देश / पीएम मोदी बोले- ‘गंदगी भारत छोड़ो’ का संकल्प दोहराएं, स्वतंत्रता दिवस तक अभियान चलाएं

AMAR UJALA : Aug 08, 2020, 07:51 PM
नई दिल्ली | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज राजघाट पहुंचे और राष्ट्रीय स्वच्छता केंद्र (आरएसके) का उद्घाटन किया। महात्मा गांधी को समर्पित राष्ट्रीय स्वच्छता केंद्र की प्रधानमंत्री ने सबसे पहले घोषणा 10 अप्रैल 2017 को गांधीजी के चंपारण ‘सत्याग्रह’ के 100 वर्ष पूरे होने के मौके पर की थी। यह स्वच्छ भारत मिशन पर एक परस्पर संवादात्मक अनुभव केंद्र होगा।

आरएसके पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री ने वहां स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की और केंद्र का अवलोकन किया। आरएसके में स्थित सभागार में प्रधानमंत्री ने ‘दर्शक 360 डिग्री’ का अनूठा ऑडियो-विजुअल कार्यक्रम देखा, जिसमें भारत की स्वच्छता की कहानी यानी दुनिया के इतिहास में लोगों की आदतों में बदलाव लाने वाले सबसे बड़े अभियान की यात्रा दिखाई गई। पीएम मोदी दिल्ली के 36 स्कूली छात्रों से बातचीत कर रहे हैं, जो 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। 

स्वच्छता में स्वराज का प्रतिबिंब

पीएम मोदी ने संबोधित करते हुए कहा कि महात्मा गांधी जी का अभियान था- अंग्रेजों भारत छोड़ो। हम लोग अभियान चला रहे हैं- गंदगी भारत छोड़ो। उन्होंने कहा कि आज का दिन बहुत ऐतिहासिक है। देश की आजादी में आज की तारीख का बहुत बड़ा योगदान है। आज के ही दिन, 1942 में गांधी जी की अगुवाई में आजादी के लिए एक विराट जन आंदोलन शुरू हुआ था, अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा लगा था।

पीएम ने कहा कि पूज्य बापू, स्वच्छता में स्वराज का प्रतिबिंब देखते थे। वो स्वराज के स्वपन की पूर्ति का एक मार्ग स्वच्छता को भी मानते थे। मुझे संतोष है कि स्वच्छता के प्रति बापू के आग्रह को समर्पित एक आधुनिक स्मारक का नाम अब राजघाट के साथ जुड़ गया है। ऐसे ऐतिहासिक दिवस पर, राजघाट के समीप, राष्ट्रीय स्वच्छता केंद्र का लोकार्पण अपने आप में बहुत प्रासंगिक है। ये केंद्र, बापू के स्वच्छाग्रह के प्रति 130 करोड़ भारतीयों की श्रद्धांजलि है, कार्यांजलि है।

विश्व के लिए गांधी जी से बड़ी प्रेरणा नहीं हो सकती

पीएम ने अपने संबोधन में कहा कि इस केंद्र में सत्याग्रह की प्रेरणा से स्वच्छाग्रह की हमारी यात्रा को आधुनिक टेक्नॉलॉजी के माध्यम से दर्शाया गया है, दिखाया गया है। मैं ये भी देख रहा था कि स्वच्छता रोबोट तो यहां आए बच्चों के बीच में काफी लोकप्रिय है। उन्होंने कहा कि आज के विश्व के लिए गांधी जी से बड़ी प्रेरणा नहीं हो सकती। गांधी जी के जीवन और उनके दर्शन को अपनाने के लिए पूरी दुनिया आगे आ रही है। बीते वर्ष जब पूरी दुनिया में गांधी जी की 150वीं जन्मजयंति को भव्य रूप से मनाया गया, वो अभूतपूर्व था।

‘गंदगी भारत छोड़ो’ का भी संकल्प दोहराना है

पीएम मोदी ने कहा कि देश को कमजोर बनाने वाली बुराइयां भारत छोड़ें, इससे अच्छा और क्या होगा। इसी सोच के साथ बीते छह साल से देश में एक व्यापक भारत छोड़ो अभियान चल रहा है। गरीबी- भारत छोड़ो, खुले में शौच की मजबूरी- भारत छोड़ो, पानी के दर-दर भटकने की मजबूरी भारत छोड़ो। भारत छोड़ो के ये सभी संकल्प स्वराज से सुराज की भावना के अनुरूप ही हैं। इसी कड़ी में आज हम सभी को ‘गंदगी भारत छोड़ो’ का भी संकल्प दोहराना है। आइए, आज से 15 अगस्त तक यानि स्वतन्त्रता दिवस तक देश में एक सप्ताह लंबा अभियान चलाएं।

पीएम मोदी ने यह भी कहा कि ये करते समय दो गज की दूरी, मास्क है जरूरी, इस नियम को ना भूलें। कोरोना वायरस हमारे मुंह और नाक के रास्ते ही फैलता भी है और फलता-फूलता भी है। ऐसे में मास्क, दूरी और सार्वजनिक स्थानों पर ना थूकने के नियम का सख्ती से पालन करना है। पीएम मोदी ने कहा कि जैसे गंगा जी की निर्मलता को लेकर हमें उत्साहजनक परिणाम मिल रहे हैं, वैसे ही देश की दूसरी नदियों को भी हमें गंदगी से मुक्त करना है। यहां पास में ही यमुना जी हैं। यमुना जी को भी गंदे नालों से मुक्त करने के अभियान को हमें तेज करना है।

स्वच्छता का अभियान एक सफर है, जो निरंतर चलता रहेगा

उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि जबतक जनता में आत्मविश्वास पैदा नहीं होता, तबतक वो आजादी के लिए खड़ी कैसे हो सकती थी? इसलिए, दक्षिण अफ्रीका से लेकर चंपारण और साबरमती आश्रम तक, उन्होंने स्वच्छता को ही अपने आंदोलन का बड़ा माध्यम बनाया। मुझे संतोष है कि गांधी जी की प्रेरणा से बीते वर्षों में देश के कोने-कोने में लाखों-लाख स्वच्छाग्रहियों ने स्वच्छ भारत अभियान को अपने जीवन का लक्ष्य बना दिया है। यही कारण है कि 60 महीने में करीब-करीब 60 करोड़ भारतीय शौचालय की सुविधा से जुड़ गए।

पीएम ने कहा कि आप जरा कल्पना कीजिए, अगर कोरोना जैसी महामारी 2014 से पहले आती तो क्या स्थिति होती। क्या तब लॉकडाउन जैसी व्यवस्थाएं संभव हो पातीं, जब भारत की 60 प्रतिशत आबादी खुले में शौच के लिए मजबूर थी? स्वच्छाग्रह ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में हमें बहुत बड़ा सहारा दिया है, माध्यम दिया है। स्वच्छता का अभियान एक सफर है, जो निरंतर चलता रहेगा।

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