दिल्ली / मनी लॉन्डरिंग केस में 13 सितंबर तक ईडी की रिमांड पर भेजे गए कांग्रेस नेता शिवकुमार

ABP News : Sep 04, 2019, 10:31 PM
नई दिल्लीः दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार को 13 सितंबर तक ईडी की रिमांड में भेज दिया है. ईडी ने कोर्ट से 14 दिन की रिमांड मांगी थी. मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में डीके शिवकुमार को कल गिरफ्तार किया गया था. आज ईडी की तरफ से एएसजी के एम नटराज पेश हुए और उन्होंने कहा कि डीके शिवकुमार का मेडिकल चेकअप कराया गया है और मेडिकल रिपोर्ट के हिसाब से शिवकुमार ठीक हैं. ईडी ने जांच रिपोर्ट कोर्ट में सौपने के बाद डीके शिवकुमार को 14 दिन की रिमांड में भेजने की मांग की.

कर्नाटक के पूर्व कैबिनेट मंत्री और कनकपुरा के विधायक शिवकुमार पूछताछ के लिए चौथी बार मंगलवार यानी कल ईडी के सामने पेश हुए थे. ईडी अधिकारियों ने कल बताया था कि कांग्रेस नेता को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत है, इसलिए उन्हें गिरफ्तार किया गया है. डीके शिवकुमार को कोर्ट ने 13 सितंबर तक रिमांड पर भेजा है लेकिन साथ ही ये निर्देश दिया है कि परिवार के लोग और वकील रोज़ उनसे आधा घंटा मिल सकते हैं. उनकी बेल पर सुनवाई भी 13 सितंबर को ही होगी.

ईडी ने आज कोर्ट में कहा कि आयकर विभाग ने शिवकुमार के यहां रेड की थी और 28 करोड़ के संदिग्ध लेन देन का पता चला. कई सम्पतियों के दस्तावेज मिले लेकिन डीके शिवकुमार पूछताछ में सच नहीं बता रहे हैं और सहयोग नहीं कर रहे हैं. ईडी ने कहा कि इन्होंने अपनी पोजीशन का गलत इस्तेमाल कर अवैध तरीके से पैसा कमाया और इनके भाई और परिवार की सम्पतिया बढ़ती गई हैं. इनके खिलाफ कई सुबूत मिले हैं. लिहाजा इनकी कस्टोडियल इंटेरोगेशन की जरूरत है जिससे इनकी सम्पतियों और लेन देन के बारे में सब कुछ पता किया जा सके.

13 सितंबर तक ईडी की रिमांड पर भेजे जाने के बाद डीके शिवकुमार ने एक ट्वीट किया है जिसमें लिखा है कि इस देश में कानून से ज्यादा मजबूत राजनीतिक प्रतिशोध हो चुका है. ट्वीट किए वीडियो में भी शिवकुमार यही कहते दिख रहे हैं.ईडी ने कहा कि इन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग की है जिसके पैसों के सोर्स का पता करना है, कुछ लोगों को आमने सामने बैठाकर पूछताछ करनी है. सभी जानकारी सीबीआई से भी शेयर की है, ये सवालों के जवाब ठीक से नहीं दे रहे है, उल्टे सीधे जवाब दे रहे हैं. 44 करोड़ रुपये अलग अलग लोगों को दिए गए थे. ऐसे सबूत मिले है जिससे इनपर मनी लॉन्ड्रिंग का केस चलाना बनता है, दस्तावेज के साथ कन्फ्रंट कराना है, कस्टोडियल इंटेरोगेशन क्वालिटी इंटेरोगेशन होती है उसकी जरूरत है, बाकि आरोपियों से भी कन्फ्रंट कराने की जरूरत है.

वहीं डी के शिवकुमार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इन्होंने (ईडी) ने 4 दिन तक करीब 30 घंटे तक पूछताछ की, 4 दिन की पूछताछ में कुछ नहीं कर पाए. सिंघवी ने कोर्ट से गुजारिश करते हुए कहा कि किसी भी शर्त पर बेल दी जाए और एक मिनट और एक भी दिन की पुलिस कस्टडी न दी जाए. उन्होंने कहा कि मेरे क्लाइंट को लो बीपी, हाई शुगर, थाइरॉयड है और डीके को दवाई और प्रॉपर खाने की जरूरत है, आज इन्हें खाना नहीं दिया गया. पता नहीं क्यों इतना टॉर्चर किया जा रहा है. आयकर विभाग ने जिन सेक्शन के तहत कार्रवाई की है उनके आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस नहीं बनता है.

बता दें कि डीके शिवकुमार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला भी चल रहा है. साल 2017 में इनकम टैक्स ने डीके शिवकुमार के 64 ठिकानों पर छापेमारी की थी. उनके खिलाफ टैक्स चोरी की शिकायतों पर कार्रवाई हुई थी. उस दौरान डीके शिवकुमार और बाकी कांग्रेस नेताओं ने राजनीतिक बदले की भावना से कार्रवाई करने का बीजेपी पर आरोप लगाया था. डीके शिवकुमार कर्नाटक कांग्रेस के सबसे अमीर नेताओं में से एक हैं. 2013 में चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में उन्होंने अपनी संपत्ति 250 करोड़ बताई थी, जो अब बढ़कर 600 करोड़ रुपये हो गई है.

क्या है मामला?

दरअसल साल 2017 में आयकर विभाग ने शिवकुमार के कई ठिकानों पर छापेमारी की थी. दिल्ली में उनके एक ठिकाने से करीब 8 करोड़ नकद भी मिले थे. आयकर विभाग ने कोर्ट में चार्जशीट दायर की. इसके बाद आयकर विभाग के आरोपपत्र के आधार पर ईडी ने डीके शिवकुमार पर मनी लॉन्डरिंग केस में मुकदमा दर्ज किया. बाद में डीके शिवकुमार ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. कोर्ट से उन्हें तब राहत मिल गई, लेकिन कोर्ट में हार के बाद ईडी ने उन्हें 4 दिन पहले ही बेंगलूरु से दिल्ली पूछताछ के लिए बुलाया था और अब पूछताछ के दौरान ही डी के शिवकुमार को गिरफ्तार कर लिया गया.

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