देश / हैदरपोरा एनकाउंटर में मारे गए 2 लोगों के शव कब्र खोदकर निकाले गए, परिजन को सौंपे जाएंगे

Zoom News : Nov 19, 2021, 07:55 AM
श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सुरक्षाबलों के साथ सोमवार को श्रीनगर में मुठभेड़ में मारे गए दो नागरिकों के शव को जमीन से खोदकर निकाला है। प्रशासन इन शवों को पीड़ित परिजनों को सौंपेगा। परिवार शवों को सौंपने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। श्रीनगर के मेयर गुरुवार को इसकी जानकारी दी। श्रीनगर के हैदरपोरा इलाके में हुई इस मुठभेड़ में दो आतंकियों के साथ दो नागरिक भी मारे गए। इन नागरिकों की पहचान कारोबार अल्ताफ अहमद एवं मुद्दसिर गुल के रूप में हुई। 

पुलिस का दावा है कि दोनों आतंकी संगठनों से जुड़े थे

पुलिस का कहना है कि ये दोनों नागरिक आतंकवादी संगठनों के 'ओवरग्राउंड वर्कर्स' थे जो कि क्रासफायर में मारे गए। जबकि परिवार वालों का दावा है कि इन दोनों का इस्तेमाल 'मानव कवच' के रूप में हुआ। पीड़ित परिजनों ने इसे 'हत्या' करार दिया है। परिजनों का दावा है कि उनका आतंकवाद से कोई लेना-देना नहीं है। पुलिस ने परिवारवालों की गैर-मौजूदगी में हैदरपोरा से करीब 70 किलोमीटर दूर हंदवाड़ा में भट्ट और गुल के दोनों के शव दफना दिए। पुलिस ने ऐसा करने के पीछे 'कानून एव व्यवस्था' का हवाला दिया। इसके पहले दिन में जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने इस मुठभेड़ के न्यायिक जांच के आदेश दिए। 

एलजी सिन्हा ने न्यायिक जांच के आदेश दिए

एलजी सिन्हा ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि इस मामले में किसी के साथ नाइंसाफी न होने पाए। उन्होंने कहा, 'हैदरपुरा एनकाउंटर की न्यायिक जांच होगी और इसकी जांच एडीएम रैंक के अधिकारी करेंगे। यह जांच तय समय में पूरी होगी। एक बार रिपोर्ट मिलने के बाद प्रशासन उचित कार्रवाई करेगा। जम्मू-कश्मीर प्रशासन निर्दोष नागरिकों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी के साथ नाइंसाफी न होने पाए।'

धरने पर बैठे उमर अब्दुल्ला

पीड़ित परिजनों को शव नहीं सौंपे जाने पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने भी नाराजगी जताई। वह गुरुवार को धरने पर बैठे। अब्दुल्ला ने  म्युनिसिपल पार्क में संवाददाताओं से कहा,  'हम सरकार के विरोध में नहीं बोल रहे हैं, हम केवल शव वापस करने की मांग कर रहे हैं।' उन्होंने कहा, 'हम यहां शांतिपूर्वक बैठे हैं। अगर हम चाहते तो सड़कें, पुल अवरुद्ध कर सकते थे लेकिन नहीं किया। कोई नारेबाजी नहीं हो रही, कानून व्यवस्था को कोई खतरा नहीं और सड़क मार्ग अवरुद्ध नहीं किया गया है।'

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