संसद का बहुप्रतीक्षित शीतकालीन सत्र आज, 1 दिसंबर से शुरू हो रहा है, और सत्र की शुरुआत से ही हंगामेदार रहने की संभावना है। विपक्षी दलों ने विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है, जिससे सदन में गतिरोध पैदा होने के आसार हैं। हालांकि, सरकार ने सभी दलों से संसद की कार्यवाही सुचारु रूप से चलाने में सहयोग करने की अपील की है।
विपक्ष की रणनीति और SIR का मुद्दा
कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों ने सत्र से पहले हुई सर्वदलीय बैठक में एक सुर में एसआईआर पर चर्चा की मांग उठाई। विपक्ष ने दिल्ली विस्फोट की पृष्ठभूमि में राष्ट्रीय सुरक्षा, वायु प्रदूषण, विदेश नीति, किसानों की स्थिति, महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर भी सत्र के दौरान चर्चा कराने का आग्रह किया है। विपक्षी नेताओं ने स्पष्ट किया है कि यदि एसआईआर पर चर्चा नहीं हुई, तो वे संसद की कार्यवाही को बाधित कर सकते हैं, हालांकि संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इस बात पर जोर दिया कि सभी विपक्षी दलों ने सामूहिक रूप से ऐसा बयान नहीं दिया है।
सरकार का रुख और सहयोग की अपील
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सर्वदलीय बैठक को सकारात्मक बताया और कहा कि सरकार संसद को सुचारु रूप से चलाने के लिए विपक्षी दलों के साथ बातचीत जारी रखेगी। उन्होंने चुटीले अंदाज में कहा कि यह शीतकालीन सत्र है और इसमें सबको ठंडे दिमाग से काम करना चाहिए। रिजिजू ने स्वीकार किया कि लोकतंत्र में गतिरोध और राजनीतिक दलों में मतभेद होते हैं, लेकिन उन्होंने सभी से सदन में गतिरोध पैदा न करने और अपनी बात रखकर विरोध दर्ज कराने का आग्रह किया, ताकि सदन चल सके। उन्होंने विपक्ष से संसद को अच्छी तरह से चलाने में सहयोग करने का अनुरोध किया।
महत्वपूर्ण आर्थिक विधेयक
सत्र से एक दिन पहले बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में 36 राजनीतिक दलों के 50 नेताओं ने भाग लिया। सरकार की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू और संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल उपस्थित थे। कांग्रेस के प्रमोद तिवारी और कोडिकुनिल सुरेश, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन, समाजवादी पार्टी के राम गोपाल यादव और द्रमुक के तिरुचि शिवा जैसे प्रमुख विपक्षी नेताओं ने भी बैठक में शिरकत की और अपने मुद्दे उठाए।
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की प्रचंड जीत से उत्साहित केंद्र सरकार इस सत्र में कई महत्वपूर्ण विधेयक पेश करने की तैयारी में है और सरकार ने शीतकालीन सत्र में पेश करने के लिए कुल नौ आर्थिक विधेयकों को सूचीबद्ध किया है, जो देश की अर्थव्यवस्था और विभिन्न क्षेत्रों पर गहरा प्रभाव डालेंगे। इन विधेयकों का उद्देश्य वित्तीय सुधारों को आगे बढ़ाना और विभिन्न क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देना है।
बीमा क्षेत्र में FDI वृद्धि
सरकार नई पीढ़ी के वित्तीय सुधारों के तहत बीमा क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) की सीमा को 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने के लिए बीमा कानून (संशोधन) विधेयक, 2025 पेश करने की योजना बना रही है। यह कदम बीमा क्षेत्र में और अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने के उद्देश्य से उठाया जा रहा है। अब तक, बीमा क्षेत्र ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के माध्यम से 82,000 करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित किया है, और। इस विधेयक के पारित होने से यह आंकड़ा और बढ़ने की उम्मीद है, जिससे क्षेत्र में पूंजी प्रवाह और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
तंबाकू और पान मसाला पर नए कर
केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025 और 'स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025' को लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है। केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025 में सिगरेट जैसे तंबाकू उत्पादों पर उत्पाद शुल्क लगाने का प्रावधान है, जो वर्तमान जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर की जगह लेगा। इसी तरह, 'स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025' पान मसाला पर लगने वाले मुआवजा उपकर की जगह लेगा। इसका मुख्य मकसद राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए होने वाले खर्च को पूरा करने के लिए संसाधन बढ़ाना है। यह उन मशीनों या प्रक्रियाओं पर उपकर लगाने का भी प्रावधान करता है, जिनसे निर्दिष्ट वस्तुओं का निर्माण या उत्पादन किया जाता है। वर्तमान में, तंबाकू और पान मसाला पर 28 प्रतिशत जीएसटी। के साथ-साथ अलग-अलग दरों पर मुआवजा उपकर भी वसूला जाता है।
अन्य प्रमुख विधेयक
इनके अलावा, प्रतिभूति बाजार संहिता विधेयक 2025 को भी पेश करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है। यह विधेयक व्यापार में आसानी के लिए एक एकीकृत प्रतिभूति बाजार संहिता सुनिश्चित करेगा, जिससे निवेशकों और बाजार सहभागियों के लिए प्रक्रियाएं सरल होंगी और जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक, 2025 शीतकालीन सत्र में चर्चा के लिए लाया जाएगा। यह विधेयक अगस्त में लोकसभा में पेश किया गया था और इसे एक चयन समिति। को भेजा गया था, जिसे शीतकालीन सत्र के पहले दिन तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी है। अन्य आर्थिक विधेयकों में दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (संशोधन) विधेयक, 2025, मणिपुर माल और सेवा कर। (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2025, राष्ट्रीय राजमार्ग (संशोधन) विधेयक, 2025 और कॉर्पोरेट कानून (संशोधन) विधेयक, 2025 शामिल हैं। इन विधेयकों का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में नियामक ढांचे को मजबूत करना और आर्थिक विकास को गति देना है।
अनुदान की अनुपूरक मांगें
सरकार वित्त वर्ष 2025-26 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगों का पहला बैच भी शीतकालीन सत्र (1-19 दिसंबर) के दौरान पेश करेगी। यह सरकार को अतिरिक्त खर्चों को पूरा करने के लिए संसद की मंजूरी लेने की अनुमति देगा जो बजट में शामिल नहीं थे। कुल मिलाकर, यह सत्र विधायी कार्यों और राजनीतिक बहस दोनों के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण रहने वाला है, जिसमें सरकार और विपक्ष के बीच कई मुद्दों पर तीखी नोकझोंक देखने को मिल सकती है।