Ladakh Violence / लद्दाख हिंसा में 4 की मौत, 72 से ज्यादा घायल, लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग

लेह में बुधवार को लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर हिंसक प्रदर्शन हुआ। छात्रों की पुलिस से झड़प में 4 की मौत और 70 से अधिक घायल हुए। भाजपा ऑफिस और CRPF वाहन को आग के हवाले कर दिया गया। हिंसा के बाद सोनम वांगचुक ने अनशन तोड़ा।

Ladakh Violence: केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर बुधवार, 24 सितंबर 2025 को लेह में हिंसक प्रदर्शन हुए। इस दौरान छात्रों और सुरक्षाबलों के बीच हुई झड़प में 4 लोगों की मौत हो गई और 70 से अधिक लोग घायल हो गए। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थरबाजी की, भाजपा कार्यालय और CRPF की गाड़ी में आग लगा दी। इसके जवाब में प्रशासन ने लेह में बिना अनुमति रैली और प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया।

प्रदर्शन का कारण

प्रदर्शनकारी सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक के समर्थन में सड़कों पर उतरे थे, जो पिछले 15 दिनों से भूख हड़ताल पर थे। वांगचुक और उनके समर्थक लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और संवैधानिक सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। यह मांग साल 2019 में अनुच्छेद 370 और 35A हटाए जाने के बाद से उठ रही है, जब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था। केंद्र सरकार ने उस समय भरोसा दिया था कि हालात सामान्य होने पर लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा, लेकिन यह मांग अब तक पूरी नहीं हुई।

हिंसा कैसे भड़की?

  1. सोशल मीडिया के जरिए भीड़ जुटाई: मंगलवार रात को आंदोलनकारियों ने सोशल मीडिया के माध्यम से 24 सितंबर को लद्दाख बंद का आह्वान किया। लोगों से लेह हिल काउंसिल पहुंचने की अपील की गई, जिसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में लोग, खासकर युवा, वहां जमा हो गए।

  2. पुलिस और प्रदर्शनकारियों में झड़प: लेह हिल काउंसिल के सामने पुलिस ने बैरिकेड्स लगाए थे। जब प्रदर्शनकारी आगे बढ़े, तो पुलिस ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया। जवाब में भीड़ ने पुलिस की गाड़ी में आग लगा दी और तोड़फोड़ शुरू कर दी, जिससे स्थिति हिंसक हो गई।

प्रशासन का कड़ा रुख

हिंसा के बाद लेह जिला प्रशासन ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 163 लागू कर दी। इसके तहत पांच या अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगा दी गई है। जिला मजिस्ट्रेट ने आदेश जारी किया कि बिना पूर्व अनुमति के कोई जुलूस, रैली या मार्च नहीं निकाला जा सकेगा। साथ ही, प्रशासन ने चेतावनी दी कि कोई भी व्यक्ति ऐसा बयान नहीं देगा, जिससे शांति भंग हो या कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हो। यह कदम क्षेत्र में शांति बनाए रखने और स्थिति को और बिगड़ने से रोकने के लिए उठाया गया है।

सोनम वांगचुक की प्रतिक्रिया

हिंसा के बाद सोनम वांगचुक ने अपनी भूख हड़ताल समाप्त करते हुए कहा:

"यह लद्दाख के लिए दुख का दिन है। हम पांच साल से शांति के रास्ते पर चल रहे थे। अनशन किया, लेह से दिल्ली तक पैदल गए। आज हम शांति के पैगाम को असफल होते देख रहे हैं। हिंसा, गोलीबारी और आगजनी हो रही है। मैं लद्दाख की युवा पीढ़ी से अपील करता हूं कि इस बेवकूफी को बंद करें। हम अपना अनशन तोड़ रहे हैं, प्रदर्शन रोक रहे हैं। हम चाहते हैं कि प्रशासन भी दबाव हटाए और युवा हिंसा रोकें।"

वांगचुक ने यह भी घोषणा की कि इस मुद्दे पर अगली बैठक 6 अक्टूबर को दिल्ली में होगी।

नेशनल कॉन्फ्रेंस की टिप्पणी

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता शेख बशीर अहमद ने कहा:

"5 अगस्त 2019 के फैसले को न तो लेह और न ही जम्मू-कश्मीर के लोगों ने स्वीकार किया। लोग तब से पूर्ण राज्य का दर्जा, पांचवीं अनुसूची और विधायी अधिकारों की मांग कर रहे हैं। जब इन मांगों को अनसुना किया गया, तो कुछ लोगों ने हिंसा का रास्ता चुना, जिसके परिणामस्वरूप यह स्थिति बनी।"

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35A हटाकर इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों—जम्मू-कश्मीर और लद्दाख—में विभाजित कर दिया था। इसके बाद से लद्दाख के लोग, विशेष रूप से लेह और कारगिल के निवासी, खुद को राजनीतिक रूप से अलग-थलग महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कई बार विरोध-प्रदर्शन कर पूर्ण राज्य का दर्जा, संवैधानिक सुरक्षा, जमीन, नौकरियों और अपनी सांस्कृतिक पहचान की रक्षा की मांग की है।