- भारत,
- 29-May-2025 09:29 PM IST
क्यों जरूरी है मॉक ड्रिल?
भारत-पाकिस्तान सीमा लगभग 3300 किलोमीटर लंबी है और इस पूरे क्षेत्र में सुरक्षा हमेशा से एक संवेदनशील मुद्दा रही है। हाल के समय में पहलगाम आतंकी हमले जैसी घटनाओं और संभावित सुरक्षा खतरों के मद्देनज़र भारत सरकार ने देश के नागरिकों को युद्ध और आपदा की स्थितियों में तैयार रखने का निर्णय लिया है।
मॉक ड्रिल का उद्देश्य:
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युद्ध की स्थिति में नागरिकों को आत्मरक्षा और आपसी सहयोग की जानकारी देना
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ब्लैकआउट की प्रक्रिया को व्यवहारिक रूप से समझाना
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नागरिक सुरक्षा एजेंसियों की तैयारियों का मूल्यांकन
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हवाई हमलों की चेतावनी प्रणाली और कंट्रोल रूम की कार्यप्रणाली का परीक्षण
पिछली मॉक ड्रिल में मिली थीं खामियां
इससे पहले 7 मई 2025 को देश के संवेदनशील क्षेत्रों में पहली मॉक ड्रिल आयोजित की गई थी। उस समय कई जिलों में नागरिक सुरक्षा व्यवस्थाओं में गंभीर खामियां उजागर हुई थीं—जैसे कंट्रोल रूम की धीमी प्रतिक्रिया, ब्लैकआउट में लाइट नियंत्रण की असफलता, और जनता की जागरूकता की कमी। इन्हीं कमियों को दूर करने के लिए अब यह दूसरी मॉक ड्रिल की जा रही है।
मॉक ड्रिल के दौरान क्या होगा?
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युद्ध सायरन बजाए जाएंगे
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ब्लैकआउट की स्थिति बनाई जाएगी
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सिविल डिफेंस वार्डन, NCC, NSS, NYKS, भारत स्काउट्स एंड गाइड्स और पंजीकृत स्वयंसेवक अभ्यास में शामिल होंगे
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लोगों को निकासी, प्राथमिक उपचार, और आपातकालीन संचार के बारे में बताया जाएगा
ब्लैकआउट क्या है और क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
ब्लैकआउट का उद्देश्य दुश्मन के हवाई हमले या निगरानी से बचाव करना होता है। इस दौरान कोई भी रोशनी बाहर नहीं दिखनी चाहिए, जिससे शहरी क्षेत्र को आसमान से पहचानना मुश्किल हो जाए।
ब्लैकआउट के दौरान करें ये उपाय:
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सभी खिड़कियों पर काले कागज़, पर्दे या अंधे ढाल लगाएँ
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स्ट्रीट लाइट, घरेलू बल्ब और गाड़ियों की हेडलाइट को ढकें
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घर के बाहर कोई रोशनी या सजावट न करें
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टॉर्च और मोबाइल की रोशनी को कागज़ या कपड़े से ढकें
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वाहनों के रिफ्लेक्टर और बीम लाइट को पूरी तरह कवर करें
मॉक ड्रिल से पहले जानें अपने कर्तव्य
यह अभ्यास केवल सरकारी एजेंसियों के लिए नहीं है, बल्कि आम नागरिकों की भी इसमें अहम भूमिका है। देश की सुरक्षा और अपने परिवार की रक्षा के लिए हर नागरिक को इस अभ्यास में भाग लेने और निर्देशों का पालन करने की ज़रूरत है।