Delhi Election 2025 / सपनों के हत्यारे को दंड, दुर्योधन की हार- केजरीवाल की हार पर कुमार विश्वास का तंज

दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को करारी हार मिली है। भारतीय जनता पार्टी ने 48 में से 32 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि आम आदमी पार्टी ने 22 सीटें जीतीं। इस चुनाव में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और अन्य दिग्गज नेता पराजित हुए। कुमार विश्वास ने आम आदमी पार्टी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि यह अहंकार की हार है।

Delhi Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनावों के नतीजे चौंकाने वाले साबित हुए हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 48 सीटों पर अपनी मजबूत पकड़ बनाई है, जिसमें से 32 सीटों पर उसने जीत दर्ज कर ली है। वहीं, आम आदमी पार्टी (आप) 22 सीटों पर ही सिमट गई है। इस चुनावी समर में कई दिग्गज नेताओं को हार का सामना करना पड़ा है।

केजरीवाल, सिसोदिया समेत कई नेताओं को झटका

इस चुनाव में आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, वरिष्ठ नेता अवध ओझा और सौरभ भारद्वाज को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। वहीं, भाजपा के रमेश बिधूड़ी को भी हार का स्वाद चखना पड़ा।

कुमार विश्वास का आम आदमी पार्टी पर हमला

पूर्व आम आदमी पार्टी नेता और कवि कुमार विश्वास ने चुनावी नतीजों पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने एक टीवी चैनल से बातचीत में मनीष सिसोदिया की हार पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उनकी पत्नी इस परिणाम से भावुक हो गईं और रो पड़ीं।

उन्होंने कहा, “देश के करोड़ों सपनों के हत्यारे को एक छोटा सा दंड मिला है। प्रकृति और नियति का बड़ा दंड अभी बाकी है।” उन्होंने आम आदमी पार्टी पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि यह हार केवल दुर्योधन की हार नहीं है, बल्कि आत्ममुग्धता, असुरक्षा और विश्वासघात की पराजय है।

‘वैकल्पिक राजनीति का सपना टूट गया’

कुमार विश्वास ने कहा कि देश के करोड़ों लोगों ने वैकल्पिक राजनीति का सपना देखा था, लेकिन एक व्यक्ति की आत्ममुग्धता ने उसे चकनाचूर कर दिया। उन्होंने अपनी पत्नी का जिक्र करते हुए कहा कि राजनीति से दूर रहने वाली उनकी पत्नी भी इस परिणाम से प्रभावित हुईं।

भाजपा को बधाई, दिल्ली से उम्मीदें

कुमार विश्वास ने भारतीय जनता पार्टी को बधाई दी और आशा जताई कि भाजपा दिल्ली के जख्मों पर मरहम लगाने का काम करेगी। उन्होंने कहा कि वह प्रसन्न भी हैं कि न्याय मिला और दुखी भी हैं कि उनका सात वर्षों का संघर्ष एक व्यक्ति के अहंकार के कारण व्यर्थ चला गया।

क्या आम आदमी पार्टी के लिए खतरे की घंटी?

इस चुनावी हार के बाद आम आदमी पार्टी के लिए यह आत्ममंथन का समय है। पार्टी को अब यह समझना होगा कि केवल लोकलुभावन वादों से जनता को लंबे समय तक नहीं जोड़ा जा सकता। दिल्ली की जनता ने इस बार एक नए नेतृत्व को मौका देने का मन बना लिया है।

आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि आम आदमी पार्टी इस हार से क्या सबक लेती है और क्या रणनीति अपनाती है। वहीं, भाजपा पर भी बड़ी जिम्मेदारी है कि वह दिल्ली में सुशासन स्थापित करे और जनता की उम्मीदों पर खरा उतरे।