Dollar vs Rupee / जेलेंस्की की दिखाई आंख से डॉलर ने मांगा पानी, भारतीय रुपए ने मौके का उठाया फायदा

अमेरिकी राष्ट्रपति और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के बीच गर्मागर्म चर्चा विफल रही, जिससे वैश्विक बाजार प्रभावित हुआ। डॉलर छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले कमजोर हुआ, जबकि भारतीय रुपया पांच पैसे मजबूत होकर 87.32 पर बंद हुआ। विदेशी निवेशक सतर्क रहे, कच्चे तेल की कीमतों में नरमी रही।

Dollar vs Rupee: अमेरिकी राष्ट्रपति और यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की के बीच रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। हालांकि, यह वार्ता अपेक्षित शांति समाधान तक नहीं पहुंच पाई, क्योंकि दोनों नेताओं के बीच गर्मागर्मी बढ़ गई। इस बैठक के विफल होने के बाद, विश्वभर के मीडिया संस्थानों ने इस वार्ता को लेकर अपने-अपने दृष्टिकोण प्रस्तुत किए। कुछ मीडिया संस्थान पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पक्ष में खड़े दिखे, जबकि अन्य ने जेलेंस्की का समर्थन किया।

डॉलर और कच्चे तेल में नरमी का असर

इस उच्च स्तरीय बातचीत के खराब परिणामों का प्रभाव वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा। वार्ता के विफल होने के बाद, दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर कमजोर हो गया। आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप और जेलेंस्की के बीच बढ़ी गर्मागर्मी का प्रभाव निवेशकों के विश्वास पर पड़ा है, जिससे डॉलर की स्थिति प्रभावित हुई।

भारतीय रुपये के संदर्भ में, डॉलर के कमजोर होने से थोड़ी मजबूती देखने को मिली। सोमवार को अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपये ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पांच पैसे की मजबूती दर्ज की और 87.32 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। हालांकि, अस्थिर घरेलू शेयर बाजारों और विदेशी कोषों की निकासी के चलते निवेशकों में अधिक उत्साह नहीं देखा गया।

विनिमय दरों में उतार-चढ़ाव

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 87.36 पर खुला और 87.25 के उच्चतम स्तर तक पहुंचा, जबकि 87.41 के निचले स्तर को छूने के बाद अंततः 87.32 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। शुक्रवार को, रुपये ने 19 पैसे की गिरावट दर्ज की थी और 87.37 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

भारत के विनिर्माण क्षेत्र में भी कुछ सुस्ती देखने को मिली। फरवरी में एचएसबीसी इंडिया विनिर्माण खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) घटकर 56.3 पर आ गया, जो जनवरी के 57.7 से कम है। नए ऑर्डर और उत्पादन में सुस्त वृद्धि के कारण यह गिरावट आई।

मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने बताया कि निर्यातकों द्वारा डॉलर की बिक्री से रुपये को समर्थन मिला। हालांकि, एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशकों) के बिकवाली दबाव और कमजोर वृहद आर्थिक आंकड़ों के कारण रुपये की अधिक मजबूती नहीं देखी गई।

वैश्विक अर्थव्यवस्था और बाजार पर असर

दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर को मापने वाला डॉलर सूचकांक 0.57 प्रतिशत गिरकर 106.95 पर आ गया। इसके अलावा, वैश्विक तेल बाजार में भी नरमी देखने को मिली, जहां ब्रेंट क्रूड वायदा 0.49 प्रतिशत गिरकर 72.45 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।

घरेलू शेयर बाजार में भी मामूली गिरावट देखी गई। बीएसई सेंसेक्स 112.16 अंक की गिरावट के साथ 73,085.94 अंक पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 5.40 अंक गिरकर 22,119.30 अंक पर आ गया। शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने सोमवार को 4,788.29 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।

निष्कर्ष

रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर हुई इस असफल वार्ता का असर न केवल भू-राजनीतिक हालातों पर पड़ा, बल्कि वैश्विक वित्तीय बाजारों पर भी दिखा। डॉलर की कमजोरी, भारतीय रुपये की मामूली मजबूती और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट इस तनाव का सीधा परिणाम रहे। आने वाले दिनों में, निवेशक और विश्लेषक इस स्थिति के विकास पर पैनी नजर बनाए रखेंगे कि क्या कोई नया राजनयिक प्रयास इस गतिरोध को हल करने में सफल होता है।