Zoom News : Apr 06, 2021, 12:17 PM
छपरा। बिहार के छपरा (Chapra) में कोरोना काल के दौरान लगे लॉकडाउन (Lockdown) से परेशान करीब 200 स्कूलों के प्रबंधक अब सरकार से दो-दो हाथ करने के मूड में आ गए है। गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे स्कूलों ने अब नीतीश सरकार (Nitish Government) के निर्देश को मानने से इनकार कर दिया है। इसके साथ स्कूल प्रबंधकों ने कहा है कि आगामी 12 तारीख से किसी भी हाल में स्कूल खोले जाएंगे। हालांकि इस दौरान उन्होंने स्कूल में कोरोना गाइडलाइंस का पालन करने की बात जरूर कही है।
दरअसल प्राइवेट स्कूल एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन की बैठक छपरा में आहूत की गई जिसमें जिले के लगभग 200 सौ स्कूल संचालक उपस्थित हुए। इस दौरान यह निर्णय लिया गया कि जिले के सभी स्कूल सरकार के निर्देशानुसार, 11 अप्रैल 2021 तक बंद रहेंगे। उसके बाद यदि सरकार 12 अप्रैल 2021 से स्कूल खोलने की अनुमति नहीं देती है तो इस स्थिति में बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा कोरोना से बचाव के दिए गए निर्देश का पालन करते हुए जिले के सभी स्कूल खुलेंगे।
भुखमरी के शिकार हो रहे प्राइवेट शिक्षकएसोसिएशन की अध्यक्षा सीमा सिंह ने बताया कि कोरोना काल में स्कूल गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। जबकि सरकार द्वारा इन विद्यालयों को कोई मदद नहीं की गई। स्कूलों के पास अपने शिक्षकों को वेतन देने के लिए पैसे भी मौजूद नहीं है जिसके कारण प्राइवेट शिक्षक भुखमरी के शिकार हो गए हैं। सरकार ने विद्यालय को प्रोत्साहन राशि तक नहीं दी जिसके कारण कोरोना काल में अधिकांश विद्यालय बंद हो गए। कर्ज की मार से जूझ रहे विद्यालयों ने यह निर्णय लिया है कि इस बार सरकार के निर्णय की अनदेखी की करते हुए विद्यालय खोले जाएंगे।
दरअसल प्राइवेट स्कूल एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन की बैठक छपरा में आहूत की गई जिसमें जिले के लगभग 200 सौ स्कूल संचालक उपस्थित हुए। इस दौरान यह निर्णय लिया गया कि जिले के सभी स्कूल सरकार के निर्देशानुसार, 11 अप्रैल 2021 तक बंद रहेंगे। उसके बाद यदि सरकार 12 अप्रैल 2021 से स्कूल खोलने की अनुमति नहीं देती है तो इस स्थिति में बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा कोरोना से बचाव के दिए गए निर्देश का पालन करते हुए जिले के सभी स्कूल खुलेंगे।
भुखमरी के शिकार हो रहे प्राइवेट शिक्षकएसोसिएशन की अध्यक्षा सीमा सिंह ने बताया कि कोरोना काल में स्कूल गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। जबकि सरकार द्वारा इन विद्यालयों को कोई मदद नहीं की गई। स्कूलों के पास अपने शिक्षकों को वेतन देने के लिए पैसे भी मौजूद नहीं है जिसके कारण प्राइवेट शिक्षक भुखमरी के शिकार हो गए हैं। सरकार ने विद्यालय को प्रोत्साहन राशि तक नहीं दी जिसके कारण कोरोना काल में अधिकांश विद्यालय बंद हो गए। कर्ज की मार से जूझ रहे विद्यालयों ने यह निर्णय लिया है कि इस बार सरकार के निर्णय की अनदेखी की करते हुए विद्यालय खोले जाएंगे।