Sheikh Hasina / पूर्व PM शेख हसीना को मिली मौत की सजा तो चीन का भी आया रिएक्शन, जानिए क्या कहा?

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए ढाका ट्रिब्यूनल कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई है। यह फैसला उनकी अनुपस्थिति में आया, क्योंकि वह भारत में रह रही हैं। संयुक्त राष्ट्र ने मौत की सजा पर खेद व्यक्त किया है, जबकि चीन ने बांग्लादेश में स्थिरता और विकास की इच्छा जताई है।

बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर, ढाका में एक ट्रिब्यूनल कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई है और यह फैसला 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान मानवता के खिलाफ अपराधों में उनकी संलिप्तता के लिए आया है। यह घटनाक्रम बांग्लादेश के पहले से ही अस्थिर राजनीतिक माहौल को और जटिल बना रहा है और इसने वैश्विक स्तर पर एक नई बहस छेड़ दी है।

अदालत का ऐतिहासिक फैसला

सोमवार को, ढाका की एक ट्रिब्यूनल कोर्ट ने शेख हसीना को 2024 के। छात्र आंदोलन के दौरान किए गए मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी पाया। इस फैसले के तहत उन्हें मौत की सजा सुनाई गई है। यह निर्णय विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि हसीना को गैरहाजिरी में ट्रायल किया गया और सत्ता से बेदखल होने के बाद से वह भारत में रह रही हैं, जिसके कारण वह अदालत में उपस्थित नहीं हो सकीं। इस तरह का फैसला किसी पूर्व राष्ट्राध्यक्ष के खिलाफ, खासकर उनकी अनुपस्थिति में, अंतरराष्ट्रीय समुदाय में गंभीर चर्चा का विषय बन गया है।

अन्य दोषियों और उनकी सजा

शेख हसीना के साथ, इस मामले में अन्य प्रमुख हस्तियों को भी सजा सुनाई गई है। पूर्व गृहमंत्री असदुज्जामान खान कमाल को भी मौत की सजा मिली है, जो इस मामले की गंभीरता को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त, पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अलमामुन को भी दोषी ठहराया गया है, लेकिन उन्हें 5 साल की अपेक्षाकृत कम सजा मिली है। अलमामुन को यह रियायत इसलिए दी गई क्योंकि उन्होंने अपने अपराध को स्वीकार किया। और जांच में पूरा सहयोग किया, जो न्यायिक प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण कारक साबित हुआ।

बांग्लादेश का अस्थिर राजनीतिक माहौल

चीन की प्रतिक्रिया में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि यह। फैसला ऐसे समय आया है जब बांग्लादेश का राजनीतिक माहौल बेहद अस्थिर है। शेख हसीना की अनुपस्थिति में हुई यह सजा देश में राजनीतिक ध्रुवीकरण को और बढ़ा सकती है। 2024 के छात्र आंदोलन ने पहले ही देश में बड़े पैमाने पर अशांति पैदा की थी, और अब यह न्यायिक निर्णय भविष्य में और अधिक राजनीतिक उथल-पुथल का कारण बन सकता है। देश की स्थिरता और एकजुटता पर इस फैसले के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।

संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रिया: मौत की सजा पर चिंता

शेख हसीना को मौत की सजा सुनाए जाने पर संयुक्त राष्ट्र ने मिश्रित प्रतिक्रिया दी है, लेकिन मौत की सजा के प्रति अपने दृढ़ रुख को दोहराया है और संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता स्टेफ़न दुजारिक ने कहा कि यह फैसलों का एक महत्वपूर्ण क्षण है, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि संयुक्त राष्ट्र का रुख वही है – वे हर परिस्थिति में मौत की सजा के खिलाफ हैं। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टुर्क ने भी इसी रुख को दोहराया, मानवाधिकारों के सार्वभौमिक सिद्धांतों के प्रति संगठन की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। यह प्रतिक्रिया दर्शाती है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान करते हुए भी मानवाधिकारों के उल्लंघन पर अपनी चिंता व्यक्त करता है।

चीन की कूटनीतिक टिप्पणी

चीन ने इस पूरे घटनाक्रम पर अपनी कूटनीतिक प्रतिक्रिया दी है और चीन ने कहा है कि वह चाहता है कि बांग्लादेश में एकजुटता, स्थिरता और विकास कायम रहे। यह टिप्पणी बांग्लादेश के आंतरिक मामलों में सीधे हस्तक्षेप से बचते हुए, देश में शांति और प्रगति की चीन की इच्छा को दर्शाती है। चीन ने यह भी दोहराया कि वह बांग्लादेश के सभी लोगों के साथ मित्रता और पड़ोसी सहयोग की नीति को आगे बढ़ाता रहेगा। यह बयान ऐसे समय में आया है जब बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता है, और चीन का यह रुख उसके क्षेत्रीय हितों और कूटनीतिक संबंधों को बनाए रखने की उसकी रणनीति का हिस्सा प्रतीत होता है।

वैश्विक बहस और भविष्य की चुनौतियाँ

शेख हसीना को दी गई मौत की सजा ने वैश्विक स्तर पर एक नई बहस छेड़ दी है और यह बहस न केवल न्यायिक प्रक्रिया की निष्पक्षता और अनुपस्थिति में दिए गए फैसलों पर केंद्रित है, बल्कि मानवाधिकारों और मौत की सजा के नैतिक पहलुओं पर भी है। बांग्लादेश के लिए यह फैसला एक बड़ी चुनौती पेश करता है, क्योंकि उसे अपने आंतरिक। राजनीतिक तनावों को संभालने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रियाओं का भी सामना करना होगा। देश की भविष्य की दिशा इस बात पर निर्भर करेगी कि वह इन। जटिल मुद्दों को कैसे सुलझाता है और स्थिरता की ओर कैसे बढ़ता है।

शेख हसीना की भारत में उपस्थिति

यह महत्वपूर्ण है कि शेख हसीना सत्ता से बेदखल होने के बाद से भारत में रह रही हैं। उनकी अनुपस्थिति में हुए इस मुकदमे और सजा ने कानूनी और राजनीतिक दोनों ही मोर्चों पर कई सवाल खड़े किए हैं। उनकी भारत में उपस्थिति बांग्लादेश और भारत के द्विपक्षीय संबंधों पर भी अप्रत्यक्ष रूप। से प्रभाव डाल सकती है, हालांकि इस पर कोई सीधा बयान नहीं आया है। इस स्थिति से बांग्लादेश के आंतरिक मामलों में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की दिलचस्पी और बढ़ गई है।