लद्दाख में LAC पर तनाव / चीन को आखिरी जंग याद क्यों दिला रहे भारतीय

NavBharat Times : May 27, 2020, 09:43 PM
लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर 5 मई से जारी तनावपूर्ण माहौल में भारत उकसावे की कोई बात नहीं कर रहा, लेकिन चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने अपने सैनिकों को युद्ध के लिए तैयार रहने की बात कर भारतीयों को जरूर उकसा दिया है। चीनी राष्ट्रपति की इस हरकत के बाद भारतीयों का गुस्सा फूट पड़ा और लोग ट्विटर पर चीन को 1967 की लड़ाई याद दिलाने लगे। #chinaindiaborder और #IndiaChinaFaceOff के जरिए ट्विटर पर लोग चीन को भारत के साथ 1967 की आखिरी लड़ाई की याद दिला रहे हैं।

पढ़िए, आखिर उस लड़ाई में हुआ क्या था

दरअसल, 1967 में भारत और चीन के बीच ऐसा आखिरी सैन्य संघर्ष हुआ था जिसमें दोनों तरफ के सैनिक मारे गए थे। सिक्किम में हुए उस सैन्य संघर्ष की खास बात थी कि 1962 में चीन के साथ युद्ध में भारत को निराशा हाथ लगी थी, लेकिन सिर्फ पांच वर्षों के बाद ही भारत ने चीन को सबक सिखा दिया था। 1967 के युद्ध में चीन के 400 सैनिक मारे गए तो भारत के सिर्फ 90 सैनिक शहीद हुए थे।

गौर करने वाली बात यह है कि तब सिक्किम पूर्ण रूप से भारत में शामिल नहीं हुआ था और वहां राजशाही चल रही थी। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि चीन को उस वक्त यह बात खल रही थी कि सिक्किम का भारत में पूर्ण विलय नहीं हुआ है तो वहां भारत की सेना क्यों है?

1967 की लड़ाई की वजह क्या थी

चीनी सैनिकों ने 13 अगस्त, 1967 को नाथू ला में भारतीय सीमा से सटे इलाके में गड्ढे खोदने शुरू कर दिए थे। जब भारतीय सैनिकों ने देखा कि कुछ गड्ढे सिक्किम के अंदर खोदे जाने लगे तो उन्होंने चीनी लोकल कमांडर से अपने सैनिकों को पीछे ले जाने को कहा। उधर, 1 अक्टूबर 1967 को नाथू ला से उत्तर की तरफ कुछ किमी दूर चो ला में दोनों सैनिकों के बीच भिड़ंत हो गई। इसका कारण यह था कि चीनी सैनिकों ने सिक्किम की सीमा में अतिक्रमण किया जिसके जवाब में भारतीय सैनिकों ने आक्रामक रुख अपनाया।

भारत ने चीन का किया ज्यादा नुकसान

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, जगह-जगह हुई खूनी झड़पों में 88 भारतीय सैनिक शहीद हो गए जबकि 163 सैनिक जख्मी हो गए थे। उधर, चीनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के करीब 400 सैनिक मारे गए जबकि 450 सैनिक घायल हो गए। भारतीय सैनिकों ने नाथू ला में चीनी सैनिकों के कई अस्थाई किले नष्ट कर दिए थे। उस संघर्ष में भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों के ऊपर 1962 के युद्ध का नशा पूरी तरह उतार दिया था। यही वजह है कि ट्विटर पर चीन को आज 1967 की वो लड़ाई याद दिलाने की मांग उठ रही है।

जब चीनी दूतावास के बाहर भेड़ लेकर पहुंचे थे वाजपेयी

1967 के भारत-चीन संघर्ष से जुड़ा एक बड़ा दिलचस्प वाकया है। दरअसल, चीनी सैनिकों ने आरोप लगाया था कि भारतीय सैनिकों ने उनकी कुछ भेड़ें जबर्दस्ती अपने कब्जे में ले ली। इस आरोप के विरोध में अटल बिहारी वाजपेयी ने नई दिल्ली के शांतिपथ स्थित चीनी दूतावास के आगे भेड़ों का एक झुंड उतार दिया था। वाजपेयी तब 43 वर्ष के थे और संसद सदस्य थे।

मोरारजी देसाई ने कहा था, भारत को पिछलग्गू बनाना चाहता है चीन

तत्कालीन उपप्रधानमंत्री मोरारजी देसाई जब 13 सितंबर, 1967 को अमेरिका गए तो वहां मीडिया के सवालों के जवाब में कहा था, 'वो (चीनी) मुख्य रूप से इसलिए बौखलाए हुए हैं क्योंकि हम उनके दबाव के आगे झुक नहीं रहे। वो चाहते हैं कि हम उनके पिछलग्गू बन जाएं और पहले एशिया, फिर दुनिया में दबदबा कायम करने में हम उनकी मदद करें।' मोरारजी के इस बयान से स्पष्ट है कि चीन को हमेशा ही दबाव की नीति पर भरोसा रहा है और यह भी स्पष्ट है कि भारत हमेशा उसके इस दांव पर पानी फेर देता है।

लद्दाख और सिक्किम में हिंसक झड़प के बाद तनाव

भारत और चीन के बीच की सीमा के रूप में करीब 3,500 किमी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) है। पूर्वी लद्दाख और उत्तरी सिक्किम के कुछ इलाकों में भारत और चीन, दोनों तरफ से सैनिकों की तादाद बढ़ाई जा रही है, जिससे साफ संकेत मिलते हैं कि इलाके में हालात सामान्य नहीं हैं। 5 मई को लद्दाख और फिर 9 मई को सिक्किम में दोनों तरफ के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। लद्दाख में तो दोनों तरफ के करीब 250 सैनिकों को चोटें आई थीं जबकि सिक्किम में करीब 10 सैनिक जख्मी हुए थे।

SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER