दुनिया / किस तरह से Coronavirus के कारण जापान में बच रही हैं जानें

News18 : Sep 04, 2020, 09:36 AM
जापान में युवाओं में खुदकुशी की दर बीते दो दशकों में तेजी से बढ़ी। यहां तक कि ये देश खुदकुशी के मामले में पांचवा सबसे ऊपर देश है। पिछले पांच सालों में यहां रोज औसतन 70 युवा अपनी जान ले रहे हैं। हालांकि कोरोना के दौर में यहां आत्महत्या की दर में एकदम से कमी आई। एक्सपर्ट्स के मुताबिक फरवरी से जून में आत्महत्या की औसत दर में 13.5 कमी दिखी। कोरोना के कारण एक ओर दुनिया में डिप्रेशन बढ़ रहा है तो जापान में इसका अलग ही असर हो रहा है। जानिए, क्या है इसकी वजह।

विकसित देशों में से एक जापान में गरीबी काफी कम हैं। इसके बाद भी यहां खुदकुशी का ट्रेंड ज्यादा है। लेकिन कोरोना के कारण जापान पर अलग असर हुआ। इसपर टोक्यो मेट्रोपॉलिटन इंस्टीट्यूट के रिसर्चर शोहेई ओकामोटो ने एक रिसर्च की, जिसके नतीजे चौंकाते हैं। साइंस जर्नल medRxiv।org में छपी इस स्टडी के मुताबिक कोरोना का जापान की मानसिक सेहत पर अच्छा असर हुआ है। इसके नतीजे वहां खुदकुशी में कमी के तौर पर दिखते हैं

रिसर्च के हवाले से साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट में एक रिपोर्ट आई है। इसके मुताबिक फरवरी से जून 2020 के बीच जापान में खुदकुशी की वजह से 1,027 जानें गईं, जबकि कोरोना ने 974 जानें लीं। इससे पहले ब्रिटेन में भी इस तरह की स्टडी आई जो बताती है कि वहां भी कोरोना काल में खुदकुशी करने वालों की संख्या घटी है।


इन जगहों पर कोरोना के कारण बढ़ी खुदकुशी

ये स्टडीज विशेषज्ञों के उस डर से अलग हैं, जो कोरोना के कारण मेंटल हेल्थ को खतरे में बता रहे हैं। बता दें कि कई सारी स्टडीज कह रही हैं कि महामारी के कारण नौकरी जाने, सैलरी कम होने या अकेलापन जैसी बातों के कारण लोगों की मेंटल हेल्थ पर असर होगा और खुदकुशी की दर बढ़ सकती है। वैसे कई जगहों पर एक्सपर्ट्स का ये डर सही भी दिख रहा है। जैसे पेसिफिक आइलैंड के Guam में खुदकुशी की दर पहले से दोगुनी हो गई है। अमेरिका औरकर कनाडा में भी यही ट्रेंड दिख रहा है।


जापान में कैसे दिख रही है उल्टी बात

दूसरी ओर जापान में आत्महत्या में तेजी से गिरावट के पीछे कई कारण गिनाए जा रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि काम के घंटों का कम होना। बता दें कि हिरोशिमा-नागासाकी झेल चुके और लगातार बाढ़ या भूकंप जैसी आपदाएं झेलते आए इस देश में लोगों में काम की आदत एडिक्शन बन चुकी है। वे दिन के औसतन 16 घंटे काम करते हैं। कोरोना के दौरान कंपनियों ने अच्छा कदम उठाते हुए उनके काम के घंटे जबरन कम कर दिए। वर्क आर्स में लगभग 20 प्रतिशत कटौती की गई ताकि कर्मचारी परिवार के साथ वक्त बिताएं। इसके अलावा सरकार ने हरेक को लगभग 940 डॉलर की रकम दी ताकि वो अपनी जरूरत के मुताबिक खर्च करे। यहां तक कि कंपनियों को भी सब्सिडी मिली। इसके बाद देखा गया कि प्री-पेंडेमिक पीरियड की बजाए कोरोना के वक्त में लोगों के दिवालिया होने में गिरावट आई।

हालांकि स्टडी का एक और पहलू भी है। शोधकर्ता के मुताबिक साल 2005 में कैटरिना हरिकेन के बाद भी जापान में आत्महत्या की दर गिरी थी। लेकिन कुछ ही समय बाद ये दोबारा बढ़ गई थी। इसकी वजह ये भी हो सकती है कि डिजास्टर के तुरंत बाद सरकार से और सामाजिक सहायता मिली लेकिन उसके बंद होने के साथ ही खुदकुशी की दर दोबारा बढ़ गई।


आत्महत्या रोकने के लिए कोशिशें हो रही हैं

इधर जापान में खुदकुशी को रोकने के लिए नए-नए प्रयोग हो रहे हैं। जैसे एक स्टडी में देखा गया कि जापान में ट्रेन के सामने कूदकर भी काफी लोग जान देते हैं। इसे रोकने के लिए वहां रेलवे स्टेशनों पर नीली लाइटें लगवाने का चलन हुआ। दरअसल साल 2013 में एक रिसर्च पेपरमें दावा किया गया कि किसी भी जगह और खासकर रेलवे स्टेशनों पर नीली लाइटें लगवाने पर खुदकुशी का प्रतिशत काफी कम हो सकता है। यही देखते हुए साल 2000 से 2010 तक जापान के 71 रेलवे स्टेशनों पर ब्लू लाइटें लगवाई गईं। इसमें टोक्यो के स्टेशन भी थे, जिनमें 29 स्टेशनों पर ब्लू लाइटें इन्सटॉल की गईं। पैनल डाटा का इस्तेमाल करते हुए इन्हें एक-दूसरे से जोड़ा गया। इसके बाद लगातार 10 सालों तक नजर रखी गई।

नतीजे चौंकाने वाले रहे। लाइटों वाले स्टेशनों में आत्महत्या करने वाले लोगों की दर तेजी से घटी और ओवरऑल खुदकुशी का प्रतिशत 84 प्रतिशत तक कम हुआ। इसके बाद ये आइडिया और भी कई देशों में अपनाया गया। ब्रिटेन के स्कॉटलैंड में एक जगह और गेटविक एयरपोर्ट ट्रेन स्टेशन पर भी नीली लाइटें लगाई गईं।

नीली लाइट लगाकर आत्यहत्या रोकने की ये कोशिश नज तकनीक (nudge technique) कहलाती है। इसमें रोशनी की मदद से बिहेवियर पर असर डाला जाता है। एक और स्टडी में पाया गया कि ब्लू लाइट्स से डिप्रेशन घटता है। इस स्टडी के तहत डिप्रेशन से गुजर रहे लोगों को नीली रोशनी वाले कमरों में लिटाया गया। थोड़ी ही देर बाद अवसाद का प्रतिशत कम हो गया।

काम के घंटे जबरन घटाए गए

साथ ही जापानी लोगों में काम का एडिक्शन कम करने के लिए स्टेप लिया जा रहा है। सरकार लोगों पर काम का दबाव घटाने की कोशिश कर रही है। उसने कानून बनाया है जिसके तहत कर्मचारियों के लिए साल में दो हफ्ते की निर्धारित छुट्टियां लेना जरूरी होगा। सरकारी कर्मचारियों से कहा जा रहा है कि वे सुबह जल्दी काम पर आएं और शाम को जल्दी चले जाएं। ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि लोग अपने परिवार के साथ ज्यादा समय बिता सकें। सरकार एक और कानून की बात कर रही है जिसके तहत उन लोगों को ओवरटाइम नहीं मिलेगा जिनकी तनख्वाह शानदार है।

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