- भारत,
- 26-Aug-2025 10:01 PM IST
India-US Tariff War: अमेरिका ने मंगलवार को भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने का आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी किया। भारतीय समय के अनुसार यह टैरिफ बुधवार, 27 अगस्त 2025 को सुबह 9:31 बजे से लागू होगा। इससे पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 6 अगस्त को रूस से तेल खरीद के जवाब में इस टैरिफ की घोषणा की थी और 7 अगस्त से भारत पर 25% टैरिफ लागू कर दिया था। अब भारतीय सामानों पर कुल टैरिफ 50% हो गया है।
आधिकारिक आदेश में कहा गया है, "इस दस्तावेज में उल्लिखित ड्यूटी भारत से आयातित सामानों पर लागू होगी, जो अमेरिका में उपयोग या गोदाम से निकाले जाएंगे।" आइए, इस टैरिफ के प्रभाव को विस्तार से समझते हैं।
1. इंडस्ट्रीज पर असर
प्रभावित होने वाली इंडस्ट्रीज
ट्रम्प के इस टैरिफ से ज्वेलरी, टेक्सटाइल, ऑटो, और सीफूड जैसे क्षेत्रों की कंपनियों का मुनाफा कम हो सकता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि यदि अमेरिका के साथ कोई ट्रेड डील नहीं होती या टैरिफ में कमी नहीं आती, तो भारत के 48.2 अरब डॉलर के निर्यात पर सीधा असर पड़ेगा।
प्रभाव से बची इंडस्ट्रीज
आईटी, फार्मास्यूटिकल्स, और इलेक्ट्रॉनिक्स: ये क्षेत्र इस टैरिफ से प्रभावित नहीं होंगे। इलेक्ट्रॉनिक्स को सेक्शन 232 के तहत छूट प्राप्त है, और जब तक इसकी समीक्षा नहीं होती, निर्यात पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
फार्मा सेक्टर: वर्तमान में फार्मा पर टैरिफ 0% है। ट्रम्प ने भविष्य में 150% से 250% टैरिफ की धमकी दी है, लेकिन अभी यह लागू नहीं हुआ।
आईटी सेक्टर: यह सर्विस सेक्टर का हिस्सा है, इसलिए 50% टैरिफ के दायरे से बाहर है।
2. आम आदमी पर असर
नौकरियों पर खतरा
CNBC की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत से अमेरिका को ज्वेलरी, कपड़े, मशीनरी, और केमिकल्स का सबसे ज्यादा निर्यात होता है। 50% टैरिफ से ये सामान अमेरिका में महंगे हो जाएंगे, जिससे ऑर्डर कम हो सकते हैं। ऑर्डर में कमी से कंपनियों को उत्पादन घटाना पड़ सकता है, जिसके परिणामस्वरूप छंटनी हो सकती है। हालांकि, कितनी नौकरियां जाएंगी, इसका सटीक अनुमान लगाना अभी मुश्किल है।
3. इकोनॉमी पर असर
सरकारी आय और GDP
50% टैरिफ से अमेरिका को होने वाला भारतीय निर्यात कम होगा, जिससे सरकार की आय में कमी आएगी। विशेषज्ञों का अनुमान है कि भारत की GDP वृद्धि दर 0.2% से 0.6% तक कम हो सकती है। इसके अलावा, सरकार को अपनी व्यापार नीतियों में बदलाव करना पड़ सकता है।
4. अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर असर
नई निर्यात रणनीति
अमेरिका पर निर्भरता कम करने के लिए भारत को यूरोप, रूस, और अन्य देशों में व्यापार बढ़ाना होगा। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने लगभग 50 देशों के लिए नई निर्यात रणनीति तैयार की है। इसमें चीन, मध्य पूर्व, और अफ्रीका के बाजारों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स
भारत ने आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे, और स्विट्जरलैंड के साथ ट्रेड डील की है, जो 1 अक्टूबर 2025 से लागू होगी।
ब्रिटेन के साथ डील अप्रैल 2026 से लागू हो सकती है।
ओमान, चिली, पेरू, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, और यूरोपीय संघ के साथ बातचीत जारी है।
इंडस्ट्री-विशिष्ट बाजार
सीफूड: रूस, यूके, यूरोपीय संघ, नॉर्वे, स्विट्जरलैंड, और दक्षिण कोरिया।
हीरे और आभूषण: वियतनाम, थाईलैंड, मलेशिया, और अफ्रीका।
रूसी तेल और टैरिफ का कारण
भारत, चीन के बाद रूस से तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है। यूक्रेन युद्ध से पहले भारत रूस से केवल 0.2% (68 हजार बैरल प्रतिदिन) तेल आयात करता था, जो मई 2023 तक बढ़कर 45% (20 लाख बैरल प्रतिदिन) हो गया। 2025 में जनवरी से जुलाई तक भारत ने प्रतिदिन 17.8 लाख बैरल तेल रूस से खरीदा। पिछले दो सालों में भारत ने हर साल 130 अरब डॉलर से ज्यादा का रूसी तेल आयात किया है। ट्रम्प ने इसे टैरिफ का एक कारण बताया।
अहम सवाल और जवाब
सवाल 1: टैरिफ क्या है और ट्रम्प ने भारत पर क्यों लगाया?
जवाब: टैरिफ आयातित सामानों पर लगाया जाने वाला टैक्स है। ट्रम्प का कहना है कि भारत अमेरिकी सामानों पर ज्यादा टैरिफ लगाता है, जबकि अमेरिका भारतीय सामानों पर कम टैक्स लेता है। इसे नाइंसाफी मानते हुए ट्रम्प ने 'रेसिप्रोकल टैरिफ' नीति के तहत 25% टैरिफ लगाया। इसके अलावा, भारत के रूस से तेल और सैन्य उपकरण खरीदने पर नाराजगी के कारण अतिरिक्त 25% टैरिफ जोड़ा गया, जिससे कुल टैरिफ 50% हो गया।
सवाल 2: भारत-अमेरिका ट्रेड डील की स्थिति?
जवाब: दोनों देश लंबे समय से ट्रेड डील पर काम कर रहे हैं। 25 अगस्त को छठे दौर की बातचीत होनी थी, लेकिन इसे टाल दिया गया। भारतीय अधिकारी सितंबर या अक्टूबर 2025 तक समझौते की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन कृषि क्षेत्र जैसे मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई है। भारत जेनेटिकली मॉडिफाइड फसलों और डेयरी मार्केट को अमेरिका के लिए खोलने को तैयार नहीं है।
