- भारत,
- 16-Apr-2020 12:52 PM IST
Wedding Dates In 2020-2021: हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य शुभ मुहूर्तों को देखकर ही किया जाता है। कोराना वायरस (Coronavirus) संक्रमण के कारण हुए लॉकडाउन (Lock Down) के चलते कई लोग विवाह जैसे शुभ कार्यों को टाल रहे हैं और अब 14 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के द्वारा 3 मई तक के लिए लॉकडाउन की अवधि को बढ़ा दिया गया है। तो ऐसे में 3 मई के बाद शादी ब्याह के कौन कौन से शुभ मुहूर्त रहेंगे देखिए यहां…3 मई के बाद से विवाह के मुहूर्त (Vivah Muhurat 2020):मई- 4, 5, 6, 15, 17, 18, 19, 23जून- 11, 15, 17, 27, 29, 30नवंबर- 27, 29, 30दिसंबर- 1, 7, 9, 10, 112021 में विवाह के मुहूर्त (2021 Marriage Dates):जनवरी – 18फरवरी- 15, 16 (रात्रि में विवाह मुहूर्त नहीं है)मार्च- विवाह मुहूर्त नहीं हैअप्रैल- 22, 24, 25, 26, 27, 28, 29, 30मई- 1, 2, 7, 8, 9, 13, 14, 21, 22, 23, 24, 26, 28, 29, 30जून- 3, 4, 5, 20, 22, 23, 24जुलाई- 1, 2, 7, 13, 15नवंबर- 15, 16, 20, 21, 28, 29, 30दिसंबर- 1, 2, 6, 7, 11, 13कब-कब नहीं होंगे विवाह:– शुक्र ग्रह 31 मई से 9 जून तक के लिए अस्त है तो इस कारण इस दौरान शादी ब्याह जैसे शुभ कार्य नहीं किये जा सकेंगे।– देवशयनी एकादशी के समय भी मांगलिक कार्य नहीं किये जाते। इस दौरान भगवान विष्णु 4 महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। फिर देवउठनी एकादशी के दिन भगवान जागते हैं इसलिए इस दिन से फिर से शादी ब्याह जैसे शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं। 2020 में ऐसे में 1 जुलाई से 24 नवंबर तक कोई भी विवाह का शुभ मुहूर्त नहीं है।– धनु संक्रांति के समय में भी विवाह आदि कार्य नहीं किये जाते। धनु संक्रांति 15 दिसंबर से 14 जनवरी 2021 तक है।– गुरु के अस्त होने के दौरान भी शादी ब्याह के कार्य नहीं किये जाते। गुरु ग्रह 19 जनवरी से 11 फरवरी 2021 तक के लिए अस्त है।– इसके बाद 21 फरवरी से 12 अप्रैल 2021 तक शुक्र अस्त होने से भी विवाह नहीं हो सकता । 2021 में कई ग्रहों के अस्त होने के कारण विवाह के मुहूर्त कम हैं।कैसे निकाला जाता है विवाह मुहूर्त? हिंदू धर्म में विवाह से पूर्व सबसे पहले वर वधु की कुंडलियों का मिलान किया जाता है। जिसके लिए वर और कन्या की कुंडलियों में 36 गुणों को देखा जाता है। वर और कन्या के गुण मिलने के बाद ही शादी की तारीख निकाली जाती है। इसके बाद वर-वधु की जन्म राशि के आधार पर ही विवाह संस्कार के लिए निश्चित तिथि, वार, नक्षत्र तथा समय को निकाला जाता है। फिर दोनों की कुंडली में विवाह के लिए एक समान तिथि को विवाह मुहूर्त के लिए लिया जाता है।
