- भारत,
- 14-Sep-2025 01:31 PM IST
GST Reform 2025: लंबे समय से कारोबारियों के मन में एक सवाल बना हुआ था कि डीलरों को दी जाने वाली छूट पर GST पूरी कीमत पर लगेगा या छूट के बाद की कीमत पर। अब सरकार ने इस मामले में स्पष्टता लाते हुए साफ कर दिया है कि अगर कोई कंपनी अपने डीलर को किसी सामान पर सीधी छूट देती है, तो GST अब उसी कम हुई कीमत पर लगेगा। पहले टैक्स अधिकारी कहते थे कि टैक्स पूरी कीमत पर लागू होगा, लेकिन नए नियमों ने इस कन्फ्यूजन को खत्म कर दिया है। उदाहरण के लिए, अगर कोई कार कंपनी पुराने मॉडल को ₹20,00,000 की जगह ₹18,00,000 में डीलर को बेचती है, तो अब GST ₹18,00,000 पर ही लागू होगा।
नया नियम कब से लागू होगा?
ये नियम 22 सितंबर, 2025 से लागू हो जाएगा, जब नए GST नियम प्रभावी होंगे। हाल ही में GST काउंसिल की बैठक में इस पर फैसला लिया गया था। इसके बाद केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने इस संबंध में एक सर्कुलर जारी किया है। इस सर्कुलर से कंपनियों और डीलरों को यह स्पष्ट हो गया है कि किन परिस्थितियों में GST की गणना कैसे होगी।
हर छूट पर नहीं मिलेगा फायदा
यह छूट तभी मान्य होगी जब कंपनी और डीलर के बीच सीधा समझौता हो। यानी, छूट का लाभ तभी मिलेगा जब कंपनी स्पष्ट रूप से लिखित या तयशुदा तरीके से डीलर को कम कीमत पर सामान बेचने की बात कहे। अगर छूट किसी तीसरे पक्ष, जैसे डिस्ट्रीब्यूटर, के माध्यम से दी जाती है, तो GST पूरी कीमत पर ही लगेगा। इस तरह, कंपनी और डीलर के बीच सीधा लेन-देन होने पर ही यह लाभ लागू होगा।
पुराने विवादों का अंत
पहले GST को लेकर कंपनियों और टैक्स अधिकारियों के बीच अक्सर बहस होती थी। अधिकारी कहते थे कि छूट चाहे जितनी हो, टैक्स पूरी कीमत पर लगेगा, जबकि कंपनियों का तर्क था कि जब सामान कम कीमत पर बेचा गया है, तो टैक्स भी उसी के आधार पर लगना चाहिए। सरकार के इस नए फैसले ने इस पुराने झगड़े को सुलझा दिया है। इससे न केवल कारोबारियों को राहत मिलेगी, बल्कि टैक्स प्रणाली में पारदर्शिता भी बढ़ेगी।
कारोबारियों को क्या करना चाहिए?
कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि डीलरों के साथ छूट का समझौता सीधा और लिखित रूप में हो। इससे भविष्य में किसी भी तरह का विवाद टाला जा सकेगा और GST की गणना आसानी से हो सकेगी। KPMG इंडिया के टैक्स विशेषज्ञ अभिषेक जैन ने इस फैसले को स्वागत योग्य बताया है। उनके अनुसार, यह कदम कंपनियों, डिस्ट्रीब्यूटरों और डीलरों को अधिक स्पष्टता के साथ लेन-देन करने में मदद करेगा। साथ ही, सालों से चले आ रहे पुराने विवाद भी धीरे-धीरे खत्म होंगे।
