- भारत,
- 21-Sep-2025 11:08 AM IST
Ashok Gehlot News: राजस्थान हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की स्मार्टफोन गारंटी कार्ड योजना के खिलाफ दायर जनहित याचिका को दो साल बाद समाप्त कर दिया है। जस्टिस पुष्पेंद्रसिंह भाटी और जस्टिस बिपिन गुप्ता की खंडपीठ ने राज्य सरकार के बयान के आधार पर यह फैसला सुनाया कि यह योजना वर्तमान में प्रभावी नहीं है।
याचिका का निस्तारण
वकील मुदित नागपाल द्वारा 2023 में दायर इस जनहित याचिका का निस्तारण करते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ता को स्वतंत्रता दी है कि यदि भविष्य में आवश्यकता हो, तो वे पुनः कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता महावीर बिश्नोई ने 9 अक्टूबर 2023 के पत्र के आधार पर कोर्ट में स्पष्ट किया कि स्मार्टफोन गारंटी कार्ड योजना अब लागू नहीं है। इस बयान को कोर्ट ने रिकॉर्ड में लिया और याचिका को निपटा दिया। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता माधव व्यास ने पैरवी की।
दो साल की कानूनी लड़ाई
यह मामला सितंबर 2023 में शुरू हुआ, जब गंगानगर के वकील मुदित नागपाल ने आयोजना विभाग के 21 अगस्त 2023 के आदेश को चुनौती दी थी। याचिका में राजस्थान सरकार, वित्त सचिव, आयोजना सचिव, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, और प्रधान महालेखाकार को प्रतिवादी बनाया गया था।
प्रमुख तारीखें और घटनाक्रम:
19 सितंबर 2023: जस्टिस विजय बिश्नोई और जस्टिस योगेंद्र कुमार पुरोहित की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान सरकार को शो कॉज नोटिस जारी किया और पूछा कि 21 अगस्त 2023 के आदेश को क्यों न रद्द किया जाए।
17 मार्च 2023: तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विनियोग विधेयक पर चर्चा के दौरान कहा कि अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण वित्तीय वर्ष 2022-23 में स्मार्टफोन वितरित नहीं किए जा सके। उन्होंने बताया कि अब स्मार्टफोन सरकारी स्कूलों, कॉलेजों, आईटीआई/पॉलिटेक्निक में 10वीं और 12वीं कक्षा की छात्राओं तथा पेंशनभोगी विधवा/एकल महिलाओं को दिए जाएंगे। पहले चरण में 40 लाख स्मार्टफोन वितरित करने की योजना थी।
17 अक्टूबर 2023: तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह और जस्टिस विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ को सूचित किया गया कि आचार संहिता के कारण स्मार्टफोन गारंटी कार्ड का वितरण रुका हुआ है।
16 दिसंबर 2024: तत्कालीन चीफ जस्टिस मनीन्द्र मोहन श्रीवास्तव और जस्टिस रेखा बोराणा की खंडपीठ के समक्ष सरकार ने योजना की स्थिति स्पष्ट करने के लिए समय मांगा। अगली सुनवाई 13 जनवरी 2025 तय की गई थी।
योजना और बजट
याचिकाकर्ता के वकीलों ने बताया कि 2022-23 के बजट में राज्य सरकार ने 1.33 करोड़ चिरंजीवी परिवारों की महिला मुखियाओं को स्मार्टफोन देने के लिए 2500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था। हालांकि, वित्तीय वर्ष 2022-23 में स्मार्टफोन वितरित नहीं किए गए।
कानूनी तर्क
याचिकाकर्ता ने राजस्थान वित्तीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम की धारा 5(4) का हवाला देते हुए तर्क दिया कि सरकार को वित्तीय नीति रणनीति विवरण घोषित करना आवश्यक है, जिसमें राजस्व, व्यय, उधार, और गारंटी शामिल हों। उनका कहना था कि बिना इस घोषणा के गारंटी कार्ड वितरण का निर्णय अवैध है।
चुनावी प्रचार का आरोप
याचिकाकर्ता के वकीलों ने आरोप लगाया कि स्मार्टफोन के बदले गारंटी कार्ड वितरण एक प्रचार स्टंट है, जो चुनावी कुप्रथाओं की परिभाषा में आता है। उनका तर्क था कि यह कार्रवाई राजकोषीय कानूनों का उल्लंघन है और बिना विशिष्ट प्रावधान के गारंटी कार्ड देना अवैध है।
योजना का अंत
9 अक्टूबर 2023 के पत्र के आधार पर सरकार ने स्पष्ट किया कि स्मार्टफोन गारंटी कार्ड योजना अब प्रभावी नहीं है। इस बयान के साथ हाईकोर्ट ने दो साल के कानूनी विवाद को समाप्त कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को भविष्य में आवश्यकता होने पर पुनः याचिका दायर करने की छूट दी है।
