Coronavirus / कोरोना वायरस दुनिया से जड़ से होगा खत्म, इटली ने किया दावा

NavBharat Times : May 07, 2020, 07:58 AM
Coronavirus: कोरोनावायरस ने दुनिया भर में अपने पैर पसार लिए हैं। हर रोज इस वायरस के कारण दुनिया भर में कई मौतें हो रही हैं। ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस संख्या में और बढ़ोतरी होने वाली है। हालांकि, अब सभी देशों ने अपने बॉर्डर्स बंद कर लिए हैं, लेकिन यह वायरस इतना खतरनाक है कि लॉकडाउन होने के बावजूद भी हर दिन बढ़ता जा रहा है। यूनाइटेड स्टेट्स में Covid 19 के लगभग 12 लाख पॉजिटिव मामले आ चुके हैं। वहीं, इटली में भी इसका भयंकर रूप देखने को मिला है। इटली में इसके 213013 पॉजिटिल मामले हैं। यह भी सोचने वाली बात है कि यह दो देश ऐसे हैं जहां का हेल्थकेयर सिस्टम सबसे मजबूत सिस्टम में से एक है। पूरी दुनिया के वैज्ञानिक और हेल्थ एक्सपर्ट लोगों को घरों में रहने की सलाह दे रहे हैं और इसकी वैक्सीन बनाने की पुरजोर कोशिश में लगे हैं।

कब बनेगी कोरोनावायरस की वैक्सीन?

पूरी दुनिया आज के समय में इस वायरस से लड़ने के लिए एकजुट हो गई है। वायरस के फैलने के बाद से अधिकतर देशों के हेल्थ एक्सपर्ट्स इसी कोशिश में लगे हैं कि इस वायरस को जड़ से खत्म करने की दवा मिल जाए। वर्तमान समय में वैश्विक तौर पर 80 ग्रुप्स इसकी वैक्सीन बनाने की कोशिश कर रहे हैं। फिलहाल SARS CoV 2 की 111 वैक्सीन्स तैयार की जा चुकी हैं। यह अभी क्लीनिकल ट्रायल के अलग-अलग स्टेज पर हैं।

इटली ने पहली Covid 19 वैक्सीन बनाने का किया दावा

इटली ने दावा किया है कि कोविड 19 की पहली वैक्सीन उन्होंने तैयार कर ली है। इस वैक्सीन को रोम में Spallanzani हॉस्पिटल में टेस्ट किया गया है। कहा जा रहा है कि यह टेस्टिंग के काफी आगे की स्टेज पर पहुंच चुकी है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसे मनुष्य के सेल्स पर भी टेस्ट किया गया है। एक टीके के बाद, चूहों की एंटीबाडी से विकसित यह मानव कोशिकाओं में संक्रमण को रोक सकता है।

इजराइल भी इस मामले में आगे

कल यानी कि 5 मई 2020 को इजराइल के डिफेन्स मिनिस्टर नफ्ताली बेनेट ने यह घोषणा की थी कि Covid-19 का टीका बनाने के मामले में देश ने बड़ा पड़ाव पार किया है। उन्होंने बताया कि इजराइल इंस्टिट्यूट फॉर बायोलॉजिकल रिसर्च (IIBR) ने मोनोक्लोनल न्यूट्रलाइजिंग एंटीबाडी का निर्माण किया है। यह शरीर में नावेल कोरोनावायरस के प्रभाव को खत्म कर देगा। उन्होंने बताया कि इसकी टेस्टिंग एडवांस चरण में है और उन्हें गर्व है कि इस इंस्टीट्यूट के स्टाफ ने इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल की है।

Covid 19 के खिलाफ ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने 23 अप्रैल को मनुष्य पर क्लीनिकल ट्रायल के फेज 1 की शुरुआत कर दी है। इसमें दो लोगों पर इस वैक्सीन का इस्तेमाल किया गया था। ChAdOx1 nCoV-19- नाम की इस वैक्सीन को यूनिवर्सिटी के जेनर इंस्टीट्यूट द्वारा 3 महीने में तैयार किया गया है। इसमें चिम्पांजीस में इन्फेक्शन करने वाले आम कोल्ड वायरस के भाग का इस्तेमाल किया गया है। यह वैक्सीन काम करे, इसके लिए वैज्ञानिकों ने फिलहाल मौजूद कोरोनावायरस के जेनेटिक मटेरियलको वायरस में मिलाया है।

प्लाज्मा थेरेपी

कोरोनावायरस को हराने में प्लाज्मा थेरेपी भी एक तरीका है, जिसका इस्तेमाल किया जा रहा है। प्लाज्मा थेरेपी में वायरस को मात दे चुके व्यक्ति का खून लेकर उसमें से प्लाज्मा नाम के तत्व को निकाला जाता है। माना जा रहा है कि यह इम्युनिटी को एक तरह से बढ़ाने का काम कर रहा है। इससे अगर वायरस से ग्रसित किसी रोगी में कोरोना से लड़ने की क्षमता नहीं है तो इस थेरेपी से शरीर को इस लायक बनाया जा सकता है। भारत में कई अस्पताल कोरोनावायरस के रोगियों को इस थेरेपी के जरिए ठीक करने में लगे हैं। दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग ने भी बताया है कि Covid-19 के 6 रोगी प्लाज्मा थेरेपी (Plasma therapy) से लगभग रिकवर हो चुके हैं। हालांकि, यहां यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि वैज्ञानिक तौर पर अभी इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई है कि प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना का इलाज संभव है या यह कोरोना से लड़ने के लिए इम्युनिटी को स्ट्रांग करता है।

Hydroxychloroquine - मलेरिया की दवा

मलेरिया की इस दवा ने दुनिया भर में खूब हलचल मचाई है। कोरोना की शुरुआत में ही भारत में यह खबर खूब फैली कि यह दवाई ले लेने से आप कोरोना से सुरक्षित हो जाएंगे। इस बात ने और जोर तब पकड़ा जब डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत से बड़ी तादात में इस दवाई को आयात किया। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने काफी समय तक इस दवाई को कोरोना के इलाज के लिए सही बताया था। हालांकि, क्लीनिकल ट्रायल में ऐसा साफ नहीं हो पाया था।

कई रिपोर्ट्स के अनुसार, Hydroxychloroquine पहली दवाई या कोरोना का पहला इलाज था, जो सामने आया था। कहा गया है कि इस दवाई में एंटी-वायरल तत्व मौजूद हैं। यहां तक की भारत में हेल्थ एक्सपर्ट्स का भी मानना है कि कोरोना से लड़ने के लिए फिलहाल यही एक इलाज है। एक क्लीनिकल ट्रायल में भी यह सामने आया था कि HCQ में कोरोना से लड़ने के तत्व मौजूद हैं, लेकिन लंबे समय तक इस दवाई को लेने से या इसकी अधिक डोज से यह शरीर के लिए जहर का काम कर सकती है।

चीन की यह रिपोर्ट आने के बाद कि HCQ से Covid 19 रोगियों के इलाज में मदद मिल सकती है, इसकी मांग में बहुत तेजी से इजाफा हुआ। ट्रायल के परिणाम में यह पता चला कि Hydroxychloroquine या HCQ सिर्फ Covid 19 रोगियों में सर्दी-खांसी, जुखाम और बुखार के समय को कम कर देती है। हालांकि, कम या थोड़े बीमार रोगियों पर यह दवाई सही काम करती है, लेकिन नई इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, यह कोरोना के सीरियस यानी कि काफी बीमार रोगियों पर काम नहीं आती।

SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER