Rajasthan Political Crisis / पायलट खेमे में बढ़े 3 विधायक! राहुल गांधी के निर्देश पर नरम कांग्रेस, लेकिन हमलावर है सचिन का खेमा

Zoom News : Jul 16, 2020, 01:36 PM
जयपुर | पायलट खेमे में विधायकों की संख्या और बढ़ गई है। ऐसी खबर आ रही है कि माकपा के गिरधारीलाल व बीटीपी के दो विधायकों समेत तीन की संख्या में और विधायक सचिन पायलट के पास पहुंचे हैं। इनमें से बीटीपी के विधायकों ने बंधक बनाए जाने का आरोप लगाया था। इधर राहुल गांधी की दखलंदाजी के बाद सचिन पायलट को एक और मौका देने के लिए कांग्रेस तैयार है। अहमद पटेल कर रहे लगातार बात भी कर रहे हैं, लेकिन सचिन का खेमा अभी तक तल्ख तेवर अपनाए है। हालांकि आलाकमान की कार्रवाई के बाद मुख्यमंत्री गहलोत हमलावर हुए और सचिन पायलट पर होर्स ट्रेडिंग का आरोप जड़ दिया। ऐसे में सचिन जो कि आत्मसम्मान की लड़ाई लेकर मैदान में उतरे थे उन पर राहुल गांधी के प्रयासों का कितना असर होगा, कहा नहीं जा सकता।

सचिन पायलट पर बीजेपी के साथ मिलीभगत का आरोप लगाने के बावजूद कांग्रेस ने अब भी उनके और अन्य बागी विधायकों के लिए अपने दरवाजे खुले रखे हैं और उन्हें वापसी का एक और मौका दिया जा सकता है। राहुल गांधी ने पार्टी के नेताओं को निर्देश दिया है कि वह पायलट को पार्टी में लौटने का एक मौका और दें। 

परन्तु सचिन खेमे के बर्खास्त किए गए मंत्री विश्वेन्द्रसिंह लगातार ट्विटर पर छाए हुए हैं। आप देखिए उनके कुछ ट्वीट! विश्वेन्द्रसिंह अपने अनूठे अंदाज के लिए हमेशा जाने जाते रहे हैं। उन्होंने कहा है कि उनके फर्जी अकाउंट बनाकर बदनाम करने की साजिश रची जा रही है। इसके लिए ट्विटर इंडिया को लिखा भी है।


युवा विधायक रामनिवास गवारिया ने अशोक गहलोत पर सीधा निशाना साधते हुए वैभव गहलोत की हार को भी गिनाया है। उन्होंने बिकाउ कहे जाने से आहत होने की बात कही है। 


युवा विधायक मुकेश भाकर ने महाराणा प्र​ताप के उपर लिखी कवि वाहिद अली वाहिद की रचना को एडिट करके लिखा है...


सीएम अशोक गहलोत द्वारा लगाए आरोपों के जवाब में बर्खास्त किए गए मंत्री ने लिखा है वही मुद्दई और वही मुंसिफ! इन दोनों विधायकों की तारीफ में विश्वेन्द्रसिंह भरतपुर लिखते हैं। 

बीजेपी नेता राजेन्द्र राठौड़ और वासुदेव देवनानी ने भी अपने ट्वीट के माध्यम से जाट खून को हौसला देने की कोशिश की है, उसे विश्वेन्द्रसिंह ने रीट्वीट भी किया है। 

अशोक गहलोत के सचिन पायलट पर हमले से कांग्रेस नेतृत्व नाराज

सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी का निर्देश बुधवार दोपहर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के उस बयान के बाद आया है, जिसमें गहलोत ने सीधे तौर पर पायलट पर बीजेपी के साथ सरकार को गिराने की साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया था और कहा था कि उनके पास इसके पुख्ता सबूत मौजूद हैं। इस बयान के तुरंत बाद राहुल गांधी ने जयपुर में मौजूद राष्ट्रीय नेताओं को निर्देश दिया कि पायलट को वापस लौटने का मौका दिया जाए। जिसके बाद, राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने मीडिया के माध्यम से अपील की कि सचिन पायलट को अपने सभी विधायकों के साथ जयपुर लौटना चाहिए। राजस्थान एनएसयूआई के अध्यक्ष जो पायलट के करीबी थे और उन्हें भी हटा दिया गया था, लेकिन राहुल गांधी के निर्देश पर उन्हें भी एक और मौका दिया गया है। कांग्रेस ने पहले जयपुर में दो बार विधायक दल की बैठक बुलाई थी, जिसका सचिन पायलट खेमे के विधायकों ने बहिष्कार किया था। इसके कारण पायलट को उप मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष का पद से हटा दिया गया था। इसके बाद उनके समर्थकों के साथ-साथ राज्य युवा कांग्रेस के प्रमुख, सेवा दल के प्रमुख और बागी विधायक के खिलाफ भी कार्रवाई की गई। पायलट के साथ 18 कांग्रेस विधायकों को सीएलपी की बैठक में शामिल नहीं होने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। पायलट अभी नई दिल्ली से जयपुर नहीं लौटे हैं, लेकिन पार्टी सूत्रों का मानना ​​है कि वह नरम हो गए हैं ।

कई लोग आए पायलट के समर्थन में

प्रियंका गांधी वाड्रा भी पायलट के संपर्क में हैं। वह कई बार उनसे बात कर चुकी है और उनके जयपुर लौटने के लिए जोर दे रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद, प्रिया दत्त, शशि थरूर सहित कई वरिष्ठ पार्टी नेताओं ने ट्वीट किया और कहा कि पायलट के साथ बातचीत शुरू की जानी चाहिए। वहीं दिग्गज कांग्रेसी नेता मार्गरेट अल्वा ने भी समर्थन दिया, जिन्होंने ट्वीट कर कहा है कि मतभेद पार्टी विरोधी नहीं हैं। उन्हें सुलझाना होगा और समझौता करना होगा।  उनके इस ट्वीट के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने समर्थन किया है।

