देश / दिल्ली हिंसा में हो गई पिता की हत्या, अब जला पैर पाने के लिए लॉकडाउन खत्म होने का करना पड़ रहा इंतजार

News18 : Apr 29, 2020, 01:09 PM
नई दिल्ली। 'मेरे आंसू नहीं थमते हैं। मुझे यकीन ही नहीं होता कि मैं अपने पिता को पूरी रस्मों के साथ अंतिम विदाई नहीं दे पा रही। कोई मेरा दर्द नहीं समझ सकता। किसी को फर्क ही नहीं पड़ता।' ये दर्द है गुलशन का। नॉर्थईस्ट दिल्ली में फरवरी में हुई हिंसा में मारे गए 53 लोगों में गुलशन के पिता अनवर कैसर भी शामिल थे। हिंसा में उपद्रवियों ने उन्हें जिंदा जला दिया था। इस घटना को दो महीने से ज्यादा हो गए हैं। पिता की लाश के तौर पर सिर्फ जला हुआ पैर बचा है। हां।।। जला हुआ पैर। गुलशन इसके मिलने का इंतजार कर रही है।

अब, कोरोना वायरस महामारी की वजह से देश में लागू लॉकडाउन ने गुलशन के जख्मों पर नमक छिड़क दिया है। पुलिस ने अभी तक परिवार को लाश के अवशेष नहीं सौंपे हैं। गुलशन बताती हैं, 'पुलिस हमें हर बार डांटकर वापस भेज देती है। पुलिस कहती है कि तुम हमें परेशान क्यों कर रही है। देख रही हो ना कि लॉकडाउन है। सिर्फ जले मांस में लिपटी एक हड्डी ही तो रह गई है।' गुलशन आगे बताती है, 'वे क्यों नहीं समझते कि सिर्फ हड्डी नहीं है। वो जो भी है मेरे पिता की है। क्या मुझे इतना हक नहीं कि अपने पिता को सम्मानित तरीके से आखिरी विदाई दे सकूं।'

एक रिपोर्ट में जानकारी दी थी कि जली लाश के अवशेष गुलशन के पिता के ही हैं या नहीं, ये साबित करने के लिए डीएनए टेस्ट कराना होगा। रिपोर्ट के मुताबिक, गुलशन ने 29 फरवरी 2020 को डीएनए टेस्ट के लिए सैंपल दिए थे। लेकिन, उसकी रिपोर्ट अब तक नहीं आई है।


गुलशन बताती हैं, "21 मार्च से मैं रोज जीटीबी अस्पताल के चक्कर लगा रही हूं। हर दिन डीएनए रिजल्ट का इंतजार करती हूं। लेकिन, कोई मेरे आंसू नहीं देखता।' कोरोना वायरस महामारी के कारण 21 मार्च के बाद गुलशन को अपने पति के साथ हापुड़ जिले स्थित अपने घर लौटना पड़ा, लेकिन उसका इंतजार खत्म नहीं हुआ।


इस मामले में 7 अप्रैल को दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें अपील की गई कि डीएनए जांच की प्रक्रिया में तेजी लाई जाए। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए अगले ही दिन कोर्ट ने डीएनए टेस्ट पूरा करने और 18 अप्रैल तक रिपोर्ट देने का आदेश दिया। कोर्ट के आदेश के बाद आखिरकार गुलशन को 16 अप्रैल को डीएनए टेस्ट रिपोर्ट मिल गयी है। लेकिन, लाश के अवशेष मिलना बाकी है।


वह बताती हैं, 'मैं शुरू से ही जानती थी कि वो मेरे पिता के ही पैर हैं। डीएनए टेस्ट रिपोर्ट से ये साफ भी हो चुका है। बेशक वो एक जली हड्डी है, लेकिन मेरे पिता की आखिरी निशानी है। इसलिए मुझे उसके मिलने का इंतजार है, ताकि अंतिम संस्कार कर सकूं।'


गुलशन के वकील रितेश दुबे बताते हैं, 'गुलशन की तरह ही दिल्ली दंगे को दो अन्य मामलों में लॉकडाउन में ही परिजनों को लाश सौंप दी गई थी। लेकिन, गुलशन के मामले में ही देरी हो रही है।'


बता दें कि गुलशन के पिता अनवर कैसर दंगे में बुरी तरह से प्रभावित शिव विहार इलाके में रहते थे। गुलशन के मुताबिक, उनके पिता को दंगाइयों ने पास से दो गोलियां मारी, फिर उनके घर को जला दिया गया। पिता को पकड़कर जलती आग में फेंक दिया गया। स्थानीय लोगों का ये भी कहना है कि आग लगाने से पहले दंगाइयों ने गुलशन के घर पर लूटपाट भी की थी। इस घटना में उसके पिता पूरी तरह से जल चुके थे।


गुलशन के मुताबिक, उसके पिता का जला हुआ पैर किसी मुर्दाघर में नहीं है, बल्कि पुलिस कस्टडी में है। लॉकडाउन की वजह से वह इसे लेने दिल्ली नहीं लौट पा रही है। सिसकती गुलशन बताती हैं, 'क्या पुलिस और सरकार मेरी इतनी मदद नहीं कर सकती कि मेरे पिता का बचा अवेशष हमें मिल जाए। ताकि हम उन्हें आखिरी विदाई दे सकें।'

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