ED Summon / अवैध सट्टेबाजी ऐप्स ने बढ़ाई फिल्मी सितारों की मुश्किल, देवरकोंडा के बाद इन दो हसीनाओं को ED का समन

एडी ने अवैध सट्टेबाजी ऐप 1xBet को प्रमोट करने के मामले में बॉलीवुड एक्ट्रेस उर्वशी रौतेला और बंगाली सिनेमा की अभिनेत्री व पूर्व टीएमसी सांसद मिमी चक्रबोर्ती को समन भेजा है। मिमी को 15 सितंबर और उर्वशी को 16 सितंबर को दिल्ली मुख्यालय में पेश होना होगा। इससे पहले कई सितारे पूछताछ झेल चुके हैं।

ED Summon: सट्टा ऐप्स को सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर प्रचार करने के मामले में अब तक कई बड़े फिल्मी सितारे कानूनी पचड़े में फंस चुके हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले में अब तक करीब 25 सितारों को समन जारी किया है, जिनमें प्रकाश राज, निधि अग्रवाल, राणा दग्गुबाती और विजय देवरकोंडा जैसे नाम शामिल हैं। अब इस सूची में दो और अभिनेत्रियों के नाम जुड़ गए हैं—बॉलीवुड की उर्वशी रौतेला और बंगाली सिनेमा की मशहूर अभिनेत्री व पूर्व टीएमसी सांसद मिमी चक्रबोर्ती।

उर्वशी और मिमी को समन

प्रवर्तन निदेशालय ने 1xBet नामक अवैध सट्टेबाजी ऐप के प्रचार के मामले में उर्वशी रौतेला और मिमी चक्रबोर्ती को समन जारी किया है। मिमी चक्रबोर्ती को 15 सितंबर 2025 को ईडी के दिल्ली मुख्यालय में पेश होने के लिए कहा गया है, जबकि उर्वशी रौतेला को 16 सितंबर 2025 को हाजिर होना होगा। ईडी ने इस मामले में पहले भी कई अभिनेताओं और क्रिकेटरों से पूछताछ की है, और अब यह जांच और गहरा रही है।

इन सितारों पर भी लगे हैं आरोप

सट्टा ऐप्स के प्रचार के मामले में अब तक कई बड़े नाम कानूनी दायरे में आ चुके हैं। अभिनेता राणा दग्गुबाती, विजय देवरकोंडा, प्रकाश राज, मांचू लक्ष्मी और निधि अग्रवाल जैसे सितारों को भी ईडी ने समन जारी किया था। इनमें से कई सितारे जांच के सिलसिले में ईडी के सामने पेश हो चुके हैं। इन पर आरोप है कि इन्होंने ऑनलाइन सट्टेबाजी को बढ़ावा देने में भूमिका निभाई, जो भारत में अवैध माना जाता है।

सट्टा ऐप्स का सामाजिक प्रभाव

सट्टेबाजी ऐप्स न केवल जुए की लत को बढ़ावा देते हैं, बल्कि यह वित्तीय संकट का भी कारण बनते हैं। खासतौर पर जब सेलिब्रिटी इन ऐप्स का प्रचार करते हैं, तो इसका युवाओं और बच्चों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। ये प्लैटफॉर्म्स विशेष रूप से युवाओं को निशाना बनाते हैं, उन्हें आसान पैसा कमाने का लालच देकर जुए की ओर आकर्षित करते हैं। पुलिस और विशेषज्ञों का कहना है कि ये ऐप्स बेरोजगार युवाओं को झूठी उम्मीदें देकर उनका शोषण करते हैं।