- भारत,
- 19-Sep-2025 08:59 AM IST
Bihar Elections 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। सभी राजनीतिक दल अपने खेमे को मजबूत करने और मतदाताओं को लुभाने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं। इस बीच, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने अपने चुनावी अभियान के लिए नया नारा पेश किया है: "विकास की रफ्तार पकड़ चुका बिहार… फिर से एनडीए सरकार"। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सूत्रों के अनुसार, इस नारे को आधिकारिक तौर पर 30 सितंबर, 2025 तक लॉन्च किया जाएगा। यह नारा न केवल एनडीए की उपलब्धियों को रेखांकित करता है, बल्कि इसके पीछे की राजनीतिक रणनीति और मंशा को भी स्पष्ट करता है।
एनडीए का नया नारा और रणनीति
एनडीए गठबंधन इस टैगलाइन के साथ बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में उतरने की तैयारी में है। बीजेपी के कुछ प्रमुख नेताओं, जैसे उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और बिहार प्रभारी विनोद तावड़े, ने अपने सोशल मीडिया हैंडल्स पर इस नारे को प्रचारित करना शुरू कर दिया है। हालांकि, इसका औपचारिक ऐलान अभी बाकी है।
बीजेपी सूत्रों का कहना है कि इस नारे का उद्देश्य बिहार में एनडीए शासनकाल के दौरान हुए बुनियादी ढांचे के विकास, जैसे सड़क, शिक्षा, सुशासन, रोजगार, और स्वास्थ्य व्यवस्था में आए बदलावों को जनता के सामने लाना है। इस नारे के जरिए एनडीए मतदाताओं का विश्वास जीतने और विकास के एजेंडे को मजबूती से पेश करने की कोशिश कर रही है।
245 हाईटेक एलईडी रथों का प्रचार अभियान
चुनाव प्रचार को और प्रभावी बनाने के लिए एनडीए ने 245 हाईटेक एलईडी रथ तैयार किए हैं। इन रथों को 30 सितंबर तक किसी वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री द्वारा हरी झंडी दिखाकर बिहार के सभी विधानसभा क्षेत्रों में रवाना किया जाएगा। ये रथ आधुनिक तकनीक से लैस हैं और गांव-गांव जाकर एनडीए सरकार की उपलब्धियों और हाल के वादों का प्रचार करेंगे।
बिहार बीजेपी के प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने कहा,
“बिहार ने विकास की रफ्तार पकड़ ली है, इसलिए फिर से एनडीए की सरकार आने जा रही है। इन रथों के माध्यम से हम हर विधानसभा क्षेत्र में सरकार की उपलब्धियों और वादों को जन-जन तक पहुंचाएंगे।”
इन रथों में ऑडियो-विजुअल सामग्री के जरिए 125 यूनिट मुफ्त बिजली, बुजुर्गों और महिलाओं के लिए दोगुनी पेंशन, आंगनबाड़ी कर्मियों के बढ़े हुए मानदेय जैसे लोकप्रिय वादों को प्रचारित किया जाएगा। इसके अलावा, बिहार और केंद्र सरकार की प्रमुख योजनाओं, जैसे महिलाओं के खातों में 10,000 रुपये की राशि, 16 लाख श्रमिकों को 5,000 रुपये का हस्तांतरण, 1 करोड़ रोजगार का वादा, सभी स्नातकों को 1,000 रुपये का भत्ता, और ब्याज-मुक्त स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड जैसी योजनाओं को भी प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा।
जेडीयू का रुख और नीतीश कुमार का प्रभाव
जहां बीजेपी इस नए नारे और रथ यात्रा के जरिए एनडीए के विकास मॉडल को अपना सबसे बड़ा हथियार बनाने की तैयारी में है, वहीं जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने इस मुद्दे पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। परंपरागत रूप से जेडीयू अपने चुनाव प्रचार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम और उनकी उपलब्धियों के इर्द-गिर्द केंद्रित करती रही है।
इस बार के चुनाव में एनडीए के प्रचार सामग्री में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की तस्वीरें तो शामिल हैं, लेकिन नीतीश कुमार का नाम नारे में शामिल नहीं है। यह एक रणनीतिक बदलाव का संकेत हो सकता है। इससे पहले, 2020 के चुनाव में जेडीयू का नारा था "क्यों करें विचार, ठीके तो हैं नीतीश कुमार", और 2015 में "बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार हैं"। इस साल अप्रैल में नीतीश कुमार की मुख्यमंत्री पद की निरंतरता पर सवाल उठने के बाद जेडीयू ने "25 से 30, फिर से नीतीश" का नारा दिया था।
नारे के पीछे की राजनीति
एनडीए का यह नया नारा और प्रचार रणनीति बिहार की सियासत में एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा प्रतीत होती है। बीजेपी जहां विकास के मुद्दे को केंद्र में रखकर मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है, वहीं नीतीश कुमार के नाम को नारे से हटाने के पीछे भविष्य की राजनीति की संभावनाएं भी देखी जा रही हैं। क्या यह नारा और रणनीति गठबंधन के भीतर नेतृत्व की भूमिका को लेकर एक नया संदेश दे रही है? या फिर यह केवल एक चुनावी प्रयोग है? इसका जवाब आने वाले दिनों में जेडीयू की प्रतिक्रिया और चुनावी परिणामों से स्पष्ट होगा।
