India-China / चीन के खिलाफ भारत को मिला US, जापान, ऑस्ट्रेलिया, साउथ कोरिया का साथ

News18 : Sep 03, 2020, 08:08 AM
DELHI: चीन और भारत के बीच सीमा विवाद को लेकर पैदा हुए ताज़ा हालात पर अमेरिका भी नज़र बनाए हुए है। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने कहा है कि चीन की अन्याय भरी नीतियों के कारण भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देश अमरीका के साथ लामबंद हो रहे हैं। भारत में चीन की तरफ जारी घुसपैठ के खिलाफ ये सभी देश साथ हैं। मंगलवार को फ़ॉक्स न्यूज़ को दिए इंटरव्यू में पॉम्पियो ने कहा, मेरे ख़्याल से आप देख सकते हैं कि पूरी दुनिया इस बात को लेकर एकजुट होने लगी है कि चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी ईमानदारी, समानता और पारदर्शिता से मुक़ाबला करने के लिए तैयार नहीं होगी।

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, भारत की ओर से साउथ चाइना सी में जंगी जहाज़ भेजे जाने को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में पॉम्पियो ने कहा, भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान या दक्षिण कोरिया में हमारे जो दोस्त हैं, उन्हें मालूम है कि उनके लोगों को, उनके देश को कितना ख़तरा है। आप देखेंगे कि वे हर मोर्चे पर जवाब देने के लिए अमरीका के साथ सहयोग बढ़ाएंगे।इसके बाद बुधवार को अपने कार्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए माइक पॉम्पियो ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि भारत-चीन सीमा विवाद के कारण पैदा हुए हालात का शांतिपूर्ण हल निकलेगा। पॉम्पियो यह भी कहा कि चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी (चीनी सरकार) साफ़ तौर पर ताइवान से लेकर हिमालय तक अपने पड़ोसियों के साथ दादागीरी की राह पर चल रही है। पॉम्पियो ने कहा कि यह दादागिरी साउथ चाइना सी में साफ़ नज़र आती है। उन्होंने कहा, भारत-चीन सीमा पर बनी स्थिति के शांतिपूर्ण हल की उम्मीद है। ताइवान की खाड़ी से लेकर हिमालय और इससे परे तक चीनी सरकार साफ़ तौर पर अपने पड़ोसियों के बीच दादागीरी दिखाने में लगी है। इस बीच, भारत की ओर से पबजी समेत 100 से अधिक चीन में बने ऐप प्रतिबंधित के जाने को लेकर भी अमेरिका की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया आई है।

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने कहा है, भारत ने पहले ही 100 से अधिक चीनी ऐप प्रतिबंधित कर दिए हैं। हम सभी स्वतंत्रता पसंद देशों और कंपनियों से अपील करते हैं कि वे भी क्लीन नेटवर्क से जुड़ें। भारतीय सेना ने 29 और 30 अगस्त की रात को पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे वाले क्षेत्र में चीनी सेना के कब्जा करने के इरादों को नाकाम करते हुए उन्हें पीछे धकेल दिया है। हालांकि चीन आरोप लगा रहा है कि भारतीय सेना ने ही घुसपैठ को अंजाम दिया है।अब अमेरिका ने भी इस पूरे मामले पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका मानता है कि चीनी सेना ही लगातार भारत-चीन अंतरराष्ट्रीय सीमा पर घुसपैठ का काम कर रही है, इस बार भी ऐसी ही कोशिश थी लेकिन भारतीय सेना ने उसे पूरी तरह नाकाम कर दिया। US न्यूज़ की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी प्रशासन इस बात को अच्छी तरह जानता है कि कि चीनी सेना ही लगातार उकसावे की कार्रवाई कर रही है। एक तरफ वह भारत को बातचीत में उलझाए रखना चाहता है, दूसरी तरफ उसने सीमा पर बैठे लोकल कमांडरों को घुसपैठ की खुली छूट भी दी हुई है।अमेरिकन इंटेलीजेंस असेसमेंट के मुताबिक चीनी सेना पैन्गोंग और उसके आस-पास के इलाके पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है। इसी के लिए उन्होंने प्लान बनाया था हालांकि भारतीय सेना की मुस्तैदी के चलते ये नाकाम हो गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय सेना को किसी भी तरह के जान-माल का नुक्सान हुआ है, न ही चीन अपने मंसूबे पूरे कर पाया है।

दक्षिण एशिया (South Asia) और साउथ चाइना सी (South China Sea) में चीन (China) की बढ़ती दादागिरी के खिलाफ अमेरिका (US) ने भी अपना मास्टर प्लान तैयार कर लिया है। अमेरिका इंडो-पैसिफिक रीजन के अपने साथियों- भारत (India), जापान (Japan) और ऑस्ट्रेलिया (Australia) को साथ लेकर एक नाटो जैसा संगठन बनाना चाहता है। अमेरिका को लगता है कि चीन पर लगाम कसने के लिए वह नार्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (नाटो) जैसा एक गठबंधन इस इलाके में होना बेहद ज़रूरी है। अमेरिका के उप विदेश मंत्री स्टीफेन बिगन ने सोमवार को कहा कि इन चारों देशों की बैठक जल्द ही दिल्ली में होने की उम्मीद है। इस बैठक में इस प्रस्तावित संगठन और सैन्य सहयोग को लेकर चर्चा की जाएगी। बिगन ने यूएस-इंडिया स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप फोरम में कहा कि अमेरिका का लक्ष्य इन चार देशों के साथ दूसरे देशों को मिलाकर चीन की चुनौती का सामना करना है। बिगन भारत में अमेरिका के पूर्व राजदूत रहे रिचर्ड वर्मा के साथ ऑनलाइन चर्चा में भाग ले रहे थे।

बिगन ने कहा, इंडो-पैसिफिक रीजन में मजबूत स्ट्रक्चर की कमी है। उनके पास नाटो या यूरोपीय यूनियन (ईयू) जैसा कोई मजबूत संगठन नहीं है। याद करें कि जब नाटो की शुरुआत हुई थी तो बहुत मामूली उपेक्षाएं थीं। शुरू में कई देशों ने नाटो की सदस्यता लेने के बजाय तटस्थ रहना चुना था। उन्होंने यह भी बताया कि इस तरह का गठबंधन तभी होगा जब दूसरे देश अमेरिका के जितने ही प्रतिबद्ध होंगे। बिगन ने कहा कि मालाबार नेवल एक्सरसाइज में ऑस्ट्रेलिया का भाग लेना डिफेंस ब्लॉक बनाने की इस दिशा में एक कदम है। 

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