India Us Tariff / क्या 'ट्रंप टैरिफ का तोड़' बाजार को मिल गया, भारत ने बनाया धांसू प्लान

भारत ने अमेरिका के संभावित टैरिफ से बचने के लिए 30 से अधिक प्रोडक्ट्स पर इंपोर्ट ड्यूटी कम करने का फैसला किया है। इससे अमेरिकी प्रतिबंध टल सकते हैं और निवेशकों का भरोसा बढ़ सकता है। इस रणनीति से भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंध मजबूत होंगे और शेयर बाजार में स्थिरता आ सकती है।

India Us Tariff: अगले कुछ घंटों में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की यात्रा पर होंगे, और इससे पहले ही भारत सरकार ने ‘ट्रंप टैरिफ’ के प्रभाव को कम करने के लिए एक ठोस योजना तैयार कर ली है। इस कदम से भारतीय शेयर बाजार को राहत मिलने की उम्मीद है। भारत सरकार 30 से अधिक अमेरिकी उत्पादों पर आयात शुल्क (इंपोर्ट ड्यूटी) कम करने की योजना बना रही है, जिससे अमेरिका द्वारा लगाए जाने वाले टैरिफ का खतरा कम हो सकता है।

भारत पर ‘टैरिफ किंग’ का ठप्पा

डोनाल्ड ट्रंप और अमेरिकी अधिकारियों ने भारत को ‘टैरिफ किंग’ की संज्ञा दी है, क्योंकि भारत अन्य देशों की तुलना में आयातित उत्पादों पर अधिक शुल्क लगाता है। ट्रंप पहले भी यह संकेत दे चुके हैं कि यदि भारत अपने टैरिफ में कमी नहीं करता, तो उसे समान प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ेगा। इसके अतिरिक्त, भारत को अमेरिकी रक्षा उपकरण और ऊर्जा उत्पादों की खरीद भी बढ़ानी होगी।

नोमुरा रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

नोमुरा की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत उच्च अमेरिकी टैरिफ से बचने के लिए 30 से अधिक उत्पादों पर शुल्क कम करने पर विचार कर रहा है। भारत ने हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक्स, वस्त्र और हाई-एंड मोटरसाइकिल पर इंपोर्ट ड्यूटी कम की है। इसके अलावा, अमेरिका के साथ राजनयिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में भी कदम उठाए गए हैं, जैसे कि अवैध भारतीय प्रवासियों की वापसी पर सहमति। अब, भारत अपनी व्यापार नीति के तहत लग्जरी वाहनों, सोलर सेल्स और रसायनों पर टैरिफ में कटौती करने की योजना बना रहा है।

क्या होगा यदि भारत टैरिफ नहीं घटाता?

यदि भारत अमेरिकी उत्पादों पर उच्च टैरिफ को कम नहीं करता, तो अमेरिका भारतीय निर्यातित उत्पादों पर समान शुल्क लगा सकता है। उदाहरण के लिए, यदि भारत अमेरिकी ऑटोमोबाइल पर 25% टैरिफ लगाता है, तो अमेरिका भी भारतीय वाहनों पर समान शुल्क लागू कर सकता है। ट्रंप प्रशासन ने हमेशा पारस्परिक टैरिफ नीति की वकालत की है।

भारत-अमेरिका व्यापार संतुलन

अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है, जो भारत के कुल निर्यात का लगभग 18% हिस्सा है। वित्त वर्ष 2024 में यह भारत के जीडीपी का 2.2% था। अमेरिका के साथ भारत का व्यापार अधिशेष (ट्रेड सरप्लस) 2024 में लगभग 38 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया। अमेरिका को भारत से मुख्य रूप से औद्योगिक मशीनरी, रत्न-आभूषण, फार्मास्यूटिकल्स, ईंधन, लोहा-इस्पात, वस्त्र, वाहन और रसायन निर्यात किए जाते हैं।

ट्रंप की ‘टैरिफ किंग’ वाली टिप्पणी और भारत की प्रतिक्रिया

ट्रंप ने भारत को ‘टैरिफ किंग’ कहते हुए, भारत से अधिक अमेरिकी सुरक्षा उपकरण खरीदने की आवश्यकता पर जोर दिया था। प्रधानमंत्री मोदी के साथ चर्चा के दौरान, उन्होंने निष्पक्ष द्विपक्षीय व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देने पर बल दिया। भारत भी अमेरिका के साथ समझौते पर पहुंचने के प्रयास कर रहा है ताकि व्यापार संतुलन बना रहे और उच्च टैरिफ न लगे।

भारतीय शेयर बाजार को राहत की उम्मीद

जहां कई देश अमेरिका की टैरिफ नीति का जवाब देने की तैयारी कर रहे हैं, वहीं भारत ने टैरिफ कम करने और व्यापारिक संबंधों को सुचारू बनाए रखने की नीति अपनाई है। इसका सीधा लाभ भारतीय रुपये और शेयर बाजार को मिल सकता है।

यदि भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ वॉर टल जाता है और अमेरिकी निवेश भारत में बढ़ता है, तो भारतीय अर्थव्यवस्था को लाभ होगा। इसके अलावा, विदेशी निवेशकों का रुझान भी भारतीय शेयर बाजार की ओर बढ़ सकता है।

हालिया शेयर बाजार में गिरावट और निवेशकों का नुकसान

हालांकि, हाल के दिनों में भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली है। सेंसेक्स 5 दिनों में 2000 से अधिक अंकों की गिरावट झेल चुका है, जबकि निफ्टी में भी करीब 700 अंकों की गिरावट आई है। मंगलवार को बाजार बंद होने तक, बीएसई का कुल मार्केट कैप लगभग 9 लाख करोड़ रुपये घट चुका था। पिछले पांच दिनों में निवेशकों को कुल 17 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

निष्कर्ष

भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों को संतुलित करने की दिशा में सरकार की यह पहल महत्वपूर्ण हो सकती है। अगर भारत टैरिफ कम करने की योजना को सफलतापूर्वक लागू करता है, तो यह न केवल अमेरिकी टैरिफ के खतरे को कम करेगा, बल्कि भारतीय शेयर बाजार और अर्थव्यवस्था को भी स्थिरता प्रदान करेगा। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की आगामी बैठक इस संदर्भ में बेहद अहम होगी।