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- 07-Sep-2025 08:04 AM IST
Trump-Jinping Meeting: हाल ही में चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात ने वैश्विक कूटनीति में एक नया समीकरण प्रस्तुत किया। इस मुलाकात ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों पर भी असर डाला, जिन्होंने भारत और रूस को "चीन के हाथों खोने" की बात अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कही। इस बीच, खबरें आ रही हैं कि ट्रंप अक्टूबर 2025 में दक्षिण कोरिया में होने वाले एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने जा रहे हैं, जहां उनकी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक की संभावना है। यह मुलाकात वैश्विक व्यापार और भू-राजनीति के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है।
APEC शिखर सम्मेलन और ट्रंप की तैयारी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, डोनाल्ड ट्रंप और उनके शीर्ष सलाहकार अक्टूबर के अंत और नवंबर की शुरुआत में दक्षिण कोरिया के ग्योंगजू में आयोजित होने वाले APEC शिखर सम्मेलन की तैयारियों में जुटे हैं। सीएनएन ने ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों के हवाले से बताया कि यह शिखर सम्मेलन ट्रंप के लिए शी जिनपिंग से मुलाकात का एक महत्वपूर्ण अवसर हो सकता है। इस बैठक का उद्देश्य न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना है, बल्कि अमेरिका में अतिरिक्त आर्थिक निवेश हासिल करना भी है। व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने कहा, "दक्षिण कोरिया की यात्रा पर चर्चा चल रही है, जो आर्थिक सहयोग पर केंद्रित होगी।"
शी जिनपिंग का न्योता
पिछले महीने एक फोन कॉल में शी जिनपिंग ने डोनाल्ड ट्रंप और उनकी पत्नी को चीन आने का न्योता दिया था। ट्रंप ने इस निमंत्रण पर सहमति जताई, हालांकि अभी तक यात्रा की तारीख तय नहीं हुई है। यह न्योता ऐसे समय में आया है, जब अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव चरम पर है। ट्रंप द्वारा भारत, चीन और अन्य देशों पर लगाए गए टैरिफ ने वैश्विक व्यापार को प्रभावित किया है, जिसके जवाब में SCO जैसे मंचों पर भारत, चीन और रूस ने एकजुटता दिखाई है।
SCO समिट का प्रभाव
तियानजिन में आयोजित SCO शिखर सम्मेलन में भारत, चीन और रूस के नेताओं की मुलाकात ने वैश्विक स्तर पर नई कूटनीतिक गतिशीलता को जन्म दिया। इस समिट में पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच 40 मिनट की द्विपक्षीय बैठक में सीमा विवाद, व्यापार और आपसी सहयोग जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। शी जिनपिंग ने कहा, "भारत और चीन को अच्छे पड़ोसी और मित्र बनना चाहिए, ताकि ड्रैगन और हाथी एक साथ नाच सकें।" इस मुलाकात ने ट्रंप की टैरिफ नीतियों के खिलाफ एक वैकल्पिक गठजोड़ की संभावना को बल दिया, जिससे अमेरिका में बेचैनी बढ़ी। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में इस मुलाकात की तस्वीर साझा करते हुए चिंता जताई कि "हमने भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया है।"
दक्षिण कोरिया में ट्रंप-जिनपिंग मुलाकात का महत्व
APEC शिखर सम्मेलन में ट्रंप और शी जिनपिंग की संभावित मुलाकात कई मायनों में महत्वपूर्ण है। पहला, यह बैठक अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध को कम करने की दिशा में एक कदम हो सकती है। ट्रंप ने चीन पर 200% तक टैरिफ लगाने की धमकी दी थी, जिसका जवाब चीन ने वैकल्पिक व्यापारिक गठजोड़ बनाकर दिया है। दूसरा, यह मुलाकात उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन के साथ भी संभावित बातचीत का आधार तैयार कर सकती है, क्योंकि दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति ली जे म्युंग ने ट्रंप को किम से मिलने का सुझाव दिया था।
वैश्विक कूटनीति पर प्रभाव
SCO शिखर सम्मेलन में भारत, चीन और रूस की एकजुटता ने वैश्विक शक्ति संतुलन में बदलाव के संकेत दिए हैं। ट्रंप की टैरिफ नीतियों ने भारत और रूस जैसे देशों को चीन के करीब ला दिया है, जिससे अमेरिका की स्थिति कमजोर हुई है। APEC शिखर सम्मेलन में ट्रंप की शी जिनपिंग के साथ मुलाकात इस स्थिति को संतुलित करने की कोशिश हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुलाकात न केवल आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देगी, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक शांति के लिए भी महत्वपूर्ण होगी।
