देश / 'कर्तव्य पथ' को लेकर जयराम रमेश ने PM मोदी पर कसा तंज, RSS का लिया नाम

Zoom News : Sep 08, 2022, 10:45 PM
New Delhi : प्रधानमंत्री मोदी ने सेंट्रल विस्टा अवेन्यू का उद्घाटन किया। इस दौरान औपचारिक रूप से राजपथ का नाम कर्तव्य पथ कर दिया गया। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज गुलामी की एक और पहचान मिट गई है। उन्होंने इशारों-इशारों में नेताजी सुभाष का जिक्र करके कांग्रेस पर भी निशाना साधा। अब कांग्रेस की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सीधी पीएम मोदी पर हमला किया और उन्हें 'सुपर प्रचारक' बता दिया।

एक ट्वीट में रमेश ने कहा, 1942 में आरएसएस भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध कर रहा था और ब्रिटिश शासन का समर्थन कर रहा था। आज 'सुपर प्रचारक' बता रहे हैं कि उन्होंने औपनिवेशिक शासन के प्रतीक को मिटा दिया। यह और कुछ नहीं बल्कि मुद्दों से विचलित करने का एक गिरा हुआ प्रयास है। इस व्यक्ति की हरकतों की कोई सीमा नहीं है।  

कांग्रेस के नेता  कर चुके हैं समर्थन

कांग्रेस एक तरफ मोदी सरकार के फैसले का मजाक बना रही तो दूसरी तरफ कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा इस कदम की सराहना कर चुके हैं। उन्होंने ट्वीट करके कहा था कि यह उस मार्ग का उपयुक्त नाम है जो कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के मंदिर तक जाती है। उन्हंने कहा था कि यह हर लोक सेवक के लिए एक प्रेरणा है। वहीं कांग्रेस के ही पवन खेड़ा ने कहा था कि अगर इस मार्ग का नाम राजधर्म पथ कर देते तो अटल जी की आत्मा को शांति मिल जाती।

क्यों पड़ा था राजपथ नाम?

दरअल जब ब्रिटिश शासनकाल में किंग जॉर्ज पंचम दिल्ली दरबार में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली आए थे तब इसका नाम किग्सवे कर दिया गया था। आजादी के बाद इसका हिंदीकरण किया गया और नाम  राजपथ कर दिया गया। तब से आज तक इसे राजपथ के नाम से ही जाना जाता था लेकिन अब इसे कर्तव्य पथ कहा जाएगा। पीएम मोदी ने कहा कि जब कोई भी व्यक्ति इस पथ पर चलेगा तो उसे अपने कर्तव्य और जिम्मेदारी का अहसास होगा। 

पीएम मोदी ने साधा था कांग्रेस पर निशाना

प्रधानमंत्री मोदी ने उद्घाटन के दौरान अप्रत्यक्ष तरीके से कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि आजादी के बाद महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस को भुला दिया गया। उनके प्रतीकों को नजरअंदाज किया गया। इसके अलावा उन्होंने कर्तव्य पथ को लेकर कहा कि अगर पथ ही राजपथ हो तो लोगों को अहसास कैसे होता। राजपथ ब्रिटिश राज के लिए था। इसकी संरचना भी गुलामी की प्रतीक थी। आज इसकी संरचना भी बदल गई और आत्मा भी बदल गई है।

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