दुनिया / हिंद महासागर के ऊपर स्पेस में फटा रूसी रॉकेट, टुकड़ों से सैटेलाइट्स को खतरा!

AajTak : May 11, 2020, 05:12 PM
रूसी: अंतरिक्ष एजेंसी के रॉकेट का ऊपरी हिस्सा अंतरिक्ष में फट गया है। अब इससे निकलने वाला कचरा पृथ्वी की कक्षा में फैल गया है। 8 मई को हिंद महासागर के ऊपर रूसी रॉकेट टूटा और उसके 65 टुकड़े पृथ्वी के ऊपर घूम रहे सैटेलाइट्स के लिए खतरा बनकर मंडरा रहे हैं। ये टुकड़े सैटेलाइट्स को नुकसान पहुंचा सकते हैं। 

रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रॉसकॉसमॉस के अनुसार रूस के इस रॉकेट का नाम है फ्रीगेट-एसबी (Fregate-SB) जिसने 2011 में रूसी सैटेलाइट स्पेक्टर-आर (Spektr-R) को अंतरिक्ष में स्थापित किया था। यह रूस का जासूसी सैटेलाइट था। लेकिन इसने पिछले साल काम करना बंद कर दिया था। 

रॉसकॉसमॉस ने बताया कि 8 मई को भारतीय समयानुसार सुबह 10:30 से 11:30 बजे के बीच हिंद महासागर के ऊपर कहीं पर रॉकेट टूटा है। अब उसका कचरा धरती की कक्षा में तैर रहा है। रूसी एजेंसी ये पता कर रही है कि कितने हिस्सों में रॉकेट का अगला हिस्सा टूटा है।

वहीं, अमेरिका का यूएस18 स्पेस कंट्रोल स्क्वाड्रन ने कहा है कि उसने उस रॉकेट के टूटने के बाद 65 टुकड़े देखे हैं जो धरती के ऊपर चक्कर लगा रहे सैटेलाइट्स के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। ये लोग इन 65 टुकड़ों की दिशा और गति आदि को ट्रैक कर रहे हैं।

अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा और यूरोपियन स्पेस एजेंसी ईएसए भी रूस के इस रॉकेट के कचरे को ट्रैक कर रही है। ताकि उनके सैटेलाइट्स को कोई खतरा न हो। अगर हो तो वो अपने सैटेलाइट्स की दिशा बदल सकें। 

यूरोपियन स्पेस एजेंसी ईएसए अगले पांच सालों में अंतरिक्ष के कचरे से अपने सैटेलाइट्स को बचाने की तकनीक पर 3271 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना बना रही है। इनमें से एक मिशन ऐसा भी है जो सैटेलाइट्स अब काम नहीं करते उन्हें खींचकर सुदूर अंतरिक्ष में भेज देना या कक्षा से अलग कर देना है।

यूरोपियन स्पेस एजेंसी के मुताबिक 1957 से अब तक 5450 रॉकेट अंतरिक्ष में छोड़े गए हैं। 8950 सैटेलाइट्स पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किए गए थे। इनमें से 5000 अब भी अंतरिक्ष में हैं। 1950 अब भी काम कर रहे हैं। 

वैज्ञानिक धरती की कक्षा में अब तक 2.23 लाख कचरा ही गिन पाए हैं। 1957 से अब तक अंतरिक्ष में करीब इन कचरों की आपस में या किसी न किसी सैटेलाइट से 500 बार टक्कर हुई है, विस्फोट हुआ है या टूट हुई है। 

दुनिया भर की स्पेस एजेंसियां इस प्रयास में हैं कि किस तरह से धरती के ऊपर की कक्षा में मौजूद कचरे को साफ किया जाए। कैसे उन्हें कम किया जाए ताकि भविष्य के मिशन, सैटेलाइट्स और स्पेस स्टेशन को खतरा न हो।

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