जयपुर में अवैध बजरी माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हो गए हैं कि उन्होंने परिवहन विभाग के उड़नदस्ते को रोकने के लिए बीच सड़क पर ही बजरी उड़ेल दी। यह घटना 29 अक्टूबर, बुधवार को हुई, जब परिवहन विभाग की टीम अवैध बजरी से भरे डंपरों को रोकने का प्रयास कर रही थी। माफियाओं ने न केवल रास्ता रोका, बल्कि अपनी गाड़ियों से उड़नदस्ते को घेरकर अधिकारियों को धमकाया और डंपरों को फरार होने में मदद की। इस घटना का एक वीडियो भी सामने आया है, जो माफियाओं की दबंगई को दर्शाता है। यह घटना अवैध खनन के खिलाफ सरकारी प्रयासों के सामने आने वाली चुनौतियों को उजागर करती है।
उड़नदस्ते की कार्रवाई और माफिया का सामना
परिवहन निरीक्षक अनिल बंशीवाल बुधवार को कालवाड़ रोड पर अवैध बजरी वाहनों की जांच कर रहे थे। उनकी टीम का उद्देश्य अवैध रूप से बजरी ले जा रहे वाहनों पर नकेल कसना था, जो अक्सर बिना नंबर प्लेट के और नियमों का उल्लंघन करते हुए चलते हैं और इसी दौरान, टीम ने बिना नंबर प्लेट के चार डंपरों को आते देखा, जो स्पष्ट रूप से अवैध बजरी परिवहन में लिप्त थे। टीम ने इन डंपरों को रोकने का प्रयास किया, लेकिन चालकों ने अधिकारियों के निर्देशों की अवहेलना करते हुए वाहनों की गति बढ़ा दी और भागने की कोशिश की और यह एक आम रणनीति है जिसका उपयोग अवैध खननकर्ता कानून प्रवर्तन से बचने के लिए करते हैं।
पीछा और रास्ते में बजरी उड़ेलने की घटना
परिवहन विभाग की टीम ने डंपरों का पीछा करना शुरू किया। पीछा करने के दौरान, डंपर दो दिशाओं में बंट गए – दो डंपर शहर की ओर भागे, जबकि अन्य दो सांचोली गांव की दिशा में मुड़ गए। उड़नदस्ते को आगे बढ़ने से रोकने के लिए, डंपर चालकों ने एक खतरनाक और सुनियोजित कदम उठाया। उन्होंने जानबूझकर रास्ते में सड़क पर बजरी उड़ेल दी। एक डंपर ने मुख्य सड़क पर अपनी पूरी बजरी खाली कर दी, जिससे रास्ता अवरुद्ध हो। गया, जबकि दूसरे डंपर ने सांचोली गांव के स्कूल के सामने बजरी उड़ेलकर अवरोध पैदा किया। यह कार्रवाई न केवल अधिकारियों के लिए बाधा बनी, बल्कि आम। जनता और स्कूली बच्चों के लिए भी खतरा पैदा कर सकती थी।
माफिया का सीधा टकराव और धमकी
निरीक्षक अनिल बंशीवाल के अनुसार, स्थिति तब और बिगड़ गई जब दो कारों में सवार कुछ लोग मौके पर पहुंचे। इन व्यक्तियों ने तुरंत उड़नदस्ते की गाड़ियों को घेर लिया, जिससे अधिकारियों के लिए आगे बढ़ना असंभव हो गया। उन्होंने परिवहन विभाग के अधिकारियों को खुलेआम धमकाया, जिससे टीम पर दबाव बना और उन्हें डंपरों तक पहुंचने से रोका गया और इस अराजकता और धमकी भरे माहौल का फायदा उठाकर, दोनों डंपर मौके से फरार होने में सफल रहे। यह घटना अवैध बजरी माफिया की संगठित प्रकृति और कानून प्रवर्तन के प्रति उनकी अवहेलना को दर्शाती है।
पुलिस प्रतिक्रिया पर विरोधाभासी बयान
घटना के बाद, परिवहन निरीक्षक बंशीवाल ने बताया कि उन्होंने तुरंत कंट्रोल रूम और स्थानीय पुलिस को सूचना दी, लेकिन उनका आरोप है कि कोई भी पुलिसकर्मी मौके पर नहीं पहुंचा। इसके बाद, उन्होंने कालवाड़ थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई। शुरुआत में एफआईआर दर्ज नहीं हुई, लेकिन गुरुवार को पुलिस ने मुकेश कुमार और राजेश कुमार के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कर लिया। हालांकि, कालवाड़ थानाधिकारी नवरत्न धोलिया ने इस मामले पर एक अलग ही दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि परिवहन निरीक्षक अब तक रिपोर्ट दर्ज करवाने के बाद न। तो बयान देने आए हैं और न ही वीडियो फुटेज उपलब्ध करवा रहे हैं।
थानाधिकारी का स्पष्टीकरण और जांच की स्थिति
थानाधिकारी नवरत्न धोलिया ने आगे कहा कि उनकी टीम सिर्फ एफआईआर करवाकर चली गई, लेकिन। अब तक भी ना ही कोई साक्ष्य उपलब्ध करवाए गए, ना ही बयान दिए गए। पुलिस जाब्ते के मौके पर न पहुंचने के आरोप पर, धोलिया ने। स्पष्ट किया कि उनके पास किसी भी अधिकारी का फोन नहीं आया था। उन्होंने यह भी बताया कि उड़नदस्ते के पास अपना खुद का जाब्ता होता है और उन्हें उसी के तहत कार्रवाई करनी चाहिए। धोलिया के अनुसार, घटना थाना से लगभग 20 किलोमीटर दूर हुई थी, और उड़नदस्ते ने कंट्रोल रूम में फोन किया था, जो सीधे चेतक को सूचना देता है और उन्होंने कहा कि परिवहन विभाग की टीम वाहन के भागने के लगभग एक घंटे बाद रिपोर्ट देने आई थी और तब से वे बयान देने या साक्ष्य उपलब्ध कराने के लिए दोबारा नहीं आए हैं। पुलिस इस मामले की तथ्यात्मक जांच कर रही है और वीडियो फुटेज मिलने तथा बयान दर्ज होने के बाद ही आगे की कार्रवाई संभव हो पाएगी। यह स्थिति अवैध खनन के खिलाफ लड़ाई में अंतर-विभागीय समन्वय की चुनौतियों को उजागर करती है।