंड (New Zealand) की जनसंख्या दोगुनी से अधिक है।

कर्नाटक के स्वास्थ्य शिक्षा मंत्री (Health Education Minister) के सुधाकर ने जो फोटो पोस्ट की थी, उसके कैप्शन में लिखा था- "कीवियों (Kiwis) को हरा दिया।" उनके इस ट्वीट (Tweet) को हजारों लोगों ने लाइक और रीट्वीट किया था। लेकिन ये खुशी ज्यादा देर नहीं टिक सकी। उस समय, भारत में 2,60,000 से अधिक मामले थे और न्यूजीलैंड (New Zealand) में लगभग 1,150 मामले थे। जबकि इनकी तुलना में 1।25 करोड़ से अधिक बेंगलुरु की आबादी के बीच नये कोरोना वायरस (Coronavirus) के लगभग 450 मामले ही दर्ज किए गए थे।

इस तरह से मिली थी बेंगलुरु को सफलता

आंशिक रूप से एक उच्च तकनीक परीक्षण और ट्रेसिंग प्रणाली का श्रेय जाता था। जिसके जरिए "वॉर रूम" में विशाल स्क्रीन देखते मास्क पहने अधिकारी शहर की निगरानी कर मामलों पर रोक लगाने में सफल रहे थे। बेंगलुरु ने मुंबई जैसे शहरों की तुलना में बेहतर तरीके से कोरोना प्रकोप का प्रबंधन किया था। बेंगलुरु के मामलों की तुलना में मुंबई का केस लोड 100 गुना से भी अधिक था।

इससे ढाई महीने बाद अपनी टेक कंपनियों और स्टार्टअप्स के चलते भारत की सिलिकॉन वैली करार दिये जा चुके बेंगलुरु में 1,10,000 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। जहां जून की शुरुआत में संक्रमण के मामले औसतन 25 प्रति दिन के हिसाब से बढ़ रहे थे, अब यह दर 2,500 से अधिक हो गई है। जबकि न्यूजीलैंड में, 25 अगस्त तक कुल केस लोड 1,339 था।

वहीं सुधाकर ने अपने ट्वीट्स को लेकर बात नहीं की है और अभी उनका ट्वीट सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मौजूद है। बेंगलुरु की शुरुआती सफलता को लेकर उसके मॉडल की केद्र ने भी तारीफ की थी।


कर्फ्यू और संपर्क-ट्रेसिंग

मार्च के अंत में, भारत ने दुनिया के सबसे सख्त लॉकडाउन में से एक लगाया था। कर्नाटक राज्य अपने उपायों में इससे भी आगे था।

इसने सॉफ्टवेयर लॉबी नैस्कॉम के साथ मिलकर आधा दर्जन आईटी फर्मों से 150 कर्मचारियों को जुटाकर एक केंद्रीय प्रणाली में 20,000 अंतरराष्ट्रीय यात्री रिकॉर्ड हर दिन जांचे। कर्नाटक ने एक विशाल स्वास्थ्य सर्वेक्षण किया। लगभग 1 करोड़ 60 लाख घरों का सर्वेक्षण करते हुए, 40,000 से अधिक सरकारी स्वास्थ्य कर्मचारी गुलाबी वर्दी और मास्क पहने पूरे में राज्य को घूमे।

केंद्र सरकार की एक स्टडी के मुताबिक कर्नाटक ने 22 जनवरी से 30 अप्रैल के बीच हर कोविड-19 संक्रमित रोगी के 47।4 कॉन्टैक्ट्स की जांच की थी। जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह औसत सिर्फ 6 था।


पड़ोसी राज्यों से आने वाले लोगों ने बढ़ाया खतरा

लेकिन जून में लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील दी गई। लोग नए सिरे से उपज और फूल आदि बेचने बाजारों में वापस आ गए। अधिकारियों का कहना है कि स्थानीय लोगों के अलावा महाराष्ट्र और तमिलनाडु से दसियों हज़ार यात्री अनजाने में वायरस लेकर आ रहे हैं। इन पड़ोसी राज्यों को भारत में कोविड-19 ने सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है।

बेंगलुरु के 'वॉर रूम' को चलाने वाली एक अधिकारी कोरलपति ने कहा कि जून के अंत से, बेंगलुरू उन क्षेत्रों को सील कर रहा है जहां मामलों में उछाल आता हैं। इस प्रक्रिया में प्रवेश और निकास बिंदुओं पर बैरिकेड्स लगाना शामिल है- जिससे पूरा पड़ोस क्वारंटाइन हो जाता है।

उन्होंने कहा, "संपर्क की तेजी से जांच और होम आइसोलेशन ही प्रसार को रोकने का तरीका है। इसे बहुत गंभीरता से लिया जा रहा है और अभी किया जा रहा है।"

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