लॉकडाउन / 6 दिन में चले 350 Km, 300 और जाना है, मजदूरों का दर्द बयां कर रहीं ये तस्वीरें

25 मार्च से पूरा देश लॉकडाउन है। कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण से निपटने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से ये फैसला किया गया था। मजदूर रोजाना कमाते थे और रोजाना खाते थे। लॉकडाउन में अपने जीवन पर संकट देख देशभर के तमाम हिस्सों में रहने वाले दिहाड़ी मजदूर परिवार के साथ अपने घर-गांव की तरफ निकल पडे़। लॉकडाउन में यातायात के साधन बंद थे तो ये पैदल ही अपनी मंजिल की तरफ बढ़ चले।

Jansatta : Apr 01, 2020, 11:16 AM
Lockdown: 25 मार्च से पूरा देश लॉकडाउन है। कोरोना वायरस (Coronavirus) के फैलते संक्रमण से निपटने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से ये फैसला किया गया था। 24 मार्च की रात 8 बजे पीएम ने 14 अप्रैल तक के लिए समूचे देश को लॉकडाउन करने का ऐलान किया था। पीएम के ऐलान के बाद से ही दिहाड़ी मजदूरों के ऊपर संकट आ गया कि अब वह खाएंगे क्या? ये मजदूर रोजाना कमाते थे और रोजाना खाते थे। लॉकडाउन में अपने जीवन पर संकट देख देशभर के तमाम हिस्सों में रहने वाले दिहाड़ी मजदूर परिवार के साथ अपने घर-गांव की तरफ निकल पडे़। लॉकडाउन में यातायात के साधन बंद थे तो ये पैदल ही अपनी मंजिल की तरफ बढ़ चले।

मुंबई में कंस्ट्रक्शन साइट्स पर मजदूरी करने वाले मजदूरों का एक समूह भी परिवार सहित 25 मार्च की सुबह पैदल ही कर्नाटक के गुलबर्ग में अपने गांव की तरफ निकल पड़ा। 650 किमी की दूरी पैदल तय करने निकले इस समूह के कई लोगों के पैरों में चप्पल तक नहीं थे। 

अपने सफर के 6 दिन बाद ये लोग पुणे-सोलपुर हाइवे पर लोनी के पास पहुंचे। ये तस्वीर उसी समूह के अनीता छवन(20 वर्ष) की है। इनके पैरों की हालत इनका दर्द बयां करने को काफी है। इन लोगों को अभी करीब 300 किलोमीटर और चलना है।

ऐसे ही हालात कई जगह देखने को मिले। ये तस्वीर प्रयागराज की है जिसमें पैदल ही अपने घर की तरफ निकले एक मजदूर के घायल पैर दिख रहे हैं।

बता दें कि लॉकडाउन के ऐलान के बाद जिस तरह से लोग बड़े-बड़े शहरों से अपने गांव-कस्बों की तरफ पैदल ही निकल पड़े उसने कई लोगों को विभाजन के दौरान हुए पलायन की याद दिला दी। इस पलायन का दर्द मासूम बच्चों को भी झेलना पड़ा है। मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक में पलायन की ऐसी कई तस्वीरें आईं जिसे किसी की भी आंखें नम हो जाएं।