Unlock 1.0 / बैंड-बाजा वालों की UP सरकार से गुहार- 11 आदमी, 1 घोड़ी, 5 शहनाई की दें अनुमति

किसी के घर में शादी ब्याह होता है तो सभी के चेहरे पर ख़ुशी ही दिखाई देती है। शादी-ब्याह को लेकर बैंड बाजे वाले भी खु़श होते हैं क्योंकि इससे उनकी रोज़ी-रोटी चलती है। लेकिन लॉकडाउन की वजह से बहुत दिनों से ये ख़ुशी इन बैंड बाजा वालों को नसीब नहीं हुई। अब अनलॉक 1 का दौर शुरु हो गया है। 9 जून से मेरठ में भी बारातघर एक नई गाइडलाइन के साथ खोले जा सकते हैं।

मेरठ। किसी के घर में शादी ब्याह होता है तो सभी के चेहरे पर ख़ुशी ही दिखाई देती है। शादी-ब्याह को लेकर बैंड बाजे वाले भी खु़श होते हैं क्योंकि इससे उनकी रोज़ी-रोटी चलती है। लेकिन लॉकडाउन (Lockdown) की वजह से बहुत दिनों से ये ख़ुशी इन बैंड बाजा वालों को नसीब नहीं हुई। अब अनलॉक 1 (Unlock 1.0) का दौर शुरु हो गया है। 9 जून से मेरठ (Meerut) में भी बारातघर एक नई गाइडलाइन के साथ खोले जा सकते हैं।

शादी-ब्याह में पहले से ही गाइडलाइन जारी है कि 50 से ज्यादा लोग शामिल नहीं हो सकते हैं। ऐसे में बैंड-बाजे से जुड़े लोग परेशान हैं। उन्हें चिंता है कि 50 लोगों की सीमा के कारण लोग अपने घरवालों को बुलाएंगे या फिर उनकी टीम को बुलाएंगे। मेरठ के बैंड-बाजा, बग्घी, लाइट वाले सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि 11 आदमी, एक घोड़ी और 5 शहनाई की भी अनुमति शादी ब्याह के दौरान उन्हें दी जाए

हमें भी रियायत दी जानी चाहिए

इन बैंड-बाजा, शहनाई वालों का कहना है कि मार्च से लेकर जून-जुलाई तक हर वर्ष उनका कारोबार ख़ूब होता था। इसी के सहारे सालभर उनकी रोज़ी रोटी चलती थी। लेकिन अब सब कुछ समाप्त हो चुका है। वो सड़क पर आ चुके हैं। अनलॉक वन में इन बैंड-बाजा वालों का कहना है कि अगर बारातघर को खोलने की अनुमति मिल रही है तो फिर उन्हें भी रियायत दी जानी चाहिए। ताकि जो लोग बैंड-बाजा बजवाना चाहते हैं, वो बजवाएं और उनकी संख्या को घराती-बाराती से हटकर आंका जाए।

मेरठ में 2 लाख लोग इस कारोबार से जुड़े 

उनका कहना है कि मेऱठ ज़िले में 2 लाख आदमी इस रोजगार से जुड़े हैं। जिनमें 8000 तो सिर्फ शहनाई का कार्य कर रहे हैं। करीब 45000 से ज्यादा घोड़ी बग्घी लाइट का काम कर रहे हैं और बैंडवाले 50 ह़ज़ार से उपर हैं। ऐसे में उनकी रोज़ी रोटी को उनसे न छीना जाए और उनकी मांगे पूरी की जाएं।


सरकार पैकेज दे

बैंड-बाजे वाले भारत सरकार के 20 लाख करोड़ के ऐलान की सराहना करते हैं लेकिन उनका कहना है कि कला9संस्कृति से जु़ड़े लोगों पर भी सरकार ध्यान दे। उन्हें भी पैकेज से सहायता प्रदान की जाए ताकि उनके परिवारों की ज़िन्दगी की गाड़ी भी चल सके। गौरतलब है कि मेरठ में बैंड-बाजा बनाने का भी कार्य होता है। जिसकी पहचान वैश्विक स्तर पर है। यहां जलीकोठी इलाके में एक गली बैंड बाजे वाली गली के नाम से जानी जाती है।