बीकानेर के पूर्व राजघराने का संपत्ति विवाद एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय शूटर और पूर्व राजपरिवार की सदस्य राज्यश्री कुमारी को शहर स्थित जूनागढ़ किले में मंदिर दर्शन करने से रोक दिया गया। वे अपने पिता, पूर्व महाराजा नरेंद्र सिंह की पुण्यतिथि पर पूजा करने पहुंची थीं और सुरक्षा गार्ड और कोटगेट थानाधिकारी विश्वजीत सिंह ने उन्हें और उनके साथ आए एडवोकेट कमल नारायण पुरोहित व अविनाश व्यास को किले में प्रवेश की अनुमति नहीं दी। डेढ़-दो घंटे इंतजार करने के बाद राज्यश्री वापस लौट गईं।
पूजा के अधिकार का हनन: राज्यश्री कुमारी
राज्यश्री कुमारी ने इसे अपने पूजा के अधिकार का हनन बताया। उन्होंने कहा कि उन्हें कानून पर पूरा भरोसा है और उन्हें न्याय जरूर मिलेगा। राज्यश्री भाजपा विधायक सिद्धि कुमारी की बुआ हैं और करणी सिंह ट्रस्ट की संचालक भी। वहीं, जूनागढ़ किला फिलहाल रायसिंह ट्रस्ट के अधीन है, जहां प्राचीना। नाम से एक म्यूजियम है, जिसका संचालन सिद्धि कुमारी करती हैं। दोनों के बीच पूर्व राजपरिवार की प्रॉपर्टी को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है।
वसीयत और कानूनी पेंच
दरअसल, डॉ और करणी सिंह ने अपनी वसीयत में ट्रस्टों की देखरेख के लिए 5 एडमिनिस्ट्रेटर बनाए थे। सुशीला कुमारी के निधन के बाद राज्यश्री अकेली एडमिनिस्ट्रेटर रहीं। इसी को चुनौती देते हुए सिद्धि कुमारी ने अदालत में केस दायर किया था और कोर्ट ने 22 अक्टूबर को फैसला आने तक संपत्ति पर स्टे लगाया है, जिसे राज्यश्री अपने पक्ष में मानती हैं। राज्यश्री का तर्क है कि जूनागढ़ में उनके पुरखों के कई मंदिर हैं, जहां वसीयत के अनुसार आवाजाही पर कोई रोक नहीं है। उनके निजी सचिव ने बताया कि उनके आने की सूचना पहले ही दी गई थी।
विवादित ट्रस्ट और संपत्तियां
विवाद महाराजा गंगा सिंह ट्रस्ट (जिसके अधीन लालगढ़ पैलेस और लक्ष्मी निवास पैलेस हैं, जो फाइव स्टार होटल के रूप में संचालित हैं और अरबों की कीमत के हैं), महाराजा राय सिंह ट्रस्ट (जिसके अधीन जूनागढ़ और प्राचीना म्यूजियम है) सहित अन्य ट्रस्टों को लेकर है। सिद्धि कुमारी लालगढ़ के ही एक हिस्से में रहती हैं और यह घटना राजपरिवार के भीतर चल रहे गहरे संपत्ति विवाद को उजागर करती है, जिस पर सबकी निगाहें टिकी हैं।