Coronavirus / 1 किमी के दायरे में 7 हजार लोग रहते हैं, तो नदी की तरह बहेगा कोरोना; इन शहरों में नहीं संभले तो बढ़ेगी मुसीबत

Zoom News : Jan 13, 2022, 10:02 AM
हम भारतीय लोग सड़क, बाजार, अस्पताल हर जगह भीड़ से होकर गुजरते हैं। ये हमें भले ही जनसंख्या के बल पर मजबूत होने का अहसास देती है, लेकिन अब यही भीड़ कोरोना के खिलाफ लड़ाई में बड़ी चुनौती बन गई है। ओमिक्रॉन को अब तक का सबसे तेजी से फैलने वाला वैरिएंट माना जा रहा है।

ऐसे में आपके शहर में एक किलोमीटर के दायरे में 7 हजार लोग रहते हैं तो वहां कोरोना किसी नदी के तेज बहाव की तरह फैल सकता है। इसकी मुख्य वजह यह है कि कोरोना भीड़ को जरिया बनाकर लोगों का शिकार करता है।

इसके खिलाफ लड़ाई में सोशल डिस्टेंसिंग सबसे बड़ा हथियार है। सभी बड़े शहरों में कर्फ्यू के जरिए भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश हो रही है, लेकिन क्या ये कोशिश कामयाब साबित हो रही है?

6 बड़े और भीड़-भाड़ वाले शहरों में संक्रमण की रफ्तार से पूरा मामला समझें

  • अमेरिकी इंजीनियर जोन फ्रुअन की रिसर्च के मुताबिक भीड़ सही समय पर नियंत्रित न हो तो यह किसी आपदा की वजह बन सकती है। इस रिसर्च की मुख्य बातों को समझते हैं-
  • किसी शहर में एक किलोमीटर के दायरे में 7 हजार से ज्यादा लोग रहते हैं तो यह माना जाना चाहिए कि वहां भीड़ ज्यादा जमा हो गई है।
  • ये भीड़ बहते हुए पानी की तेज रफ्तार की तरह होती है। यही वजह है कोरोना के फैलने के लिए यह भीड़ बेहतर माध्यम साबित होती है।
  • इस बात को इससे भी समझा जा सकता है कि दूसरी लहर के दौरान महज 6 भीड़-भाड़ वाले शहर (अहमदाबाद , बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, कोलकता और मुंबई) में कोरोना के 16% केस सामने आए थे।
  • दूसरी लहर में भारत में कोरोना से होने वाली हर 5 लोगों में से एक की मौत इन्हीं शहरों में हो रही थी।
  • अब तीसरी लहर में भी भीड़ की वजह से कोरोना के मामले इन शहरों में तेजी से बढ़ रहे हैं। इस बात को हम आगे इसी आर्टिकल में समझते हैं।
जानिए आपके शहर में एक किलोमीटर के दायरे में कितने लोग रहते हैं-  https://nriol.com/india-statistics/biggest-cities-india.asp

एक दिन में 5 शहरों से आए कोरोना के 28% मामले

भारत में सबसे ज्यादा भीड़-भाड़ वाले पांच शहरों में मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, कोलकता और चेन्नई शामिल है। तीसरी लहर के दौरान देश में 11 जनवरी 2022 को कोरोना के 1.94 लाख केस सामने आए हैं। इनमें से करीब 56 हजार केस (करीब 28% संक्रमण के मामले) देश के 5 सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले शहरों में सामने आए हैं।

11 जनवरी (मंगलवार) को दिल्ली में 21,259 नए मामले मिले। यह इस दिन देश के कुल केस का 10% था। वहीं, मुंबई की बात करें तो रविवार को यहां 11,647 केस मिले। यह इस दिन देश भर में मिले केस का 6% था। मतलब ये कि सिर्फ दो भीड़-भाड़ वाले शहर से 16% कोरोना केस सामने आए। ऐसे में इन 5 शहर में रहने वाले लोग अब भी नहीं सतर्क हुए तो कोरोना और ज्यादा तबाही ला सकता है।

कपूरथला VS मुंबई से समझिए भीड़ में कोरोना ने कैसे मचाई तबाही

वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम की 2017 की रिपोर्ट में मुंबई को ढाका के बाद दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा जनघनत्व वाला शहर बताया है। मुंबई में एक किलोमीटर के दायरे में औसत 31.7 हजार लोग रहते हैं। इसी तरह दिल्ली में एक किलोमीटर के दायरे में औसत 11.31 हजार लोग रहते हैं।

अंतिम सेंसस के मुताबिक, एक किमी के दायरे में कोलकता में 24 हजार, अहमदाबाद में 16 हजार, बेंगलुरु में करीब 17 हजार लोग प्रति वर्ग किलोमीटर के दायरे में रह रहे हैं। इन शहरों में भी कोरोना ने पहली और दूसरी लहर में जमकर कहर बरपाया है।

वहीं, कपूरथला भारत के सबसे कम जनघनत्व वाले शहरों में से एक है। जहां एक वर्ग किलोमीटर दायरे में औसतन 531 लोग रहते हैं। कम भीड़ होने के चलते कपूरथला में सिर्फ 0.04% कोरोना के मामले सामने आए। जबकि मुंबई में रहने वाले 6% से ज्यादा लोग सरकारी आंकड़े में संक्रमित हो चुके हैं।

भीड़ और कोरोना रोकने की सरकारी कोशिश कामयाब हो रही है?

