राजस्थान के झुंझुनूं जिले के हमीरी कलां गांव के सपूत, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के कांस्टेबल संजीव तेतरवाल, देश की सेवा करते हुए शहीद हो गए। उनकी असामयिक मृत्यु ने पूरे गांव और जिले को शोक में डुबो दिया है। संजीव तेतरवाल गुवाहाटी में तैनात थे, जहां दो दिन पहले गुरुवार को अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई और इलाज के दौरान ही उन्होंने अंतिम सांस ली, जिससे उनके परिवार और सहकर्मियों में गहरा दुख छा गया।
अंतिम विदाई और जनसैलाब
शहीद संजीव तेतरवाल का पार्थिव शरीर शनिवार को झुंझुनूं के सैनिक कल्याण बोर्ड पहुंचा, जहां से उसे उनके पैतृक गांव हमीरी कलां लाया गया और गांव में जैसे ही पार्थिव शरीर पहुंचा, एक भावुक और गमगीन माहौल बन गया। बड़ी संख्या में ग्रामीण, स्थानीय जनप्रतिनिधि और युवा संजीव को अंतिम विदाई देने के लिए उमड़ पड़े। युवाओं ने भारत माता की जय और शहीद संजीव अमर रहें के नारों के साथ एक विशाल तिरंगा रैली निकाली, जो उनके बलिदान के प्रति सम्मान और कृतज्ञता का प्रतीक थी और पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया, जिसमें हर आंख नम थी।
सेवा और समर्पण का सफर
संजीव तेतरवाल ने लगभग 11 साल पहले सीआरपीएफ में कांस्टेबल के पद पर भर्ती होकर देश सेवा का संकल्प लिया था। अपनी सेवा के दौरान, उन्होंने विभिन्न चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में कर्तव्यनिष्ठा और साहस का परिचय दिया और उनकी तैनाती गुवाहाटी में थी, जो एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र है। संजीव ने अपनी सेवा के हर पल को देश के नाम समर्पित किया, और उनके सहकर्मी उन्हें एक मेहनती और समर्पित जवान के रूप में याद करते हैं। उनका जीवन देश के प्रति उनके अटूट समर्पण का एक ज्वलंत उदाहरण था।
प्रमोशन और छुट्टी की उम्मीदें
संजीव तेतरवाल के निधन की खबर इसलिए और भी हृदय विदारक है क्योंकि वे अगले साल कांस्टेबल से हेड कांस्टेबल के पद पर पदोन्नत होने वाले थे। यह उनके सेवाकाल की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होती, जिसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की थी। इसके अलावा, वे अगले महीने दिसंबर में ही छुट्टी लेकर अपने परिवार से मिलने घर आने वाले थे। परिवार के सदस्य बेसब्री से उनके आने का इंतजार कर रहे थे, और इस खबर ने उनकी सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। यह दुखद संयोग उनके परिवार के लिए एक असहनीय क्षति है।
बिहार चुनाव में कर्तव्य
हाल ही में, संजीव तेतरवाल को बिहार विधानसभा चुनावों में दो महीने की लंबी ड्यूटी पर तैनात किया गया था और उन्होंने सफलतापूर्वक अपनी चुनावी ड्यूटी पूरी की और हाल ही में गुवाहाटी वापस लौटे थे। चुनाव ड्यूटी के बाद, वे अपने परिवार के साथ कुछ समय बिताने के लिए उत्सुक थे, खासकर अपने पांच साल के बेटे दिशान और पत्नी पिंकेश के साथ। बिहार चुनाव से पहले, उनकी पत्नी और बेटा गांव आ गए थे और दिसंबर में उनके साथ वापस गुवाहाटी जाने की योजना बना रहे थे। यह योजना अब अधूरी रह गई है।
परिवार पर वज्रपात
संजीव तेतरवाल के परिवार में उनके पिता धर्मपाल सिंह तेतरवाल हैं, जो शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त उपनिदेशक हैं। उनकी मां बिमला देवी गृहिणी हैं। संजीव की पत्नी पिंकेश भी गृहिणी हैं और उनका एक पांच साल का बेटा दिशान है। संजीव का बड़ा भाई विकास तेतरवाल गांव में ही पंचायत शिक्षक हैं। संजीव की पत्नी और बेटा उनके साथ गुवाहाटी में ही रहते। थे, लेकिन बिहार चुनाव के कारण वे गांव आ गए थे। परिवार के लिए यह क्षति अपूरणीय है, खासकर उनके छोटे। बेटे दिशान के लिए, जिसने अपने पिता को खो दिया है। पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।
शहीद को श्रद्धांजलि
संजीव तेतरवाल का बलिदान देश हमेशा याद रखेगा। उनके अंतिम संस्कार में उमड़ा जनसैलाब इस बात का प्रमाण था कि देश अपने वीर सपूतों के बलिदान को कभी नहीं भूलता। उनकी शहादत ने एक बार फिर हमें याद दिलाया है कि हमारे जवान किस तरह अपनी जान जोखिम में डालकर देश की सीमाओं और आंतरिक सुरक्षा की रक्षा करते हैं। झुंझुनूं का यह वीर सपूत हमेशा हम सभी के दिलों में अमर रहेगा।