Congress President Election / अध्यक्ष चुनाव से पहले कांग्रेस में खींचतान पायलट खेमा एक्टिव

Zoom News : Sep 08, 2022, 09:49 AM
Congress President Election: कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए अक्टूबर में चुनाव होने हैं, लेकिन 22 सितंबर तक यह क्लियर हो जाएगा कि अध्यक्ष पद के लिए कौन-कौन दावेदार हैं। इधर, इन चुनाव से पहले राजस्थान कांग्रेस में सियासी हलचल शुरू हो गई है।सियासी संकट के दौरान सचिन पायलट के साथ रहे समर्थक अब फिर से उन्हें सीएम बनाने की मांग करने लगे हैं। दो साल से बिना कोई पद काम करते रहने का तर्क देकर वे बार-बार पायलट के समर्थन में अब खुले मंच से बयान भी देने लगे हैं।

पायलट के जन्मदिन से एक दिन पहले जयपुर में जुटी समर्थकों की भीड़ ने भी कई सियासी संकेत दिए हैं। समर्थक विधायकों ने भी अब खुले तौर पर पायलट के पक्ष में आवाज उठाना शुरू कर दिया है।

पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के बाद पायलट की अगली भूमिका पर फैसला होने की संभावना जताई जा रही है। इससे पहले राजस्थान कांग्रेस में सचिन पायलट और सीएम अशोक गहलोत के खेमों के बीच सियासी वार पलटवार का दौर शुरू हो गया है।

पिछले साल भर में गहलोत-पायलट खेमों के बीच सियासी हमले और वार-पलटवार जारी है। इस खेमेबंदी के अब और तेज होने के आसार बन रहे हैं क्योंकि दोनों ही खेमे अपने स्टैंड पर पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।

विधायकों को साधने की कोशिश

कांग्रेस में सरकार से नाराज विधायकों को साधकर अपनी तरफ करने के लिए पायलट खेमा लगातार कोशिश कर रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने समर्थक विधायकों पर अब तक पकड़ बनाकर रखी है और अब तक राज्यसभा चुनाव से लेकर वोटिंग का जो भी मौका आया उस पकड़ को साबित भी किया है।

इधर, पायलट समर्थक और कुछ रणनीतिकारों की राय है कि विधायकों का समर्थन हाईकमान के इशारे पर निर्भर करता है, इसलिए हाईकमान जिसे कमान देगा पार्टी के विधायक उधर ही होंगे। हालांकि, राजस्थान के संदर्भ में इसे टेस्ट करना बाकी है।

सबसे बड़ा दांव सरकार रिपीट पर, इस मुद्दे पर भी बहस

सचिन पायलट और उनके समर्थक नेता राजस्थान में 1989 के चुनावों के बाद सरकार रिपीट नहीं होने के मुद्दे को जोर शोर से उठा रहे हैं। सचिन पायलट ने पिछले दिनों ही बयान दिया था कि उनका मकसद राजस्थान में सरकार रिपीट करना है।

कई राज्यों में कांग्रेस सरकार रिपीट हुई है तो राजस्थान में क्यों नहीं हो सकती। बचे हुए समय में हमें कुछ अलग करना होगा। पायलट के इन बयानों को सीएम फेस की मुहिम से ही जोड़कर देखा जा रहा है। गहलोत के सीएम रहते अब तक दो बार चुनावों में कांग्रेस को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा है। पायलट कैंप इसी सियासी सच्चाई को बार बार उठाकर मुद्दा बना रहा है।

दो साल से पायलट के पास सत्ता-संगठन में कोई पद नहीं

सचिन पायलट खेमे की जुलाई 2020 में हुई बगावत के बाद से उन्हें डिप्टी सीएम और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष के पद से बर्खास्त कर दिया था। तब से लेकर अब तक उनके पास पार्टी और सरकार में कोई पद नहीं है। सुलह कमेटी की रिपोर्ट का हवाला देकर सचिन समर्थक अब उन्हें पद देने की मांग उठा रहे हैं।

राजस्थान में 14 महीने बाद चुनाव है, कांग्रेस के पास विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में अच्छी सीटें लेकर आने की जबर्दस्त चुनौती है। इसी फैक्टर का हवाला देकर अब सचिन पायलट को जिम्मेदारी दिए जाने की मुहिम शुरू की गई है।

विधायकों का समर्थन जुटाने की कोशिश

सचिन पायलट खुद और उनके खेमे के नेता लगातार सक्रिय है, पायलट समर्थक नेता इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि जल्द हाईकमान उन्हें जिम्मेदारी देगा। सचिन पायलट ने पिछले कुछ महीनों से लगातार विधायकों से मुलाकात की है।

गोपनीय तरीके से हुई इन मुलाकातों का सियासी मकसद बताया जा रहा है। विधायकों से लगातार मेल जोल बढ़ाने को समर्थन जुटाने से जोड़कर देखा जा रहा है। पायलट ने सियासी मंचों से लगातार सरकार रिपीट करने की दिशा में काम करने की जरूरत का मुद्दा उठाया है।

लेकिन, पायलट की सीख, सभी नेताओं का सम्मान करें

पायलट ने दो दिन पहले ही दौसा जिले में दलित समाज के एक कार्यक्रम में अपने समर्थकों को सब नेताओं का सम्मान करने की नसीहत देकर सियासी संकेत दिए हैं। पायलट के समर्थकों ने महिला बाल विकास मंत्री ममता भूपेश की हुटिंग कर दी थी। इस घटना के बाद पायलट ने समर्थकों को सभी नेताओं का सम्मान करने को कहा है। बताया जाता है कि गलत मैसेज नहीं जाए इसके लिए समर्थकों को संयमित बर्ताव करने को कहा गया है।

सियासी टकराव के दो बड़े संकेत

कार्यकर्ताओं के मान सम्मान को लेकर 15 अगस्त को पायलट पर गहलोत ने कसा था तंज

सचिन पायलट ने विपक्ष में रहकर खून पसीना बहाने वाले कार्यकर्ताओं को मान सम्मान देने का मुद्दा साल भर पहले उठाया था। गहलोत ने पायलट के इस बयान पर 15 अगस्त को शहीद दिवस पर कांग्रेस के कार्यक्रम में जमकर निशाना साधा था।

गहलोत ने कहा था- हमारे नेता ही कार्यकर्ताओं को भड़काते हैं। कार्यकर्ताओं का मान-सम्मान होना चाहिए, आजकल यह जुमला बन गया है। अरे कार्यकर्ताओं का मान-सम्मान तो आपने किया है क्या कभी? जानते भी हो, क्या होता है, कार्यकर्ताओं का मान-सम्मान? हम तो मान-सम्मान पाते-पाते ही कार्यकर्ता से नेता बने हैं।'

इधर, पायलट ने जालोर मामले में सरकार को घेरा

पिछले काफी समय से गहलोत और पायलट खेमों के बीच टकराव लगातार जारी है। यह टकराव बढ़ता जा रहा है। सचिन पायलट ने जालोर के सुराणा में शिक्षक की पिटाई से दलित छात्र की मौत के मामले में राज्य सरकार को जमकर घेरा। एनसीआरबी की रिपोर्ट में राजस्थान में क्राइम बढ़ने की दर काे लेकर भी पायलट सवाल उठा चुके हैं। इसे बढ़ते हुए टकराव से जोड़कर देखा जा रहा है।

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