- भारत,
- 27-Sep-2025 06:29 PM IST
Ladakh Violence: लद्दाख में हालिया हिंसा के बाद माहौल और तनावपूर्ण हो गया है। पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के एक दिन बाद, डीजीपी एस.डी. सिंह जामवाल ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बड़ा खुलासा किया। उन्होंने वांगचुक पर पाकिस्तान से संबंध होने का आरोप लगाया और उनकी पड़ोसी देशों की यात्राओं पर गंभीर सवाल उठाए। यह बयान लद्दाख की सुरक्षा और राजनीतिक स्थिरता पर सवालिया निशान लगा रहा है, जहां 24 सितंबर को हुई हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी।
पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी से संपर्क: डीजीपी का दावा
लेह में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए डीजीपी जामवाल ने कहा, "हमने हाल ही में एक पाकिस्तानी पीआईओ (व्यक्ति भारतीय मूल का, जो पाकिस्तान के लिए खुफिया जानकारी भेज रहा था) को गिरफ्तार किया था, जो सीमा पार रिपोर्ट भेज रहा था। हमारे पास इसके रिकॉर्ड हैं। सोनम वांगचुक इस व्यक्ति के संपर्क में थे।" उन्होंने आगे बताया कि वांगचुक पाकिस्तान के प्रमुख अखबार 'डॉन' के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे और बांग्लादेश की यात्रा भी की थी। "इन यात्राओं से गंभीर सवाल उठते हैं। जांच चल रही है।"
यह खुलासा तब आया जब लद्दाख पुलिस ने 44 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें वांगचुक मुख्य आरोपी हैं। डीजीपी ने कहा कि हिंसा की पूर्व नियोजित योजना थी और वांगचुक के भड़काऊ भाषणों ने इसे हवा दी। उन्होंने वांगचुक के फंडिंग पर भी सवाल उठाए, जो विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के उल्लंघन की जांच के दायरे में है। "उनके द्वारा प्राप्त धन की जांच हो रही है। यह स्पष्ट उल्लंघन का मामला है," जामवाल ने जोड़ा।
24 सितंबर की हिंसा: चार मौतें, 80 घायल
लद्दाख में राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर 24 सितंबर को लेह में शांतिपूर्ण प्रदर्शन हिंसक हो गया। प्रदर्शनकारियों ने स्थानीय भाजपा कार्यालय में आग लगा दी और सरकारी वाहनों पर हमला किया। पुलिस ने आंसू गैस, लाठीचार्ज और गोलीबारी की, जिसमें चार नागरिक मारे गए और करीब 80 लोग घायल हो गए। 17 सीआरएफ जवान भी चोटिल हुए।
सरकार ने वांगचुक को मुख्य जिम्मेदार ठहराया। गृह मंत्रालय ने कहा कि उनके भाषणों में अरब स्प्रिंग, नेपाल और बांग्लादेश जैसे आंदोलनों का जिक्र करके भीड़ को उकसाया गया। "वांगचुक ने केंद्र और स्थानीय प्रतिनिधियों के बीच चल रही बातचीत को बाधित करने की कोशिश की," एक अधिकारी ने बताया। वांगचुक ने अपनी भूख हड़ताल (जो 10 सितंबर से चल रही थी) हिंसा के बाद समाप्त कर दी थी, लेकिन सरकार का कहना है कि उन्होंने स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश नहीं की।
एनएसए के तहत गिरफ्तारी: जोधपुर जेल में शिफ्ट
शुक्रवार को वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत गिरफ्तार किया गया और राजस्थान के जोधपुर सेंट्रल जेल में स्थानांतरित कर दिया गया। एनएसए बिना जमानत के लंबी नजरबंदी की अनुमति देता है। लद्दाख प्रशासन ने बयान जारी कर कहा, "वांगचुक की गतिविधियां राज्य की सुरक्षा के लिए खतरा हैं। उन्हें लेह में रखना सार्वजनिक हित में उचित नहीं था।" जेल पहुंचने पर उनका मेडिकल चेकअप किया गया और उन्हें हाई-सिक्योरिटी वार्ड में रखा गया।
वांगचुक ने गिरफ्तारी से पहले कहा था, "मुझे गिरफ्तार करने से ज्यादा समस्या हो सकती है। मैं जेल में भी लद्दाख की आवाज बनूंगा।" उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र उनकी गिरफ्तारी को षड्यंत्र के रूप में इस्तेमाल कर रहा है, ताकि लद्दाख की मांगों पर ध्यान न जाए।
विदेशी हाथ की आशंका: नेपाली नागरिकों पर नजर
प्रेस कॉन्फ्रेंस में विदेशी तत्वों के शामिल होने पर सवाल पूछे गए तो डीजीपी जामवाल ने कहा, "जांच में दो और लोगों को गिरफ्तार किया गया है। वे किसी बड़ी साजिश का हिस्सा हैं या नहीं, यह स्पष्ट नहीं। लद्दाख में नेपाली मजदूरों का इतिहास रहा है, इसलिए इसकी गहन जांच जरूरी है।" उन्होंने "तथाकथित पर्यावरण कार्यकर्ताओं" के भड़काऊ भाषणों को हिंसा का कारण बताया।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: विरोध और समर्थन
वांगचुक की गिरफ्तारी पर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने इसे "लोकतंत्र पर हमला" बताया, जबकि आप के अतिशी ने कहा, "वांगचुक लद्दाख की पहचान की आवाज हैं।" लद्दाख बौद्ध एसोसिएशन ने भी निंदा की। वहीं, भाजपा ने कहा कि यह कार्रवाई "राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी" है।
लद्दाख, जो 2019 में जम्मू-कश्मीर से अलग होकर केंद्र शासित प्रदेश बना, राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा की मांग कर रहा है। केंद्र ने कहा कि लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के साथ बातचीत जारी है, लेकिन वांगचुक जैसे "बाधक" तत्वों ने प्रक्रिया को प्रभावित किया।
आगे की राह: जांच और शांति अपील
डीजीपी ने कर्फ्यू में कुछ ढील की घोषणा की, लेकिन लेह में इंटरनेट सेवाएं निलंबित हैं। केंद्र ने 6 अक्टूबर को हाई-पावर्ड कमिटी की बैठक बुलाई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना लद्दाख की स्वायत्तता बहस को नई दिशा देगी, लेकिन पाकिस्तान कनेक्शन के आरोपों ने इसे जटिल बना दिया है।
