- भारत,
- 13-Jul-2025 03:27 PM IST
India-Myanmar Border: म्यांमार के सागिंग क्षेत्र में उग्रवादी संगठन यूनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA-I) ने दावा किया है कि भारतीय सेना ने उनकी सीमा पर स्थित शिविरों पर ड्रोन हमलों को अंजाम दिया है। संगठन के अनुसार, इस हमले में उनका एक वरिष्ठ नेता मारा गया और करीब 19 अन्य लोग घायल हो गए। हालांकि, भारतीय सेना ने इस तरह के किसी भी ऑपरेशन की जानकारी होने से साफ इनकार किया है।
ULFA(I) का बयान
ULFA(I) ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि तड़के उनके कई मोबाइल शिविरों पर ड्रोन हमले किए गए। संगठन का दावा है कि इन हमलों में उनका एक वरिष्ठ नेता मारा गया, जबकि 19 अन्य कार्यकर्ता घायल हुए हैं। इसके अलावा, सूत्रों के अनुसार, इन हमलों में नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड-खापलांग (NSCN-K) के ठिकानों को भी निशाना बनाया गया, जिसमें उनके कई कार्यकर्ता हताहत हुए।
भारतीय सेना का जवाब
लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत ने ULFA(I) के दावों का खंडन करते हुए कहा, “भारतीय सेना के पास इस तरह के किसी ऑपरेशन की कोई जानकारी नहीं है।” सेना ने स्पष्ट किया कि इस तरह की किसी कार्रवाई का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड मौजूद नहीं है।
ULFA(I) का इतिहास
यूनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA) एक प्रमुख उग्रवादी संगठन है, जिसका गठन 1979 में परेश बरुआ और उनके साथियों ने किया था। संगठन का उद्देश्य सशस्त्र संघर्ष के जरिए असम को एक स्वायत्त और संप्रभु राज्य बनाना था। भारत सरकार ने 1990 में इस संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया और इसके खिलाफ सैन्य अभियान शुरू किया।
संगठन के इतिहास में कई महत्वपूर्ण घटनाएं दर्ज हैं। 2008 में ULFA के नेता अरबिंद राजखोवा को बांग्लादेश में गिरफ्तार कर भारत को सौंप दिया गया था। ULFA की गतिविधियों के कारण असम में चाय व्यापारियों को एक समय क्षेत्र छोड़ना पड़ा था, जिससे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ा।
वर्तमान स्थिति
म्यांमार के सागिंग क्षेत्र में ड्रोन हमलों के दावे ने क्षेत्रीय सुरक्षा और सीमा पार उग्रवाद के मुद्दों को फिर से चर्चा में ला दिया है। हालांकि, भारतीय सेना के इनकार और आधिकारिक बयान के अभाव में इस घटना की सत्यता पर सवाल उठ रहे हैं। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, इन हमलों में ULFA(I) के साथ-साथ NSCN-K को भी नुकसान पहुंचा है, लेकिन इसकी स्वतंत्र पुष्टि अभी बाकी है।
यह घटना भारत-म्यांमार सीमा पर उग्रवादी गतिविधियों और सुरक्षा बलों की कार्रवाइयों पर नजर रखने की जरूरत को रेखांकित करती है। भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर और स्पष्ट जानकारी की आवश्यकता होगी ताकि क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।
