SCO Summit 2025 / मोदी और जिनपिंग की बैठक के बाद भारत-चीन के रिश्तों का 'पुनर्जन्म', अमेरिका को झटका

चीन के तिआनजिन में SCO शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अहम मुलाकात हुई। दोनों नेताओं ने सीमा विवाद सुलझाने, सीधी उड़ानें शुरू करने और कैलाश मानसरोवर यात्रा बहाल करने का ऐलान किया। इस कूटनीतिक दोस्ती से अमेरिका की रणनीतिक पकड़ कमजोर पड़ सकती है।

SCO Summit 2025: 31 अगस्त से 1 सितंबर, 2025 तक चीन के त्येनजिन शहर में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई द्विपक्षीय बैठक ने वैश्विक कूटनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। इस बैठक ने न केवल भारत-चीन संबंधों को एक नई दिशा दी, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन, विशेषकर अमेरिका की रणनीति पर भी गहरा प्रभाव डाला। पूरी दुनिया, खासकर अमेरिका, की नजर इस बैठक पर टिकी थी, और इसके परिणामों ने सभी को चौंका दिया।

बैठक का सार: भारत-चीन के बीच Obi

सीमा विवाद के समाधान और आपसी सहयोग पर जोर प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपनी द्विपक्षीय वार्ता में सीमा विवाद को सुलझाने और सीमा पर शांति और स्थिरता स्थापित करने का ऐलान किया। दोनों नेताओं ने आपसी विश्वास और सम्मान के आधार पर संबंधों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई। इसके साथ ही, दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें शुरू करने और कैलाश मानसरोवर यात्रा को पुनः शुरू करने की घोषणा की गई। पीएम मोदी ने कहा, "पिछले वर्ष कजान में हमारी सार्थक चर्चा से हमारे संबंधों को सकारात्मक दिशा मिली। सीमा पर सैनिकों की वापसी के बाद शांति का माहौल बना है।"

2.8 अरब लोगों के हित

पीएम मोदी ने इस बैठक में जोर देकर कहा कि भारत और चीन का सहयोग 2.8 अरब लोगों के हितों से जुड़ा है। उन्होंने कहा, "हमारे सहयोग से न केवल हमारे देशों का, बल्कि पूरी मानवता का कल्याण होगा। परस्पर विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता के आधार पर हम अपने संबंधों को और मजबूत करेंगे।" राष्ट्रपति शी ने भी SCO की सफल अध्यक्षता के लिए बधाई दी और इस नई शुरुआत को एक ऐतिहासिक कदम बताया।

अमेरिका पर प्रभाव

इस बैठक का सबसे बड़ा प्रभाव अमेरिका की रणनीति पर पड़ा। अमेरिका ने भारत को एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार माना था। क्वाड (QUAD) का गठन और भारत के साथ मजबूत संबंध अमेरिका की इसी रणनीति का हिस्सा थे। हालांकि, भारत और चीन के बीच इस कूटनीतिक दोस्ती ने अमेरिका की ताइवान नीति और क्षेत्रीय प्रभाव को चुनौती दी है। भारत और चीन के बीच बेहतर संबंधों ने अमेरिका की रणनीतिक पकड़ को कमजोर कर दिया है।

भारत और चीन की नजदीकी के कारण

हाल के वर्षों में अमेरिका ने चीन, भारत, ब्राजील, कनाडा, मैक्सिको और जापान जैसे देशों पर भारी टैरिफ लगाए। विशेष रूप से, अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगाया, जिसमें रूस से तेल खरीदने के लिए अतिरिक्त 25% टैक्स शामिल था। भारत ने इस दबाव के सामने झुकने के बजाय कूटनीतिक और रणनीतिक जवाब दिया। पीएम मोदी ने चीन के साथ संबंधों को बेहतर बनाने की दिशा में कदम उठाकर अमेरिका की रणनीति को चुनौती दी। यह भारत की एक मजबूत और स्वतंत्र विदेश नीति का हिस्सा है, जिसने अमेरिका को रणनीतिक रूप से हक्का-बक्का कर दिया।