- भारत,
- 17-Aug-2025 07:20 PM IST
Iran-US Conflict: जून में ईरान और इजराइल के बीच चले 12 दिनों के सैन्य संघर्ष के बाद, एक बार फिर क्षेत्र में तनाव बढ़ता दिख रहा है। इजराइल और अमेरिका ने ईरान पर उसके परमाणु कार्यक्रम को लेकर दबाव बढ़ा दिया है, जबकि ईरान ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपना यूरेनियम संवर्धन (एनरिचमेंट) कार्यक्रम जारी रखेगा। इस बीच, दोनों पक्षों से युद्ध की धमकियां और जवाबी बयान सामने आ रहे हैं, लेकिन ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई के करीबी ने दावा किया है कि अमेरिका की आर्थिक और सैन्य सीमाओं के कारण वह ईरान पर हमला करने में असमर्थ है।
अमेरिका की विवशता: ऊर्जा संकट का डर
शुक्रवार को, अली खामेनेई के कार्यालय के एक वरिष्ठ धर्मगुरु, अली सैदी ने कहा, “अमेरिका के पास ईरान के खिलाफ एक और सैन्य संघर्ष शुरू करने की क्षमता नहीं है। वे ऊर्जा की बढ़ती कीमतों, खासकर तेल की कीमत 150 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने की संभावना से डरते हैं।” सैदी ने यह भी जोड़ा कि ईरान की सैन्य ताकत से अमेरिका और उसके सहयोगी डरते हैं, जिसके कारण वे हमला करने से हिचक रहे हैं। हालांकि, उन्होंने सशस्त्र बलों को सतर्क रहने और संचार प्रणाली को मजबूत करने की सलाह दी।
तेल की कीमतों पर युद्ध का खतरा
ईरान और इजराइल के बीच युद्ध की स्थिति में वैश्विक तेल बाजार पर गहरा असर पड़ सकता है। जून के संघर्ष के दौरान, ईरान ने स्ट्रेट ऑफ हॉर्मूज को बंद करने की धमकी दी थी, जहां से विश्व का लगभग 20% तेल आपूर्ति होती है। अगर यह जलडमरूमध्य बंद होता है, तो तेल की कीमतें आसमान छू सकती हैं। इसके अलावा, ईरान स्वयं एक प्रमुख तेल और गैस उत्पादक देश है, और युद्ध की स्थिति में उसकी आपूर्ति प्रभावित होने से वैश्विक ऊर्जा संकट और गहरा सकता है।
लारीजानी का बयान: बातचीत की संभावना?
ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव, अली लारीजानी ने लेबनान के अल-मायादीन चैनल से बातचीत में कहा, “अगर अमेरिका को लगता है कि वह युद्ध के जरिए ईरान को हरा नहीं सकता और वह वास्तविक समाधान के लिए बातचीत करना चाहता है, तो हम सकारात्मक प्रतिक्रिया देंगे। लेकिन अगर बातचीत युद्ध की तैयारी का बहाना है, तो यह हमारे लिए बेकार है।” लारीजानी का यह बयान एक ओर कूटनीतिक समाधान की संभावना को दर्शाता है, वहीं दूसरी ओर अमेरिका के इरादों पर सवाल भी उठाता है।
पश्चिमी देशों की चेतावनी: प्रतिबंधों की वापसी
फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम और जर्मनी ने ईरान को चेतावनी दी है कि अगर वह अगस्त के अंत तक परमाणु वार्ता फिर से शुरू नहीं करता और ठोस परिणाम नहीं देता, तो संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध फिर से लागू किए जा सकते हैं। जून में इजराइल द्वारा शुरू किए गए सैन्य हमलों और नौवें दिन अमेरिका द्वारा ईरान के तीन परमाणु प्रतिष्ठानों पर बमबारी के बाद, ट्रंप प्रशासन ने दावा किया था कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम खत्म हो गया है। हालांकि, ईरान ने बार-बार कहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल नागरिक उपयोग के लिए है और उसका बम बनाने का कोई इरादा नहीं है।
भविष्य की आशंकाएं
वर्तमान में, परमाणु वार्ता के ठप होने और सैन्य तनाव की आशंकाओं के बीच, दोनों पक्ष युद्ध की तैयारियों में जुटे हैं। ईरान ने अपनी सैन्य तैयारियों को मजबूत करने पर जोर दिया है, जबकि इजराइल और अमेरिका लगातार सैन्य कार्रवाई की धमकी दे रहे हैं। हालांकि, ऊर्जा संकट और वैश्विक आर्थिक दबाव के कारण अमेरिका और उसके सहयोगी सैन्य कार्रवाई से बच रहे हैं।
