India-Iran Relations / ईरान के राष्ट्रपति से PM मोदी ने की बात, US के हमले के बाद जानें किन मुद्दों पर हुई चर्चा

अमेरिका ने रविवार सुबह ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमला किया। इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति से बात की और तनाव घटाने की अपील की। अमेरिका, इजरायल के समर्थन में उतरा है। ईरान ने हमले को युद्ध की शुरुआत बताया और अपने हितों की रक्षा का संकल्प दोहराया।

India-Iran Relations: रविवार सुबह एक बड़ी घटना ने विश्व मंच को झकझोर दिया जब अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर हमला कर दिया। यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब ईरान और इजरायल के बीच लंबे समय से चल रहा तनाव युद्ध की ओर बढ़ता दिख रहा है। अमेरिका की इस सैन्य कार्रवाई ने न सिर्फ मध्य पूर्व बल्कि पूरे विश्व की शांति और स्थिरता को खतरे में डाल दिया है।

भारत की चिंता और पहल

इस हमले के कुछ ही घंटों बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन से बातचीत की। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर इस बातचीत की जानकारी साझा करते हुए लिखा,

"हमने मौजूदा स्थिति के बारे में विस्तार से चर्चा की। हाल ही में हुई तनातनी पर गहरी चिंता व्यक्त की। आगे बढ़ने के लिए तत्काल तनाव कम करने, बातचीत और कूटनीति के लिए अपना आह्वान दोहराया और क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और स्थिरता की जल्द बहाली की बात कही।"

भारत की यह पहल वैश्विक कूटनीति में उसकी भूमिका को रेखांकित करती है, जहां वह शक्ति संतुलन और संवाद को प्राथमिकता देता है।

अमेरिका की भूमिका: इजरायल के साथ युद्ध में

अमेरिका की यह कार्रवाई एक बड़ी रणनीतिक शिफ्ट का संकेत देती है। बीते गुरुवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया था कि वह ईरान के खिलाफ इजरायल का साथ देने पर विचार कर रहे हैं और इस पर दो सप्ताह में फैसला लेंगे। लेकिन सिर्फ दो दिन में ही उन्होंने यह निर्णय लेकर अमेरिका को प्रत्यक्ष रूप से युद्ध में शामिल कर दिया। इस हमले के पीछे अमेरिका का तर्क है कि वह अपने सहयोगी इजरायल की रक्षा कर रहा है, लेकिन यह कदम अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और मध्यस्थता की कोशिशों के विरुद्ध माना जा रहा है।

ईरान की तीखी प्रतिक्रिया

हमले के बाद ईरान ने तीव्र प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय ने इसे "ईरान के खिलाफ खतरनाक युद्ध की शुरुआत" बताया। ईरानी बयान में अमेरिका पर कूटनीति से विश्वासघात करने और इजरायल जैसे "नरसंहारकारी शासन" का समर्थन करने का आरोप लगाया गया। ईरान ने अपने देश की सुरक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाने की चेतावनी दी है।

वैश्विक परिदृश्य पर मंडराता युद्ध का खतरा

यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय लगातार क्षेत्र में तनाव कम करने के प्रयास कर रहा था। अमेरिका के इस कदम से स्थिति और अधिक जटिल हो गई है। ऊर्जा आपूर्ति, वैश्विक बाजार और भू-राजनीतिक संतुलन पर इसके गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं।