Pornography Case: / यूके से ज्यादा सख्त है भारतीय कानून, अश्लील फिल्में बनाना गंभीर अपराध

Zoom News : Jul 22, 2021, 06:15 AM
पोर्नोग्राफी के मामले में कारोबारी राज कुंद्रा की गिरफ्तारी के साथ ही देश में अश्लील सामग्री के खिलाफ लागू कानून पर लोगों का ध्यान गया है। मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच का दावा है कि यूके में मौजूद कुंद्रा की कंपनी पोर्न कंटेंट बनाने और उसके वितरण में शामिल है। आजतक/इंडिया टुडे ने ऐसे मामलों को लेकर दोनों देशों में प्रचलित कानूनों में क्या अंतर है, यह पता करने की कोशिश की।

दोनों देशों के अश्लीलता संबंधी कानूनों का अवलोकन करने पर पता चला है कि ब्रिटेन के कानूनों की तुलना में भारतीय कानून पोर्नोग्राफ़ी के संबंध में बहुत सख्त हैं। क्योंकि यूके के कानून वयस्क की सहमति से ऐसा कंटेंट बनाने और उपभोग करने की अनुमति देते हैं।

जबकि पोर्न देखना किसी भी देश में अवैध नहीं है। लेकिन इस तरह की सामग्री के निर्माण, प्रकाशन और वितरण पर प्रतिबंध है। हालांकि, कोई भी अश्लील सामग्री जिसमें बच्चे शामिल हैं, वो दोनों देशों में पूरी तरह से अवैध है।

चूंकि यूके कानून, प्रतिभागी की सहमति से "वयस्क" सामग्री के वितरण की अनुमति देता है, कानूनों में ऐसे लोगों की उम्र के सत्यापन का प्रावधान भी शामिल हैं, जो ऐसा कंटेंट ऑनलाइन एक्सेस करते हैं।

भारतीय कानून के तहत, "प्रेरणा" या "सहमति" कोई मुद्दा नहीं है क्योंकि यहां किसी भी अश्लील फिल्म या अश्लील चित्र का निर्माण और वितरण एक अपराध है। भारत में एक वयस्क व्यक्ति का अश्लील फिल्म बनाने के लिए "सहमति देने" का कोई सवाल ही नहीं उठता है। 

वास्तव में भारतीय कानून के तहत एक विषम स्थिति ये भी हो सकती है, कि मौजूदा कानूनों के तहत पोर्नोग्राफी के "पीड़ित" पर ही अश्लील कंटेंट के वितरण का आरोप लगाया जा सकता है।

यूके के विधि आयोग ने फरवरी 2021 में एक ऑनलाइन कंसल्टेशन लैटर जारी किया था। जिसके अनुसार, वर्तमान में इंग्लैंड और वेल्स में एक भी ऐसा अपराध सामने नहीं आया है, जिसमें सहमति के बिना अश्लील या अंतरंग कंटेंट बनाने और साझा करने का आरोप हो। 

यूके विधि आयोग के लैटर के मुताबिक उनके यहां इस तरह के अपराधों की एक बड़ी लिस्ट है, जो समय के साथ विकसित हुई है। इनमें अधिकांश मामले इंटरनेट के उदय और स्मार्टफोन के उपयोग से पहले के हैं।

ववर्तमान यूके कानून में गैर-सहमति से एक छवि लेने या साझा करने के मामले भी पूरी तरह से कवर नहीं होते हैं। कई बार तो ऐसे मामले पर कानून में पर्याप्त रूप से कवर नहीं होते जिनमें किसी व्यक्ति को अपमानित करने, उसके साथ जबरदस्ती करने या उसे परेशान करने के लिए धमकी दी जाती है।

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