रोजगार के बेहतर अवसरों व अच्छी शिक्षा के लिए प्रति मिनट 20 से 30 भारतीय शहर पहुंचते हैं, जिससे शहरों में भीड़ बढ़ रही है। देश की कुल जनसंख्या के 6% लोग 6 बड़े शहरों में रहते हैं।

यही वजह है कि इन शहरों में कम जगह में ज्यादा लोग रहने को मजबूर हैं। जबकि कोरोना से निपटने के लिए WHO की गाइडलाइन कहती है कि सोशल डिस्टेंसिंग के लिए दूसरे इंसान से 2 मीटर दूरी बनाए रखना जरूरी है। पहली और दूसरी लहर में हमने देखा कि भीड़ को सही समय पर नियंत्रित नहीं किया जाए तो महामारी को काबू करना नामुमकिन हो जाता है।

पहली और दूसरी लहर के दौरान बिना किसी मजबूत योजना के लॉकडाउन लगाया तो अचानक से प्रवासियों की भीड़ अपने घरों की तरफ लौटने लगी। किसी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन इस दौरान नहीं हुआ।

  • यही भीड़ कोरोना संक्रमण को गांव की ओर लेकर गई। रेलवे द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक अप्रैल 2021 में 6 लाख लोग महाराष्ट्र छोड़कर वापस अपने घरों की और गए थे। इनमें से 3 लाख लोग केवल मुंबई से थे।
  • अब एक बार फिर से उसी तरह दोबारा से होने का डर सताने लगा है। मुंबई, दिल्ली समेत बड़े शहरों से लॉकडाउन के डर से लाचार मजदूरों की भीड़ फिर अपने घरों की ओर चल पड़ी है।
  • इससे एक बार फिर से न सिर्फ अर्थव्यस्था बल्कि महामारी के गांव तक पहुंचने का डर सताने लगा है।
गलत मैनेजमेंट की वजह से भीड़ दे रही है संक्रमण को न्योता

कोरोना महामारी को फैलने में अक्सर जनसंख्या पर ठेकरा फोड़ा जाता है। जबकि इसमें प्रशासन की कमजोर व्यवस्था और बुनियादी सुविधाओं का अभाव भी अहम भूमिका निभाता है।

  • शहर के मॉल और रेस्तरां को आधी कैपेसिटी के साथ चलाने के निर्देश जारी हुए तो बाहर भीड़ इतनी हुई कि धक्का-मुक्की की नौबत आ गई। ऐसे में पाबंदियों का कोई मतलब ही नहीं रहा।
  • दिल्ली में जब मैट्रो और बसों को आधी कैपेसिटी से चलाने का फैसला हुआ तो स्टेशनों और बस स्टैंड पर भारी भीड़ जमा हो गई। इसे संभालने के लिए वहां उचित संख्या में सुरक्षाकर्मी नहीं दिखे।
  • 2013 में संयुक्त राष्ट्र ने 71 देशों की स्टडी की थी। इसमें सामने आया है कि भारत में एक लाख लोगों पर केवल 138 पुलिसकर्मी हैं। जबकि भीड़ को संभालने के लिए एक लाख लोगों पर 222 पुलिसकर्मी होने चाहिए। न केवल यूएन बल्कि राष्ट्रीय पुलिस ब्यूरो भी एक लाख लोगों पर 176 पुलिसकर्मी होने की सिफारिश करता है।
जानिए क्यों चीन में ज्यादा जनसंख्या होने के बाद भी कम फैला कोरोना?

ज्यादा जनसंख्या होने के बावजूद भी चीन में कोरोना ने भारत और अमेरिका से कम हाहाकार मचाया है। वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, अमेरिका और भारत के शहरों में ज्यादा जनघनत्व होने की वजह से तेजी से कोरोना फैला है। वहीं, चीन के शहरों में बेहतर प्रशासन और मैनेजमेंट के चलते ज्यादा जनघनत्व होने के बाद भी संक्रमण को बेहतर तरीके से रोका जा सका। रिपोर्ट में इसकी वजह चीन में स्वास्थ्य सुविधाओं का सही होना और भीड़ को सही से मैनेज करना बताया गया है।

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