देश / चीन द्वारा भूमि सीमा कानून लाने के बाद भारत सरकार ने जारी किया बयान

Zoom News : Oct 27, 2021, 08:01 PM
नई दिल्ली: एलएसी पर भारत और चीन के बीच लंबे वक्त से विवाद चल रहा है, लेकिन इन सबके बीच चीन की सरकार ने नया 'भूमि सीमा कानून' बनाया है, जिसकी वजह से दोनों देशों के संबंध और बिगड़ने की आशंका जताई जा रही है और अब सीमा विवाद के बीच भारत ने बुधवार को चीन के नए 'भूमि सीमा कानून' का कड़ा विरोध किया है और कहा कि इस तरह के कानून द्विपक्षीय व्यवस्था और सीमा प्रबंधन में बाधा डाल सकते हैं।

'भूमि सीमा कानून' की निंदा

भारतीय विदेश मंत्रालय ने चीन के इस एकतरफा कानून को लेकर सख्त बयान जारी किया है। जिसमें भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि, ''चीन का एकतरफा फैसला लेते हुए इस कानून का निर्माण किया है, जो सीमा प्रबंधन के साथ-साथ सीमा से जुड़े सवालों पर हमारी मौजूदा द्विपक्षीय व्यवस्था पर प्रभाव डाल सकता है, लिहाजा यह हमारे लिए चिंता का विषय है। इस तरह के एकतरफा कदम का उन व्यवस्थाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा, जिसपर दोनों पक्ष पहले ही पहुंच चुके हैं, चाहे वह सीमा के सवाल पर हो या भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में एलएसी पर शांति बनाए रखने के लिए दोनों देशों के बीच जो समझौते हुए हैं''।

क्या है 'भूमि सीमा कानून'

आपको बता दें कि, चीन ने इसी महीने 23 अक्टूबर को एकतरफा 'भूमि सीमा कानून' बनाया है, जिसके तहत चीन सीमावर्ती इलाकों में अपनी जमीन का विस्तार देने जा रहा है और उन इलाकों में चीन की योजना आबादी बसाने की है। जिसका मतलब ये हुआ, कि चीन जब चाहे भारतीय इलाके में घुसपैठ करने के साथ साथ मिलिट्री एक्शन को अंजाम दे सकता है, लेकिन उन परिस्थितियों में भी भारत के लिए उन इलाकों में कार्रवाई मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि सिविलियन इलाके में कोई देश मिलिट्री कार्रवाई को अंजाम नहीं दे सकता है। चीन इस कानून के जरिए निर्जन इलाकों में आबादी को बसाने की कोशिश में है और इस कानून में चीन ने कहा है कि, सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षा बढ़ाई जाएगी, सामाजिक विकास किया जाएगा और इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास किया जाएगा। लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि चीन का ये कानून भारत के लिए भविष्य में बहुत बड़ा नुकसानदेह साबित होगा।

भारत ने जताई अपनी चिंता

भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा है कि, ''चीन ने 23 अक्टूबर 2021 को एक नया 'भूमि सीमा कानून' पारित किया है। कानून अन्य बातों के अलावा बताता है कि, चीन संधियों का पालन करता है या संयुक्त रूप से विदेशी देशों द्वारा स्वीकार किया जाता है। इसमें सीमावर्ती क्षेत्रों में जिलों के पुनर्गठन के प्रावधान भी हैं।'' भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि, "इस नए कानून का पारित होना हमारे विचार में 1963 के तथाकथित चीन पाकिस्तान 'सीमा समझौते' को कोई वैधता प्रदान नहीं करता है, जिसे भारत सरकार लगातार अवैध और अमान्य समझौता मानता है।"

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