'INDIA' Alliance / क्या लोकसभा चुनाव तक INDIA गठबंधन की दरारें भर पाएंगी?

इंडिया (I.N.D.I.A.) गठबंधन में कांग्रेस अपने को लीड रोल में मान कर चल रही है. नवंबर में होने जा रहे पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में वह गठबंधन के साथी दलों से कोई बात नहीं कर रही है. मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में उसने गठबंधन में शामिल उन दलों से भी बात नहीं की, जिनका खासा वोट इन राज्यों में है. मध्य प्रदेश की कई विधानसभा सीटों पर समाजवादी पार्टी का असर है. बुंदेलखंड और भिंड में कई विधानसभा सीटों पर सपा

'INDIA' Alliance: इंडिया (I.N.D.I.A.) गठबंधन में कांग्रेस अपने को लीड रोल में मान कर चल रही है. नवंबर में होने जा रहे पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में वह गठबंधन के साथी दलों से कोई बात नहीं कर रही है. मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में उसने गठबंधन में शामिल उन दलों से भी बात नहीं की, जिनका खासा वोट इन राज्यों में है. मध्य प्रदेश की कई विधानसभा सीटों पर समाजवादी पार्टी का असर है. बुंदेलखंड और भिंड में कई विधानसभा सीटों पर सपा का न सिर्फ वोट है, बल्कि 2018 में उसे यहां से एक सीट मिली थी तथा कई सीटों पर वह नंबर दो अथवा तीन पर रही थी.

फिर कांग्रेस पीछे हटी

मध्य प्रदेश में कांग्रेस नेता कमलनाथ ने जिस तरह सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को अखिलेश-वखिलेश कहा था, और उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने अखिलेश पर टिप्पणी करते हुए कहा, कि जो अपने बाप का न हुआ वह गठबंधन का क्या होगा! ऐसी टिप्पणियों से आहत होकर अखिलेश यादव ने बया दिया, कि जब विधानसभा में यह स्थिति है तो लोकसभा चुनाव के समय क्या होगा?

हालांकि बाद में राहुल गांधी द्वारा खेद-प्रकट किए जाने से अखिलेश का ग़ुस्सा शांत हो गया, फिर भी मध्य प्रदेश से उनके उम्मीदवार लड़ेंगे, ऐसा कहा जा रहा है. अगर नरेंद्र मोदी को टक्कर देने के लिए कांग्रेस आतुर है तो उसे विधानसभा चुनाव के समय अड़ना नहीं चाहिए. क्योंकि उसे लोकसभा चुनाव के लिए सारी ताक़त बचा कर रखनी है. मगर कांग्रेस के क्षेत्रीय क्षत्रप अपने प्रदेशों से आगे नहीं बढ़ पाते.

क्यों बौखलाई कांग्रेस?

इस बौखलाहट में कमलनाथ और अजय राय ने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के विरुद्ध अनर्गल और अभद्र टिप्पणियां कीं. सपा के बाद अब जदयू ने भी मध्य प्रदेश के लिए जारी अपनी पहली सूची में पांच प्रत्याशियों के नाम घोषित कर दिए हैं. इससे कमल नाथ फिर बौखला गए हैं. जदयू ने चंद्रपाल यादव को पिछोर विधानसभा सीट से प्रत्याशी घोषित किया है. इनके अलावा रामकुंवर रैकवार को राजनगर, शिव नारायण सोनी को विजय राघवगढ़, तोल सिंह भूरिया को थांदला और रामेश्वर सिंघार को पेटलावद से चुनावी मैदान में उतारा है.

वोट बैंक है तो कलह भी उतनी

कांग्रेस के पास अभी कुछ राज्यों की विधानसभाओं के लिए भी वोट बैंक है और उसकी वजह है, यहां पर क्षेत्रीय दलों का न होना या कमजोर होना. दक्षिण भारत में कर्नाटक है तो उत्तर भारत में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान है. गुजरात में भाजपा का मुक़ाबला वह अपने बूते कर सकती है. किंतु शेष प्रदेशों में उसे क्षेत्रीय दलों का सहारा लेना पड़ेगा. उत्तर प्रदेश में पिछले 34 वर्षों से वह सत्ता से बाहर है, फिर भी जिस तरह से बसपा अपना आधार वहाँ खो रही है, उससे उसके लिए उम्मीद बनती तो है.

यद्यपि यहां भाजपा का मुख्य प्रतिद्वंदी दल सपा है. इसलिए सपा के साथ उसको चतुर समीकरण बिठाने होंगे. मुस्लिम वोट यहां 19 से 20 प्रतिशत के बीच हैं और सपा का मुस्लिम आधार खोता जा रहा है. आज की तारीख़ में सपा का मुख्य आधार सिर्फ़ यादव वोट हैं.

कब तक भारी जाएंगी दरारें

बिहार में वह पूरी तरह लालू पर निर्भर है. नीतीश का कोई भरोसा नहीं. यूं भी वे बयान दे चुके हैं कि भाजपा के साथ उसके मित्रवत् संबंध आज भी हैं. इसलिए यह नहीं पता कि लोकसभा चुनाव आते-आते वे कौन-सा गुल खिला दें. तृणमूल कांग्रेस साथ में है लेकिन ध्यान रखिए, कि ममता बनर्जी ने ही सबसे पहले स्टालिन के बेटे उदयनिधि के सनातन पर भाषण वाले विवाद से किनारा किया था.