Zoom News : Jun 04, 2022, 07:51 AM
लखनऊ। बीजेपी संगठन ने एक बार फिर विपक्ष को मनोवैज्ञानिक शिकस्त दे दी। यूपी बीजेपी के मुख्य रणनीतिकार सुनील बंसल ने अपनी व्यूह रचना से पिछ्ले चुनावों में लगातार बीजेपी को जीत दिला कर विपक्ष को कूटनीतिक रूप से परास्त किया, लेकिन राज्यसभा चुनावों में भी बंसल और उनकी टीम ने ऐसी रणनीति बनाई कि जहां संख्याबल के आधार पर बीजेपी राज्यसभा में सात सदस्यों को ही भेज सकती थी, लेकिन आठ प्रत्याशी उतार कर ऐसी सियासी चौसर बिछाई कि आठ सदस्य यूपी से राज्यसभा पहुंचा दिए। संगठन के बड़े चेहरे और योगी सरकार में सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर की मौजूदगी में सभी प्रत्याशियों ने जीत का प्रमाण पत्र लिया। जेपीएस राठौर विधानसभा चुनावों और एमएलसी चुनावों में बीजेपी के चुनावी प्रबंधन के इंचार्ज रहे हैं।
बीजेपी ने राज्यसभा प्रत्याशियों के चयन से लेकर नामांकन तक विपक्ष को हर तरह से पछाड़ा। यूपी के मुख्य विपक्षी दल सपा ने तीन प्रत्याशियों के नाम का नामांकन कराया, जिसमें से कपिल सिब्बल कांग्रेस से आए और निर्दलीय नामांकन कर राज्यसभा पहुंचे। इसी तरह जयंत चौधरी को आरएलडी के सिंबल पर सपा के सहयोग से राज्यसभा पहुंचे। 111 विधायकों वाली सपा ने तीन में सिर्फ एक प्रत्याशी जावेद खान को अपने सिंबल पर उतारा। बीजेपी ने यहीं पर ऐसा दांव चला कि लक्ष्मीकांत बाजपेई, संगीता यादव, राधामोहन दास अग्रवाल, दर्शना सिंह जैसे अपने मूल बीजेपी कैडर के जमीनी कार्यकर्ताओं को राज्यसभा का टिकट दे दिया।जिन लक्ष्मीकांत बाजपेई का उदाहरण देकर बीजेपी पर सपा आरोप लगाती थी। बीजेपी के इस कदम से सपा अपने ही जाल में उलझ गई। बीजेपी ने संगीता यादव को प्रत्याशी बनाकर सपा के यादव वोटरों में भी सेंध लगाने का काम किया। इससे पहले हुए एमएलसी चुनावों में भी बीजेपी ने 3 एमएलसी प्रत्याशी यादव बिरादरी के उतारे थे। बीजेपी की इस कूटनीति से सपा के खिलाफ बिरादरी और अपने कार्यकर्ताओं की जगह बाहरियों को एडजस्ट करने का संदेश गया।के। लक्ष्मण को राज्यसभा भेजने के पीछे भी बड़ा गेमबीजेपी ने के। लक्ष्मण को यूपी से राज्यसभा का प्रत्याशी बनाकर कई सियासी दांव खेल दिए। एक तो के। लक्ष्मण तेलंगाना के बड़े ओबीसी चेहरे हैं। तेलंगाना में चुनाव भी हैं। ऐसे में के। लक्ष्मण को यूपी से राज्यसभा भेजकर तेलंगाना के ओबीसी वोटरों में पैठ बनाने की बाजी चली तो दूसरा लक्ष्मण बीजेपी ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, जिससे यूपी के ओबीसी बिरादरी को संदेश देने की कोशिश की है।वरिष्ठ पत्रकार बृजेश शुक्ला बताते हैं कि आठ सीटों में भी बीजेपी ने बिरादरी का समीकरण का खासा ध्यान रखा। एक तो ब्राह्मण चेहरे के रूप में लक्ष्मीकांत बाजपेई, वैश्य चेहरे के रूप में राधा मोहन अग्रवाल, पिछड़ों में संगीता यादव, क्षत्रिय बिरादरी से दर्शना सिंह, दलित बिरादरी से मिथलेश कुमार और ओबीसी का बीजेपी की तरफ से पूरे देश में प्रतिनिधित्व करने वाले के। लक्ष्मण को राज्यसभा भेजकर विपक्ष को बिना चुनाव ही बहुत बड़ी सियासी मात दी है।
बीजेपी ने राज्यसभा प्रत्याशियों के चयन से लेकर नामांकन तक विपक्ष को हर तरह से पछाड़ा। यूपी के मुख्य विपक्षी दल सपा ने तीन प्रत्याशियों के नाम का नामांकन कराया, जिसमें से कपिल सिब्बल कांग्रेस से आए और निर्दलीय नामांकन कर राज्यसभा पहुंचे। इसी तरह जयंत चौधरी को आरएलडी के सिंबल पर सपा के सहयोग से राज्यसभा पहुंचे। 111 विधायकों वाली सपा ने तीन में सिर्फ एक प्रत्याशी जावेद खान को अपने सिंबल पर उतारा। बीजेपी ने यहीं पर ऐसा दांव चला कि लक्ष्मीकांत बाजपेई, संगीता यादव, राधामोहन दास अग्रवाल, दर्शना सिंह जैसे अपने मूल बीजेपी कैडर के जमीनी कार्यकर्ताओं को राज्यसभा का टिकट दे दिया।जिन लक्ष्मीकांत बाजपेई का उदाहरण देकर बीजेपी पर सपा आरोप लगाती थी। बीजेपी के इस कदम से सपा अपने ही जाल में उलझ गई। बीजेपी ने संगीता यादव को प्रत्याशी बनाकर सपा के यादव वोटरों में भी सेंध लगाने का काम किया। इससे पहले हुए एमएलसी चुनावों में भी बीजेपी ने 3 एमएलसी प्रत्याशी यादव बिरादरी के उतारे थे। बीजेपी की इस कूटनीति से सपा के खिलाफ बिरादरी और अपने कार्यकर्ताओं की जगह बाहरियों को एडजस्ट करने का संदेश गया।के। लक्ष्मण को राज्यसभा भेजने के पीछे भी बड़ा गेमबीजेपी ने के। लक्ष्मण को यूपी से राज्यसभा का प्रत्याशी बनाकर कई सियासी दांव खेल दिए। एक तो के। लक्ष्मण तेलंगाना के बड़े ओबीसी चेहरे हैं। तेलंगाना में चुनाव भी हैं। ऐसे में के। लक्ष्मण को यूपी से राज्यसभा भेजकर तेलंगाना के ओबीसी वोटरों में पैठ बनाने की बाजी चली तो दूसरा लक्ष्मण बीजेपी ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, जिससे यूपी के ओबीसी बिरादरी को संदेश देने की कोशिश की है।वरिष्ठ पत्रकार बृजेश शुक्ला बताते हैं कि आठ सीटों में भी बीजेपी ने बिरादरी का समीकरण का खासा ध्यान रखा। एक तो ब्राह्मण चेहरे के रूप में लक्ष्मीकांत बाजपेई, वैश्य चेहरे के रूप में राधा मोहन अग्रवाल, पिछड़ों में संगीता यादव, क्षत्रिय बिरादरी से दर्शना सिंह, दलित बिरादरी से मिथलेश कुमार और ओबीसी का बीजेपी की तरफ से पूरे देश में प्रतिनिधित्व करने वाले के। लक्ष्मण को राज्यसभा भेजकर विपक्ष को बिना चुनाव ही बहुत बड़ी सियासी मात दी है।