राज्यसभा द्वारा जारी किए गए एक नए बुलेटिन ने देश में एक नई बहस छेड़ दी है, जिसमें सांसदों को अपने भाषणों के अंत में कुछ विशिष्ट शब्दों और नारों का उपयोग करने से बचने की सलाह दी गई है और इस बुलेटिन के अनुसार, 'थैंक्स', 'थैंक यू', 'जय हिंद' और 'वंदे मातरम' जैसे शब्दों का प्रयोग अब सदन की कार्यवाही में वर्जित होगा. इस फैसले ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री. ममता बनर्जी सहित कई प्रमुख नेताओं ने इस पर अपनी कड़ी आपत्ति व्यक्त की है.
संसदीय परंपरा और नए नियम
राज्यसभा ने सोमवार को जारी अपने बुलेटिन में स्पष्ट रूप से कहा है कि सांसदों को 'थैंक्स', 'थैंक यू', 'जय हिंद' और 'वंदे मातरम' जैसे विशेषणों के साथ अपने भाषण समाप्त करने से बचना चाहिए और बुलेटिन में इस प्रतिबंध का कारण बताते हुए कहा गया है कि संसद के दोनों सदनों में ऐसी परंपरा नहीं है जो इस तरह के नारों की अनुमति देती हो. यह निर्देश संसदीय कार्यवाही में एकरूपता और स्थापित परंपराओं का पालन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से जारी किया गया प्रतीत होता है, हालांकि इसके पीछे के विस्तृत तर्क अभी भी सार्वजनिक बहस का विषय बने हुए हैं. यह कदम सदन के भीतर अनुशासन और गरिमा बनाए रखने के व्यापक प्रयासों का एक हिस्सा है, लेकिन इसने राष्ट्रीय भावनाओं से जुड़े शब्दों पर प्रतिबंध को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं.
ममता बनर्जी का कड़ा विरोध
इस बुलेटिन के जारी होते ही, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस पर अपनी तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान इस फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा, “क्यों नहीं बोलेंगे? हम जय बांग्ला, बांग्ला में बोलते हैं. वंदे मातरम कहते हैं और यह हमारी आजादी का नारा है. राष्ट्रगीत है. जय हिंद नेताजी (सुभाष चंद्र बोस) का नारा है और जिस नारे को लेकर हम लोगों ने लड़ा है. यह हमारे देश का नारा है और इससे जो टकराएगा, चूर-चूर हो जाएगा. ” बनर्जी के बयान ने इस मुद्दे को एक राजनीतिक विवाद में बदल दिया है, जहां राष्ट्रीय गौरव और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े नारों के उपयोग पर प्रतिबंध को लेकर गहरी चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं. उनके अनुसार, ये नारे केवल शब्द नहीं बल्कि देश की पहचान और संघर्ष का प्रतीक हैं.
सदन की गरिमा बनाए रखने पर जोर
'जय हिंद' और 'वंदे मातरम' जैसे नारों पर प्रतिबंध के अलावा, राज्यसभा के इस नए बुलेटिन में सदन के सुचारू संचालन और अनुशासन बनाए रखने के लिए कुछ अन्य महत्वपूर्ण निर्देश भी शामिल हैं. दूसरा खास निर्देश यह है कि यदि कोई सांसद किसी मंत्री की आलोचना करता है, तो मंत्री के जवाब देते समय आलोचना करने वाले सांसद को भी सदन में मौजूद रहना होगा और यह नियम सुनिश्चित करता है कि आलोचना करने वाले सदस्य को मंत्री का स्पष्टीकरण सुनने का अवसर मिले और सदन में जवाबदेही बनी रहे. यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो संसदीय बहस की गुणवत्ता और निष्पक्षता को बढ़ाने में मदद कर सकता है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि आरोप-प्रत्यारोप केवल एकतरफा न हों.
तीसरे निर्देश में कहा गया है कि सदन के वेल पर आकर सांसद किसी वस्तु का प्रदर्शन नहीं कर सकते हैं और यह निर्देश सदन के भीतर अव्यवस्था को रोकने और कार्यवाही की गंभीरता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है. अक्सर देखा गया है कि विरोध प्रदर्शन के दौरान सांसद वेल में आकर पोस्टर या अन्य वस्तुएं दिखाते हैं, जिससे सदन की कार्यवाही बाधित होती है. इस नियम का उद्देश्य ऐसी गतिविधियों पर अंकुश लगाना है. इसके अलावा, बुलेटिन में कई ऐसे काम न करने की सलाह दी गई है, जिससे संसद की गरिमा या फिर कार्यवाही में कोई दखल आ सके. इन निर्देशों का समग्र लक्ष्य संसद के दोनों सदनों में एक सम्मानजनक और उत्पादक वातावरण बनाए रखना है, जहां गंभीर चर्चाएं और कानून निर्माण बिना किसी अनावश्यक व्यवधान के हो सकें. हालांकि, 'जय हिंद' और 'वंदे मातरम' जैसे नारों पर प्रतिबंध का मुद्दा अभी भी राजनीतिक. बहस का केंद्र बना हुआ है, और इस पर आगे भी प्रतिक्रियाएं आने की संभावना है.