पार्टी सूत्रों ने कहा कि अगर पायलट बिना शर्त घर लौटते हैं और गहलोत सरकार को अपना समर्थन देते हैं, तो कुछ महीनों के बाद उन्हें पार्टी में कुछ बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। वहीं अगर पायलट अड़े रहे तो कांग्रेस उनको सहानुभूति बटोरने का अवसर नहीं देगी क्योंकि उन्होंने उन्हें पार्टी में लौटने के कई अवसर दिए।

कांग्रेस नेताओं ने कहा है कि विद्रोही खेमे के पास आखिरी तारीख तक घर लौटने का पूरा मौका है जब तक अध्यक्ष द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस का जवाब देना है। कांग्रेस नेतृत्व जहां अशोक गहलोत का समर्थन कर रहा है, वहीं वह पायलट को भी नहीं खोना चाहते हैं। पायलट के विद्रोह के कारण, अशोक तंवर, प्रद्युत माणिक्य, हिमंत बिस्वा सरमा और ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के बाद शीर्ष नेतृत्व को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है, जो युवा नेताओं को खो रहे हैं जो राहुल गांधी की टीम के सदस्य बनने वाले थे।

रमेश मीणा बोले गहलोत बताओ मुझे कितने पैसे में लाए थे

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तरफ से विधायकों के खरीद फरोख्त के आरोपों पर सचिन पायलट की टीम की तरफ से सवाल किया गया है। राजस्थान सरकार में मंत्री पद से हटाए गए सचिन पायलट कैंप के रमेश मीणा ने गहलोत से सवाल पूछते हुए वो वक्त याद दिलाया जब मायावती की बहुजन समाज पार्टी के विधायकों ने पाला बदलकर कांग्रेस ज्वाइन किया था। रमेश मीणा ने कहा- बीएसपी विधायकों ने दो बार अपनी पार्टी छोड़ी और कांग्रेस में आकर शामिल हो गए और दोनों ही वक्त गहलोत की सरकार में। उनके पहले कार्यकाल में गहलोत 4 विधायकों को कांग्रेस में लेकर आए। दूसरे कार्यकाल में वे 6 विधायकों को लेकर आए। उन्होंने कहा- आज वे करोड़ों के लेन-देन की बात कहते हैं। मैं मुख्यमंत्री से यह पूछना चाहता हूं कि कितने पैसे हमें दिए गए थे जब मैं कांग्रेस को ज्वाइन किया था? सच्चाई बताएं। धोखा था कि उन्होंने हमें बताया था कि विकास होगा। 

रमेश मीणा ने आगे कहा- मुख्यमंत्री ने आज यह बयान दिया कि पैसे दिए और लिए गए। लोग उनके काम करने के तरीके से असंतुष्ट थे, नौकरशाह हावी था और नेता काम नहीं कर पा रहे थे। मुख्यमंत्री ने कभी हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया और अत्याचारी रवैया रहा।

बिना वसुन्धरा नहीं बैठेगी राजस्थान की गणित

राजस्थान की आगे की राजनीति जयपुर में होनी है और उसमें भाजपा को वसुंधरा राजे की पूरी सहमति और सहयोग जरूरी है। विधानसभा के अंक गणित में भाजपा को सरकार बनाने के लिए कांग्रेस में बड़ी टूट के साथ कई विधायकों के इस्तीफों की जरूरत होगी। साथ ही अपनी पार्टी को भी एकजुट रखना होगा। ऐसे में नेतृत्व का पेंच फंसना लाजिमी है। भाजपा में अधिकांश वसुंधरा राजे के समर्थक हैं और उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। एक समस्या यही है कि पायलट अगर सरकार गिरा भी लेते हैं और भाजपा मदद करती है तो भाजपा की नई सरकार का नेतृत्व कौन करेगा? वसुंधरा राजे को लेकर पहले भी केंद्रीय नेतृत्व असहज रहा है और नई परिस्थिति में उसके सामने फिर वही समस्या खड़ी होगी। इन सवालों से बचने के लिए वह फिलहाल विधानसभा के अगले सत्र इंतजार करेगा और उस दौरान जो भी स्थिति बनेगी उसके अनुसार फैसला लिया जाएगा। तब तक पायलट अपना फैसला ले चुके होंगे और कांग्रेस के भीतर का घमासान साफ हो चुका होगा। वहीं पायलट भी वसुन्धरा राजे और गहलोत के बीच राजनीति समीकरण की बात कहते रहे हैं। दूसरी ओर भाजपा नेतृत्व और वसुंधरा राजे के बीच पिछले विधानसभा चुनाव के समय से ही बहुत अच्छे रिश्ते नहीं रहे हैं। चुनाव के पहले प्रदेश अध्यक्ष तय करने के मुद्दे पर काफी गतिरोध रहा था। तब वरिष्ठ नेता ओम प्रकाश माथुर ने बीच का रास्ता निकालते हुए मदन लाल सैनी को प्रदेश अध्यक्ष बनवाया था, जबकि केंद्रीय नेतृत्व गजेंद्र सिंह शेखावत के पक्ष में था। इसके पहले भी कई मौकों पर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व और वसुंधरा राजे के बीच तनातनी रही है और हर बार वसुंधरा राजे की ही चली।

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